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'''रवि शंकर शर्मा ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ravi Shankar Sharma'', जन्म- [[3 मार्च]], [[1926]], [[दिल्ली]]; मृत्यु- [[7 मार्च]], [[2012]], [[मुम्बई]]) [[हिन्दी]] फ़िल्मों में प्रसिद्ध संगीतकार थे। बतौर संगीत निर्देशक उन्होंने [[1955]] में फिल्म ‘वचन’ से अपना सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 50 से अधिक फिल्मों में [[संगीत]] दिया। रवि को उन लोगों में माना जाता है, जिन्होंने [[महेन्द्र कपूर]] और [[आशा भोंसले]] को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि हिन्दी फिल्मों के कुल 500 सुपर हिट गीतों को लिया जाए तो उनमें अकेले रवि के 100 से ज्यादा सुपर हिट गीत हैं और बाकी 400 सुपर हिट गीतों में 15 से ज्यादा संगीतकारों के नाम आते हैं। यह भी एक दिलचस्प बात है कि रवि की धुनों में रंगे गीत ब्याह-शादियों में गाए जाने वाले परंपरागत फिल्मी गीतों में सभी से ज्यादा लोकप्रिय हैं। 'आज मेरे यार की शादी है', 'डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली' और 'बाबुल की दुआएं लेती जा' जैसे फिल्मी गीत [[विवाह]] और बैंड बाजे वालों के भी प्रिय गीत हैं।
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'''रवि शंकर शर्मा''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Ravi Shankar Sharma'', जन्म- [[3 मार्च]], [[1926]], [[दिल्ली]]; मृत्यु- [[7 मार्च]], [[2012]], [[मुम्बई]]) [[हिन्दी]] फ़िल्मों में प्रसिद्ध संगीतकार थे। बतौर संगीत निर्देशक उन्होंने [[1955]] में फिल्म ‘वचन’ से अपना सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 50 से अधिक फिल्मों में [[संगीत]] दिया। रवि को उन लोगों में माना जाता है, जिन्होंने [[महेन्द्र कपूर]] और [[आशा भोंसले]] को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि हिन्दी फिल्मों के कुल 500 सुपर हिट गीतों को लिया जाए तो उनमें अकेले रवि के 100 से ज्यादा सुपर हिट गीत हैं और बाकी 400 सुपर हिट गीतों में 15 से ज्यादा संगीतकारों के नाम आते हैं। यह भी एक दिलचस्प बात है कि रवि की धुनों में रंगे गीत ब्याह-शादियों में गाए जाने वाले परंपरागत फिल्मी गीतों में सभी से ज्यादा लोकप्रिय हैं। 'आज मेरे यार की शादी है', 'डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली' और 'बाबुल की दुआएं लेती जा' जैसे फिल्मी गीत [[विवाह]] और बैंड बाजे वालों के भी प्रिय गीत हैं।
 
==परिचय==
 
==परिचय==
भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के ख्यातिप्राप्त संगीतकार रवि का जन्म 3 मार्च सन 1926 को [[दिल्ली]] में हुआ था। उनका पूरा नाम रवि शंकर शर्मा था। रवि ने [[संगीत]] की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी, हालांकि उनकी दिली तमन्ना पार्श्व गायक बनने की थी। इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करते हुए रवि ने [[हारमोनियम]] बजाना और गाना सीखा। इसके बाद सन [[1950]] में वह [[मुंबई]] आ गए। संगीतकार [[हेमंत कुमार]] ने सबसे पहले उन्हें [[1952]] में फ़िल्म 'आनंद मठ' में ‘[[वंदे मातरम]]’ गीत के लिए संगीत देने का मौका दिया।<ref>{{cite web |url=http://aajtak.intoday.in/story/Music-director-Ravi-Shankar-Sharma-dead-1-693112.html |title= संगीतकार रवि ने होली से पहले दुनिया को कहा अलविदा|accessmonthday= 19 मई|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=aajtak.intoday.in |language= हिंदी}}</ref>
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==फ़िल्मी शुरुआत==
 
==फ़िल्मी शुरुआत==
 
रवि जब दिल्ली में रहते थे, तब उनको फिल्म संगीत का बहुत शौक था। वह [[मोहम्मद रफ़ी]] के गानों के शौकीन थे। अपने [[परिवार]] का खर्च चलाने के लिए वह इलेक्ट्रिशियन बन गए थे। सन [[1950]] में वह दिल्ली से मुम्बई रवाना हो गए। मुम्बई में न उनके पास रहने का घर था और न ही हाथ में कोई पैसा। अपनी ज्यादातर रातें तब वह मलाड स्टेशन पर बीताते थे। एक दिन हेमंत कुमार ने उन्हें देखा तो वह उन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने पहले रवि से ‘आनन्द मठ’ फिल्म में ‘वंदे मातरम्’ गीत में कोरस गवाया और फिर उन्हें अपना सहायक निर्देशक बना लिया। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘नागिन’ की सुपर हिट बीन वाली धुन रवि ने ही तैयार की थी, जो पहली बार ‘मेरा तन डोले, मेरा मन डोले’ में इस्तेमाल हुई थी। हेमंत दा से अलग होने के अगले दिन ही निर्माता नाडियाडवाला ने रवि को बतौर संगीत निर्देशक तीन फिल्में- ‘मेंहदी’, ‘घर संसार’ और ‘अयोध्यापति’ दे दीं। उधर निर्माता एस. डी. नारंग ने भी रवि को ‘दिल्ली का ठग’ और ‘बॉम्बे का चोर’ जैसी फिल्में दे दीं। बस उसके बाद रवि ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। [[दिल्ली]] से गायक बनने का सपना लेकर आया युवक रवि शंकर शर्मा [[हिन्दी]] फिल्मों का मशहूर संगीत निर्देशक रवि बन गया।<ref>{{cite web |url=http://dainiktribuneonline.com/2012/03/%E0%A4%B8%E0%A5%81%E0%A4%AA%E0%A4%B0-%E0%A4%B9%E0%A4%BF%E0%A4%9F-%E0%A4%A7%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A5%8B%E0%A4%82-%E0%A4%95%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A5%80%E0%A4%A4%E0%A4%95%E0%A4%BE/ |title= सुपर हिट धुनों के संगीतकार थे रवि|accessmonthday= 19 मई|accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=dainiktribuneonline.com |language= हिंदी}}</ref>
 
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10:34, 19 मई 2017 का अवतरण

रवि शंकर शर्मा (अंग्रेज़ी: Ravi Shankar Sharma, जन्म- 3 मार्च, 1926, दिल्ली; मृत्यु- 7 मार्च, 2012, मुम्बई) हिन्दी फ़िल्मों में प्रसिद्ध संगीतकार थे। बतौर संगीत निर्देशक उन्होंने 1955 में फिल्म ‘वचन’ से अपना सफर शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और 50 से अधिक फिल्मों में संगीत दिया। रवि को उन लोगों में माना जाता है, जिन्होंने महेन्द्र कपूर और आशा भोंसले को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। यदि हिन्दी फिल्मों के कुल 500 सुपर हिट गीतों को लिया जाए तो उनमें अकेले रवि के 100 से ज्यादा सुपर हिट गीत हैं और बाकी 400 सुपर हिट गीतों में 15 से ज्यादा संगीतकारों के नाम आते हैं। यह भी एक दिलचस्प बात है कि रवि की धुनों में रंगे गीत ब्याह-शादियों में गाए जाने वाले परंपरागत फिल्मी गीतों में सभी से ज्यादा लोकप्रिय हैं। 'आज मेरे यार की शादी है', 'डोली चढ़के दुल्हन ससुराल चली' और 'बाबुल की दुआएं लेती जा' जैसे फिल्मी गीत विवाह और बैंड बाजे वालों के भी प्रिय गीत हैं।

परिचय

भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के ख्यातिप्राप्त संगीतकार रवि का जन्म 3 मार्च सन 1926 को दिल्ली में हुआ था। उनका पूरा नाम रवि शंकर शर्मा था। रवि ने संगीत की कोई औपचारिक शिक्षा नहीं ली थी, हालांकि उनकी दिली तमन्ना पार्श्व गायक बनने की थी। इलेक्ट्रीशियन के रूप में काम करते हुए रवि ने हारमोनियम बजाना और गाना सीखा। इसके बाद सन 1950 में वह मुंबई आ गए। संगीतकार हेमंत कुमार ने सबसे पहले उन्हें 1952 में फ़िल्म 'आनंद मठ' में ‘वंदे मातरम्’ गीत के लिए संगीत देने का मौका दिया।[1]

फ़िल्मी शुरुआत

रवि जब दिल्ली में रहते थे, तब उनको फिल्म संगीत का बहुत शौक था। वह मोहम्मद रफ़ी के गानों के शौकीन थे। अपने परिवार का खर्च चलाने के लिए वह इलेक्ट्रिशियन बन गए थे। सन 1950 में वह दिल्ली से मुम्बई रवाना हो गए। मुम्बई में न उनके पास रहने का घर था और न ही हाथ में कोई पैसा। अपनी ज्यादातर रातें तब वह मलाड स्टेशन पर बीताते थे। एक दिन हेमंत कुमार ने उन्हें देखा तो वह उन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने पहले रवि से ‘आनन्द मठ’ फिल्म में ‘वंदे मातरम्’ गीत में कोरस गवाया और फिर उन्हें अपना सहायक निर्देशक बना लिया। यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि ‘नागिन’ की सुपर हिट बीन वाली धुन रवि ने ही तैयार की थी, जो पहली बार ‘मेरा तन डोले, मेरा मन डोले’ में इस्तेमाल हुई थी। हेमंत दा से अलग होने के अगले दिन ही निर्माता नाडियाडवाला ने रवि को बतौर संगीत निर्देशक तीन फिल्में- ‘मेंहदी’, ‘घर संसार’ और ‘अयोध्यापति’ दे दीं। उधर निर्माता एस. डी. नारंग ने भी रवि को ‘दिल्ली का ठग’ और ‘बॉम्बे का चोर’ जैसी फिल्में दे दीं। बस उसके बाद रवि ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। दिल्ली से गायक बनने का सपना लेकर आया युवक रवि शंकर शर्मा हिन्दी फिल्मों का मशहूर संगीत निर्देशक रवि बन गया।[2]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संगीतकार रवि ने होली से पहले दुनिया को कहा अलविदा (हिंदी) aajtak.intoday.in। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2017।
  2. सुपर हिट धुनों के संगीतकार थे रवि (हिंदी) dainiktribuneonline.com। अभिगमन तिथि: 19 मई, 2017।

बाहरी कड़ियाँ

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