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||मार्क्सवाद एक न्यायसंगत समाज, उत्पादन व वितरण पर आधारित समाज, शोषण विहीन, वर्ग विहीन, राज्य विहीन समाज के स्थापना की बात करना है और यह सब 'साम्यवाद' में ही संभव है। | ||मार्क्सवाद एक न्यायसंगत समाज, उत्पादन व वितरण पर आधारित समाज, शोषण विहीन, वर्ग विहीन, राज्य विहीन समाज के स्थापना की बात करना है और यह सब 'साम्यवाद' में ही संभव है। | ||
+ | {'श्रेणी समाजवाद' का संबंध निम्न में से किस देश से रहा है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-60,प्रश्न-54 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -[[फ़्रांस]] से | ||
+ | -[[अमेरिका]] से | ||
+ | +[[ब्रिटेन]] से | ||
+ | -[[भारत]] से | ||
+ | ||श्रेणी समाजवाद का उदय 20 वीं सदी में प्रारंभ इंग्लैंड में हुआ यह मूलत: फेवियन आंदोलन की ही एक शाखा थी। इसे गिल्ड समाजवाद भी कहा जाता है। इसे फ्रांस के श्रम संघवाद तथा ब्रिटेन के फेबियनवाद का विचित्र मिश्रण कहा जा सकता है। यह स्पष्टत: मार्क्सवाद का विरोधी है। यह मार्क्स के सभी प्रमुख सिद्धांतों- इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या, वर्ग संघर्ष, मूल्य का श्रम सिद्धांत, सर्वहारा का अधिनायकवाद, राज्य का लोप का विरोधी है। यह शांतिपूर्ण एवं संवैधानिक तरीकों में विश्वास करता है। ए.जे. पेटी ए.आर. ऑरेंज तथा एस.जी. हॉब्स इसके प्रमुख विचारक हैं। | ||
+ | |||
+ | {निम्न में से कौन [[राज्य]] का आवश्यक अंग नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-14,प्रश्न-55 | ||
+ | |type="()"} | ||
+ | -सरकार | ||
+ | -संप्रभुता | ||
+ | -भू-भाग | ||
+ | +कानून | ||
+ | ||गार्नर के अनुसार, राज्य के चार अनिवार्य अंग जनसंख्या, भूखंड, शासनतंत्र एवं संप्रभुता है। प्रजातंत्र राज्य का अनिवार्य अंग नहीं है। गार्नर के द्वारा दी गई राज्य की परिभाषा में राज्य के उपर्युक्त तत्वों का विश्लेषण सबसे अधिक विशद् एवं स्पष्ट है। | ||
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12:31, 16 नवम्बर 2017 का अवतरण
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