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||'समाजवाद' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने किया था, जो एक ब्रिटिश उद्योगपति, मानव प्रेमी एवं सहकारिता आंदोलन का अग्रदूत था। राबर्ट ओवेन द्वारा लिखित पुस्तकें क्रमश; 'ए न्यू व्यू ऑफ सोसाइटी', 'एसेज ऑन फॉर्मेशन ऑफ कैरेक्टर', 'सोशल सिस्टम', 'द बुक ऑफ द न्यू मोरल वर्ल्ड एवं द फ्यूचर ऑफ द ह्यूमन रेस' है।
 
||'समाजवाद' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने किया था, जो एक ब्रिटिश उद्योगपति, मानव प्रेमी एवं सहकारिता आंदोलन का अग्रदूत था। राबर्ट ओवेन द्वारा लिखित पुस्तकें क्रमश; 'ए न्यू व्यू ऑफ सोसाइटी', 'एसेज ऑन फॉर्मेशन ऑफ कैरेक्टर', 'सोशल सिस्टम', 'द बुक ऑफ द न्यू मोरल वर्ल्ड एवं द फ्यूचर ऑफ द ह्यूमन रेस' है।
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-मैक्यावेली
 
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-हॉब्स
 
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||बोदां ने संप्रभुता को परिभाषित करते हुए  लिखा है कि "यह नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति है।" बोदां ने संप्रभुता पर कानूनी दृष्टिकोण से विचार किया है। ज्ञातव्य है कि प्रभुसत्ता का कानूनी दृष्टिकोण सबसे पहले बोदां। और हॉब्स ने स्पष्ट किया और बाद में बेंथम और आस्टिन ने इसकी विस्तृत व्याख्या की।
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||बोदां ने संप्रभुता को परिभाषित करते हुए  लिखा है कि "यह नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति है।" बोदां ने संप्रभुता पर कानूनी दृष्टिकोण से विचार किया है। ज्ञातव्य है कि प्रभुसत्ता का कानूनी दृष्टिकोण सबसे पहले बोदां और हॉब्स ने स्पष्ट किया और बाद में बेंथम और आस्टिन ने इसकी विस्तृत व्याख्या की।
  
 
{हीगल ने नागरिक समाज को देखा- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-50
 
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+सार्विकता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में
 
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-सामंजस्य के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में
 
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||हीगल ने नागरिक समाज को सार्विकता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में देखा है। हीगल के राजनीतिक दर्शन का आधार 'विश्वात्मा' का विचार है। विश्व में पायी जाने वाली समस्त जड़ और चेतन वस्तुएँ इसी विश्वात्मा से नि:सृत हुई हैं। विश्वात्मा का धीरे-धीरे विकास होता रहता है। सर्वप्रथम जड़ जगत में इतनी अभिव्यक्ति होती है। फिर परिवार, समाज जैसी सामाजिक संस्थाओं में इसका प्रकटीकरण होता है। अन्त में विश्वात्मा 'राज्य' के रूप में प्रकट होती है।
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||हीगल ने नागरिक समाज को सार्विकता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में देखा है। हीगल के राजनीतिक दर्शन का आधार 'विश्वात्मा' का विचार है। विश्व में पायी जाने वाली समस्त जड़ और चेतन वस्तुएँ इसी विश्वात्मा से नि:सृत हुई हैं। विश्वात्मा का धीरे-धीरे विकास होता रहता है। सर्वप्रथम जड़ जगत में इतनी अभिव्यक्ति होती है फिर परिवार, समाज जैसी सामाजिक संस्थाओं में इसका प्रकटीकरण होता है। अन्त में विश्वात्मा 'राज्य' के रूप में प्रकट होती है।
  
 
{यह कथन किसका है कि "स्वतंत्रता और समानता न तो एक-दूसरे के विरोधी हैं और न ही पृथक वे एक आदर्श के दो रूप हैं"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-17
 
{यह कथन किसका है कि "स्वतंत्रता और समानता न तो एक-दूसरे के विरोधी हैं और न ही पृथक वे एक आदर्श के दो रूप हैं"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-17
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+हर्बर्ट डीन
 
+हर्बर्ट डीन
 
-डेविड ह्मूम
 
-डेविड ह्मूम
||वर्तमान कल्याणकारी राज्य में स्वतंत्रता एवं समानता को एक-दूसरे का विरोधी न मानकर पूरक माना जाता है। दोनों का उद्देश्य एक ही है वह है व्यक्ति के व्यक्तित्व का स्वाभाविक विकास्। जैसा कि हबर्ट डीन लिखते हैं, "स्वतंत्रता और समानता न तो विरोधी है और न ही पृथक परंतु एक ही आदर्श के दो पक्ष है।" गेन्स के अनुसार "स्वतंत्रता और समानता में कोई विरोध नहीं है। हमें इस तरह के समाज का निर्माण करना चाहिए जो इतनी समानता प्रदान करें कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों पर किसी भी प्रकार की असमानता थोपे बिना अपनी जीवन को नियंत्रित करने के लिए स्वतंत्र हो।"
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||वर्तमान कल्याणकारी राज्य में स्वतंत्रता एवं समानता को एक-दूसरे का विरोधी न मानकर पूरक माना जाता है। दोनों का उद्देश्य एक ही है वह है व्यक्ति के व्यक्तित्व का स्वाभाविक विकास् जैसा कि हबर्ट डीन लिखते हैं, "स्वतंत्रता और समानता न तो विरोधी है और न ही पृथक परंतु एक ही आदर्श के दो पक्ष है।" गेन्स के अनुसार "स्वतंत्रता और समानता में कोई विरोध नहीं है। हमें इस तरह के समाज का निर्माण करना चाहिए जो इतनी समानता प्रदान करें कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरों पर किसी भी प्रकार की असमानता थोपे बिना अपनी जीवन को नियंत्रित करने के लिए स्वतंत्र हो।"
  
 
{किसने एकात्मक राज्य की परिभाषा "एक केंद्रीय सरकार के अंतर्गत संगठित" राज्य के रूप में दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-10
 
{किसने एकात्मक राज्य की परिभाषा "एक केंद्रीय सरकार के अंतर्गत संगठित" राज्य के रूप में दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-10
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+[[भारत]], नाइजीरिया, [[श्रीलंका]]
 
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||'तीसरी दुनिया' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी जनांकिकीयविद् मानवशास्त्री एवं इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने फ्रांसीसी पत्रिका फल 'आब्जर्वफीयूर' में अपने एक प्रकाशित लेख में 14 अगस्त, 1952 को किया। तीसरी दुनिया के देशों में [[अफ्रीका]], लैटिन अमेरिका, ओशीनिया तथा एशिया क्षेत्र के देश आते हैं जो यूरोपीय देशों के उपनिवेश रह चुके हैं। इनमें तटस्थ तथा गुट निरपेक्षा देश शामिल हैं। पहली दुनिया के देशों में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], ब्रिटेन तथा उनके गठबंधन देश तथा दूसरी दुनिया में सोवियत संघ, चीन तथा उनके गठबंधन देश शामिल हैं। तीसरी दुनिया के देशों में भारत, पाकिस्तान बांग्लादेश, श्रीलंका, नाइजीरिया इत्यादि शामिल हैं।
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||'तीसरी दुनिया' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग फ्रांसीसी जनांकिकीयविद् मानवशास्त्री एवं इतिहासकार अल्फ्रेड सॉवी ने फ्रांसीसी पत्रिका फल 'आब्जर्वफीयूर' में अपने एक प्रकाशित लेख में 14 अगस्त, 1952 को किया। तीसरी दुनिया के देशों में [[अफ्रीका]], लैटिन [[अमेरिका]], ओशीनिया तथा एशिया क्षेत्र के देश आते हैं जो यूरोपीय देशों के उपनिवेश रह चुके हैं। इनमें तटस्थ तथा गुट निरपेक्षा देश शामिल हैं। पहली दुनिया के देशों में [[संयुक्त राज्य अमेरिका]], [[ब्रिटेन]] तथा उनके गठबंधन देश तथा दूसरी दुनिया में सोवियत संघ, [[चीन]] तथा उनके गठबंधन देश शामिल हैं। तीसरी दुनिया के देशों में [[भारत]], [[पाकिस्तान]], [[बांग्लादेश]], [[श्रीलंका]], नाइजीरिया इत्यादि शामिल हैं।
  
 
{परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में आई: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-26
 
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-1962 में
 
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||1 जुलाई, 1968 को अमेरिका एवं अन्य 61 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty)  पर हस्ताक्षर किए। परंतु यह संधि वास्तव में 5 मार्च, 1970 को प्रभावी हुई।
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||1 जुलाई, 1968 को [[अमेरिका]] एवं अन्य 61 देशों ने परमाणु अप्रसार संधि (Non-Proliferation Treaty)  पर हस्ताक्षर किए परंतु यह संधि वास्तव में 5 मार्च, 1970 को प्रभावी हुई।
  
 
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12:11, 17 फ़रवरी 2018 का अवतरण

1 "दुनिया में प्रत्येक मनुष्य की आवश्यकता की पूर्ति के लिए पर्याप्त संसाधन है, न कि उसके लालच के लिए।" उपर्युक्त कथक किसके नाम से जाना जाता है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-39, प्रश्न-2

कार्ल मार्क्स
माओत्से तुंग
महात्मा गांधी
हो ची मिन्ह

2 'समाजवाद' शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम निम्नलिखित में से किसके द्वारा किया गया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-55,प्रश्न-28

लेनिन
रॉबर्ट ऑवन
कार्ल मार्क्स
हीगल

3 "नागरिकों और प्रजाजनों पर विधि से अमर्यादित सर्वोच्च शक्ति" संप्रभुता की यह परिभाषा किसने दी है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-27,प्रश्न-29

बोदां
ऑस्टिन
मैक्यावेली
हॉब्स

4 हीगल ने नागरिक समाज को देखा- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-72,प्रश्न-50

विशिष्टता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में
स्वतंत्रता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में
सार्विकता के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में
सामंजस्य के प्रभाव-क्षेत्र के रूप में

5 यह कथन किसका है कि "स्वतंत्रता और समानता न तो एक-दूसरे के विरोधी हैं और न ही पृथक वे एक आदर्श के दो रूप हैं"? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-86,प्रश्न-17

पैरटो
मेंटरलैंड
हर्बर्ट डीन
डेविड ह्मूम

6 किसने एकात्मक राज्य की परिभाषा "एक केंद्रीय सरकार के अंतर्गत संगठित" राज्य के रूप में दी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-95,प्रश्न-10

स्ट्रांग
गार्नर
विलोबी
फाइनर

7 निम्नलिखित में से कौन एक एकात्मक राज्य है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-96,प्रश्न-11

यू.एस.ए.
भारत
ऑस्ट्रेलिया
यू.के.

8 दबाव समूह के विषय में क्या सत्य नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-108,प्रश्न-26

वे संगठित होते हैं।
वे राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं।
वे सरकार पर दबाव डालते हैं।
वे चुनाव लड़ते हैं।

9 भारत में 'इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की स्थापना किस रिपोर्ट की सिफारिश के आधार पर हुई? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-131,प्रश्न-16

गोरेवाला रिपोर्ट
संथानम रिपोर्ट
एपलबी रिपोर्ट
आयंगर रिपोर्ट

10 निम्नलिखित में से कौन तृतीय विश्व के सदस्य हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-25

जापान, कनाडा, पूर्व सोवियत संघ
अमेरिका, जर्मनी, नीदरलैंड
भारत, नाइजीरिया, श्रीलंका
भारत, जापान, कनाडा

11 परमाणु अप्रसार संधि अस्तित्व में आई: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-114,प्रश्न-26

1968 में
1970 में
1962 में
1972 में