अथिराप्पिल्ली जलप्रपात

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अथिराप्पिल्ली जलप्रपात (अंग्रेज़ी: Athirappilly Falls) केरल का प्रसिद्ध जलप्रपात है, जो त्रिशूर ज़िले में स्थित है। यह जलप्रपात चलाकुद्य नदी, जो पश्चिमी घाट के स्रोत से निकलती है, पर स्थित है। यह शानदार झरना 'भारत का नियाग्रा' कहा जाता है। अथिराप्पिल्ली जलप्रपात अपने वेग और शोर के साथ गिरने वाले झरने के रूप में मशहूर है, जिसे बॉलीवुड की अनेक फिल्मों में फिल्माया गया है, जैसे प्रसिद्ध फ़िल्म 'बाहुबली'।

  • चलाकुद्य नदी वाज़चुला वन विभाग से बहती है। अथिराप्पिल्ली जलप्रपात 24 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और नीचे नदी में शामिल हो जाता है।
  • अथिराप्पिल्ली जलप्रपात विभिन्न स्थानों से देखा जा सकता है, सड़क जो जंगल के रास्ते जाती है, उससे भी जलप्रपात से पानी गिरने का अतभुत नज़ारा देखा जा सकता है।
  • इस जलप्रपात को ऊपर से भी देखा जा सकता है, जिसके लिए पर्यटकों को प्रवेश टिकट खरीदना होता है और मुख्य प्रवेश द्वार से जाना होता है। वहां पर छोटे रेस्तरां और पर्यटकों के आराम करने के लिए कॉफ़ी की दुकानों है।[1]
  • ज़्यादातर इलाकों में सड़क का निर्माण किया गया है ताकि यातायात को सुचारू रूप से चलाया जा सके, हालांकि पर्यटकों को उन सड़कों पर यात्रा करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
  • दूसरे दृश्य के लिए पर्यटक नीचे प्रपात गिरने की ओर जा सकते हैं, जिसके लिए भी एक सड़क का निर्माण किया गया है।
  • सबसे सुंदर दृश्य प्रपात के नीचे ही है, जहाँ पर्यटक पानी को गिरता देख सकते हैं। यहाँ सड़क ढलान वाली है।
  • अथिराप्पिल्ली जलप्रपात अपने वेग और शोर के साथ गिरने वाले झरने के रूप में मशहूर है, जिसे बॉलीवुड की अनेक फिल्मों में फिल्माया गया है, जैसे प्रसिद्ध फ़िल्म 'बाहुबली'। लेकिन जल्दी ही यह प्रपात अपना वेग और अवाज़ खो देगा, यदि त्रिशूर ज़िले में चालाकुडी नदी पर प्रस्तावित 'हाइडल पावर परियोजना' को लागू कर दिया जाता है। यह 200 हेक्टेयर वन भूमि को जलमग्न कर देना, जो समृद्ध वनस्पत्ति और जीव-जंतुओं को प्रभावित करने के अलावा बाघों, हाथियों, खतरे में पड़ी मालाबार गिलहरी और ग्रेट इंडियन हार्नबिल का पर्यावास है। यह उन महत्त्वपूर्ण 500 आदिवासी परिवारों को भी विस्थापित कर देगा, जिन्होंने यह घोषणा की है कि "उन्हें बांघ बनाने से पहले हमें मारना होगा। यह हरे-भरे इलाकों को तहस-नहस और इस पवित्र झरने को नष्ट करने की एक साजिश है। हम इसका मरते दम तक विरोध करेंगे।" विस्थापित आदिवासी निचले इलाकों में नहीं आ सकते, जहां पहले से ही 4 लाख लोग रहते हैं और जहां व्यवसाय करने की जगह नहीं है।
  • पश्चिमी घाटों पर माधव गाडगिल विशेष पैनल ने अथिराप्पिल्ली और आसपास के इलाकों को पारिस्थतिकी-संवेदनशील सूची में रखा है तथा 1978 में पहली बार बांध बनाने के प्रस्ताव को मंजूरी देने का विरोध किया था। राज्य सरकारों को पर्यावरण सुरक्षा तथा दलितों के उत्थान पर बात करने की जरूरत है।[2]


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  1. अथिराप्पिल्ली जलप्रपात, अथिराप्पिल्ली (हिन्दी) nativeplanet.com। अभिगमन तिथि: 18 दिसम्बर, 2016।
  2. विरासत, भारतीय सांस्कृतिक निधि की पत्रिका, जुलाई-सितम्बर 2016, पृ.सं. 61