"दाम (सिक्का)" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
<br />
 
<br />
 
*[[बाबर]] ने [[काबुल]] में [[शाहरुख़ (सिक्का)|शाहरुख़]] नामक [[चाँदी]] का सिक्का तथा [[कंधार]] में [[बाबरी]] (चाँदी) सिक्का चलाया। [[मुग़ल काल]] में मुख्य रूप से तीन प्रकार के [[धातु]] के सिक्के ‘सोने की मुहर’, ‘चाँदी का रुपया’ एवं [[ताँबा]] के दाम प्रचलन में थे।
 
*[[बाबर]] ने [[काबुल]] में [[शाहरुख़ (सिक्का)|शाहरुख़]] नामक [[चाँदी]] का सिक्का तथा [[कंधार]] में [[बाबरी]] (चाँदी) सिक्का चलाया। [[मुग़ल काल]] में मुख्य रूप से तीन प्रकार के [[धातु]] के सिक्के ‘सोने की मुहर’, ‘चाँदी का रुपया’ एवं [[ताँबा]] के दाम प्रचलन में थे।
*अपने शासन काल के प्रारंभ में [[अकबर]] ने ‘मुहर’ नामक सिक्का चलाया। सोने के सिक्कों में शहनशाह, आत्मा बिसात, चुगुल और [[जलाली]] महत्त्वपूर्ण थे। ‘चाँदी का रुपया’ एवं तांबे के दाम प्रचलन में थे।
+
*अपने शासन काल के प्रारंभ में [[अकबर]] ने ‘[[मुहर (सिक्का)|मुहर]]’ नामक सिक्का चलाया। सोने के सिक्कों में [[शहंशाह (सिक्का)|शहंशाह]], [[आत्मा बिसात]], [[चुगुल]] और [[जलाली]] महत्त्वपूर्ण थे। ‘चाँदी का रुपया’ एवं तांबे के दाम प्रचलन में थे।
 
*अकबर ने ‘जलाली’ नाम का चौकोर आकार का रुपया चलाया था। तांबे का ‘दाम' व 'पैसा’ या ‘फलूस’ 323.5 ग्रेन का बना होता था।
 
*अकबर ने ‘जलाली’ नाम का चौकोर आकार का रुपया चलाया था। तांबे का ‘दाम' व 'पैसा’ या ‘फलूस’ 323.5 ग्रेन का बना होता था।
 
*दैनिक लेन-देन व छोटे लेन-देन में तांबे के दाम का प्रयोग होता था।  
 
*दैनिक लेन-देन व छोटे लेन-देन में तांबे के दाम का प्रयोग होता था।  

09:07, 8 फ़रवरी 2021 के समय का अवतरण

दाम 323.5 ग्रेन का ताम्र सिक्का था, जो शेरशाह द्वारा प्रयोग में लाया गया था। यह सिक्का मुग़लों द्वारा भी प्रयोग किया जाता रहा। 40 दाम एक रुपया के बराबर था।

  • बाबर ने काबुल में शाहरुख़ नामक चाँदी का सिक्का तथा कंधार में बाबरी (चाँदी) सिक्का चलाया। मुग़ल काल में मुख्य रूप से तीन प्रकार के धातु के सिक्के ‘सोने की मुहर’, ‘चाँदी का रुपया’ एवं ताँबा के दाम प्रचलन में थे।
  • अपने शासन काल के प्रारंभ में अकबर ने ‘मुहर’ नामक सिक्का चलाया। सोने के सिक्कों में शहंशाह, आत्मा बिसात, चुगुल और जलाली महत्त्वपूर्ण थे। ‘चाँदी का रुपया’ एवं तांबे के दाम प्रचलन में थे।
  • अकबर ने ‘जलाली’ नाम का चौकोर आकार का रुपया चलाया था। तांबे का ‘दाम' व 'पैसा’ या ‘फलूस’ 323.5 ग्रेन का बना होता था।
  • दैनिक लेन-देन व छोटे लेन-देन में तांबे के दाम का प्रयोग होता था।
  • शाहजहाँ ने दाम और रुपये के मध्य ‘आना’ नामक नये सिक्के का प्रचलन करवाया।
  • एक रुपये में 40 दाम होते थे।

इन्हें भी देखें: टकसाल, मुग़लकालीन राजस्व प्रणाली एवं मुग़लकालीन शासन व्यवस्था


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख