कार्ल मार्क्स
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कार्ल मार्क्स
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पूरा नाम | कार्ल हेनरिख मार्क्स |
जन्म | 5 मई, 1818 |
जन्म भूमि | ट्रायर, जर्मनी |
मृत्यु | 14 मार्च, 1883 |
मृत्यु स्थान | ब्रिटेन |
मुख्य रचनाएँ | 'द कम्युनिस्ट मनिफेस्तो' (1848) और 'दास कैपिटल' (1867) |
प्रसिद्धि | दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता |
नागरिकता | जर्मन |
अभिरुचि | राजनीति, अर्थशास्त्र, दर्शन, समाजशास्त्र, इतिहास, वर्ग संघर्ष। |
अन्य जानकारी | कार्ल मार्क्स को अपनी किताब 'द कम्युनिस्ट मनिफेस्तो' (1848) और 'दास कैपिटल' के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्धि प्राप्त है। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए थे। |
कार्ल हेनरिख मार्क्स (अंग्रेज़ी: Karl Marx ; जन्म- 5 मई, 1818, ट्रायर, जर्मनी; मृत्यु- 14 मार्च, 1883, ब्रिटेन) एक प्रसिद्ध जर्मन दार्शनिक, अर्थशास्त्री और वैज्ञानिक समाजवाद का प्रणेता था। समाज, अर्थशास्त्र और राजनीति के बारे में मार्क्स के सिद्धांतों की सामूहिक समझ को 'मार्क्सवाद' के रूप में जाना जाता है, जिसके अंतरगत यह बताया गया था कि मानव समाज वर्ग संघर्ष के माध्यम से प्रगति करता है।
संक्षिप्त परिचय
- कार्ल मार्क्स का जन्म 5 मई, 1818 ई. को त्रेवेस (प्रशा) के एक यहूदी परिवार में हुआ था। 1824 में उसके परिवार ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था।
- 17 वर्ष की अवस्था में मार्क्स ने क़ानून का अध्ययन करने के लिए बॉन विश्वविद्यालय में प्रवेश किया। तत्पश्चात् उसने बर्लिन और जेना विश्व-विद्यालयों में साहित्य, इतिहास और दर्शन का अध्ययन किया। इसी काल में वह हीगेल के दर्शन से बहुत प्रभावित हुआ।
- 1839-1841 में उसने दिमॉक्रितस और एपीक्यूरस के प्राकृतिक दर्शन पर शोघ-प्रबंध लिखकर डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।
- 1859 में मार्क्स ने अपने अर्थशास्त्रीय अध्ययन के निष्कर्ष 'जुर क्रिटिक दर पोलिटिशेन एकानामी' नामक पुस्तक में प्रकाशित किये। यह पुस्तक मार्क्स की उस बृहत्तर योजना का एक भाग थी, जो उसने संपुर्ण राजनीतिक अर्थशास्त्र पर लिखने के लिए बनाई थी। किंतु कुछ ही दिनो में उसे लगा कि उपलब्ध साम्रगी उसकी योजना में पूर्ण रूपेण सहायक नहीं हो सकती। अत: उसने अपनी योजना में परिवर्तन करके नए सिरे से लिखना आंरभ किया और उसका प्रथम भाग 1867 में 'दास कैपिटल'[1] के नाम से प्रकाशित किया।
- कार्ल मार्क्स को अपनी किताब 'द कम्युनिस्ट मनिफेस्तो' (1848) और 'दास कैपिटल' के लिए मुख्य रूप से प्रसिद्धि प्राप्त है। 'द कैपिटल' के शेष भाग मार्क्स की मृत्यु के बाद एंजेल्स ने संपादित करके प्रकाशित किए थे।
- 'वर्गसंघर्ष' का सिद्धांत कार्ल मार्क्स के 'वैज्ञानिक समाजवाद' का मेरूदंड है।
- मार्क्स का स्मारक मार्क्स-एंगेल्स-फोरम, बर्लिन-मित्ते में स्थापित है।
- पूर्वी जर्मनी में बर्लिन की दीवार के पतन तक कार्ल मार्क्स का चित्र वहाँ के उच्चतम मूल्य के नोटों पर था।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ द कैपिटल, हिन्दी में पूंजी शीर्षक से प्रगति प्रकाशन मास्को से चार भागों में
- ↑ शिक्षावोद व बुद्धिजीवी (हिन्दी) डेली जीके न्यूज। अभिगमन तिथि: 13 मार्च, 2015।