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जलेबी दौड़ एक पारंपरिक खेल है जिसमें एक रस्सी लम्बाई में बाँधी जाती है और उस रस्सी में धागे की सहायता से जलेबियाँ लटकाई जाती हैं। भाग लेने वाले बच्चों या प्रतियोगियों के हाथ पीछे की तरफ़ बाँध दिये जाते हैं। दौड़ लगाने वाले बच्चों या भाग लेने वाले को बिना हाथ लगाये मुँह से इन जलेबियों को खाना होता है। महिलाएं एवं बच्चे सब इस खेल को खेलते हैं। एक, दो, तीन की गिनती के साथ प्रतियोगिता प्रारम्भ होती है। बच्चे भागते भागते ऊपर उचक कर जलेबी को खाते है और फिर से सरपट दौड़ने लगते हैं। इस खेल में '[[कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ए|एक पंथ दो काज]]' होते हैं अर्थात स्वाद का स्वाद और [[खेल]] का खेल। [[कार्बोहाइड्रेट]] खाओ और फिर उसे पचाओ। सबकी निगाहें घोषित पुरस्कार की ओर लगी रहती हैं, इससे उत्साह दुगुना हो जाता है। यह खेल अधिकतर स्कूलों में कराया जाता है।
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जलेबी दौड़ एक पारंपरिक खेल है जिसमें एक रस्सी लम्बाई में बाँधी जाती है और उस रस्सी में धागे की सहायता से जलेबियाँ लटकाई जाती हैं। भाग लेने वाले बच्चों या प्रतियोगियों के हाथ पीछे की तरफ़ बाँध दिये जाते हैं। दौड़ लगाने वाले बच्चों या भाग लेने वाले को बिना हाथ लगाये मुँह से इन जलेबियों को खाना होता है। महिलाएं एवं बच्चे सब इस खेल को खेलते हैं। एक, दो, तीन की गिनती के साथ प्रतियोगिता प्रारम्भ होती है। बच्चे भागते भागते ऊपर उचक कर जलेबी को खाते है और फिर से सरपट दौड़ने लगते हैं। इस खेल में '[[कहावत लोकोक्ति मुहावरे-ए|एक पंथ दो काज]]' होते हैं अर्थात् स्वाद का स्वाद और [[खेल]] का खेल। [[कार्बोहाइड्रेट]] खाओ और फिर उसे पचाओ। सबकी निगाहें घोषित पुरस्कार की ओर लगी रहती हैं, इससे उत्साह दुगुना हो जाता है। यह खेल अधिकतर स्कूलों में कराया जाता है।
  
  

07:46, 7 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

जलेबी दौड़ में भाग लेते बच्चे

जलेबी दौड़ एक पारंपरिक खेल है जिसमें एक रस्सी लम्बाई में बाँधी जाती है और उस रस्सी में धागे की सहायता से जलेबियाँ लटकाई जाती हैं। भाग लेने वाले बच्चों या प्रतियोगियों के हाथ पीछे की तरफ़ बाँध दिये जाते हैं। दौड़ लगाने वाले बच्चों या भाग लेने वाले को बिना हाथ लगाये मुँह से इन जलेबियों को खाना होता है। महिलाएं एवं बच्चे सब इस खेल को खेलते हैं। एक, दो, तीन की गिनती के साथ प्रतियोगिता प्रारम्भ होती है। बच्चे भागते भागते ऊपर उचक कर जलेबी को खाते है और फिर से सरपट दौड़ने लगते हैं। इस खेल में 'एक पंथ दो काज' होते हैं अर्थात् स्वाद का स्वाद और खेल का खेल। कार्बोहाइड्रेट खाओ और फिर उसे पचाओ। सबकी निगाहें घोषित पुरस्कार की ओर लगी रहती हैं, इससे उत्साह दुगुना हो जाता है। यह खेल अधिकतर स्कूलों में कराया जाता है।



टीका टिप्पणी और संदर्भ


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