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*इस व्रत के दिन चाँदी के अशोक वृक्ष, [[ब्रह्मा]] एवं [[सावित्री]] की मूर्तियों की पूजा करनी चाहिए। | *इस व्रत के दिन चाँदी के अशोक वृक्ष, [[ब्रह्मा]] एवं [[सावित्री]] की मूर्तियों की पूजा करनी चाहिए। |
16:22, 25 फ़रवरी 2011 का अवतरण
- भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
- यह व्रत ज्येष्ठ, भाद्रपद या मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी से तीन रातों तक किया जाता है।
- इस व्रत के दिन चाँदी के अशोक वृक्ष, ब्रह्मा एवं सावित्री की मूर्तियों की पूजा करनी चाहिए।
- व्रत के दूसरे दिन उमा एवं महेश्वर की तथा तीसरे दिन लक्ष्मी एवं नारायण की पूजा और उसके उपरान्त मूर्तियों का दान करना चाहिए।
- यह व्रत पापों को काटता है, रोगों का नाश करता है तथा पुत्रों एवं पौत्रों को लम्बी आयु, यश, सम्पत्ति एवं समृद्धि प्रदान करता है।[1]
- यह व्रत अधिकांशतः नारियों के द्वारा किया जाता है।
टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रतखण्ड (2, 279-283); व्यवहार प्रकाश, व्रतार्क
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