एम. एन. वेंकटचेलैय्या

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मनीपल्ली नारायण राव वेंकटचेलैय्या (अंग्रेज़ी: Manepalli Narayana Rao Venkatachaliah, जन्म- 25 अक्टूबर, 1929) भारत के भूतपूर्व 25वें मुख्य न्यायाधीश थे। वह 12 फ़रवरी, 1993 से 24 अक्टूबर, 1994 तक मुख्य न्यायाधीश के पद पर रहे। उन्होंने 1996-1998 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।

  • एम. एन. वेंकटचेलैय्या श्री सत्य साईं इंस्टीट्यूट ऑफ हायर लर्निंग (डीम्ड यूनिवर्सिटी)के कुलाधिपति भी रहे। एक ऐसा स्थान जहां शिक्षक-छात्र की बातचीत इंटीग्रल की प्रक्रिया की पृष्ठभूमि में होती है।
  • उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय से विज्ञान में स्नातक और बैंगलोर विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
  • सन 1951 में उन्होंने कानून का अभ्यास शुरू किया।
  • 6 नवंबर, 1975 को एम. एन. वेंकटचेलैय्या को कर्नाटक उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया।
  • 5 अक्टूबर, 1987 को उन्हें भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।
  • बाद में एम. एन. वेंकटचेलैय्या भारत के 25वें मुख्य न्यायाधीश बने।
  • सेवानिवृत्ति के बाद उन्होंने भ्रष्टाचार विरोधी और मानवाधिकार मुद्दों पर काम करना जारी रखा, जिसमें 2003 में इनिशिएटिव ऑफ चेंज सेंटर फॉर गवर्नेंस के शुभारंभ के लिए समर्थन भी शामिल है।
  • एम. एन. वेंकटचेलैय्या ने 1996-1998 तक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया।
  • साल 2000 में उन्होंने संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग का नेतृत्व किया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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