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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[अष्टमी]] को अशोकाष्टमी व्रत रखा जाता है।
 
*[[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[अष्टमी]] को अशोकाष्टमी व्रत रखा जाता है।
 
*यदि [[बुध देवता|बुध]] हो और पुनर्वसु [[नक्षत्र]] हो तो विशेष पुण्य होता है।
 
*यदि [[बुध देवता|बुध]] हो और पुनर्वसु [[नक्षत्र]] हो तो विशेष पुण्य होता है।
*अशोकाष्टमी के दिन अशोक के पुष्पों से [[दुर्गा]] की पूजा की जाती है।
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*अशोकाष्टमी के दिन [[अशोक वृक्ष|अशोक]] के पुष्पों से [[दुर्गा]] की पूजा की जाती है।
 
*अशोक की आठ कलियों से युक्त [[जल]] पीना तथा '''त्वामशोक हराभीष्टं मधुमास-समुद्भवम्। पिबामि शोकसन्तप्तो मामशोक सदा कुरु।।''' के मन्त्र का जाप करना चाहिये।
 
*अशोक की आठ कलियों से युक्त [[जल]] पीना तथा '''त्वामशोक हराभीष्टं मधुमास-समुद्भवम्। पिबामि शोकसन्तप्तो मामशोक सदा कुरु।।''' के मन्त्र का जाप करना चाहिये।
*इस मन्त्र के साथ अशोक के वृक्ष की पूजा करनी चाहिये। <ref>काल-विवेक (422); हेमाद्रि (काल, 626), हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 862-63 एवं 875-876); कृत्यरत्नाकर (126-127); राजमार्तण्ड (1379-1380); पुरुषार्थचिन्तामणि (109); स्मृतिकौस्तुभ (94)</ref>
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*इस मन्त्र के साथ अशोक के वृक्ष की पूजा करनी चाहिये। <ref>काल-विवेक (422); हेमाद्रि (काल, 626), हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 862-63 एवं 875-876); कृत्यरत्नाकर (126-127); राजमार्तण्ड (1379-1380); पुरुषार्थचिन्तामणि (109); स्मृतिकौस्तुभ (94</ref>
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  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को अशोकाष्टमी व्रत रखा जाता है।
  • यदि बुध हो और पुनर्वसु नक्षत्र हो तो विशेष पुण्य होता है।
  • अशोकाष्टमी के दिन अशोक के पुष्पों से दुर्गा की पूजा की जाती है।
  • अशोक की आठ कलियों से युक्त जल पीना तथा त्वामशोक हराभीष्टं मधुमास-समुद्भवम्। पिबामि शोकसन्तप्तो मामशोक सदा कुरु।। के मन्त्र का जाप करना चाहिये।
  • इस मन्त्र के साथ अशोक के वृक्ष की पूजा करनी चाहिये। [1]
  • कालविवेक [2], कृत्यरत्नाकर [3], कृत्यतत्त्व [4] आदि निबन्धों में आया है कि चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को सभी तीर्थ एवं नदियाँ ब्रह्मपुत्र में आ जाती हैं।
  • उस दिन के स्नान से, जब कि बुधवार पुनर्वसु नक्षत्र में पड़ता है, बाजपेय के समान फल मिलता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. काल-विवेक (422); हेमाद्रि (काल, 626), हेमाद्रि (व्रत खण्ड 1, 862-63 एवं 875-876); कृत्यरत्नाकर (126-127); राजमार्तण्ड (1379-1380); पुरुषार्थचिन्तामणि (109); स्मृतिकौस्तुभ (94
  2. कालविवेक 422
  3. कृत्यरत्नाकर 126
  4. कृत्यतत्त्व 463

अन्य संबंधित लिंक

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