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'''असम गण परिषद''' (अगप) भारतीय राज्य [[असम]] की क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी है। यह पार्टी ऐतिहासिक 'असम आंदोलन' के बाद अस्तित्व में आई थी। चुनाव के बाद इसके अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महन्त असम राज्य के [[मुख्यमंत्री]] बने थे।
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'''असम गण परिषद''' (अगप) भारतीय राज्य [[असम]] की क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी है। यह पार्टी ऐतिहासिक 'असम आंदोलन' के बाद अस्तित्व में आई थी। चुनाव के बाद इसके अध्यक्ष [[प्रफुल्ल कुमार महन्त]] असम राज्य के [[मुख्यमंत्री]] बने थे।
  
 
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*[[2001]] के विधान सभा चुनावों में ‘असम गण परिषद’ की सीटों में कमी आयी और वह मात्र 20 सीटों तक ही सीमित रह गई।
 
*[[2001]] के विधान सभा चुनावों में ‘असम गण परिषद’ की सीटों में कमी आयी और वह मात्र 20 सीटों तक ही सीमित रह गई।

08:05, 11 फ़रवरी 2020 के समय का अवतरण

असम गण परिषद
असम गण परिषद
पूरा नाम असम गण परिषद
संक्षेप नाम अगप (AGP)
गठन 1985
प्रथम अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महन्त
वर्तमान अध्यक्ष अतुल बोरा
मुख्यालय गोपीनाथ बारदोलोई रोड, गुवाहाटी, 781001
विचारधारा क्षेत्रवाद
युवा संगठन असम युवा परिषद
महिला संगठन असम महिला परिषद
संबंधित लेख भारत के राजनीतिक दल, असम
किसान शाखा असम कृषक परिषद
संसद में सीटों की संख्या
लोकसभा 0/545
राज्यसभा 1/245
विधानसभा 10/126
आधिकारिक वेबसाइट असम गण परिषद

असम गण परिषद (अगप) भारतीय राज्य असम की क्षेत्रीय राजनैतिक पार्टी है। यह पार्टी ऐतिहासिक 'असम आंदोलन' के बाद अस्तित्व में आई थी। चुनाव के बाद इसके अध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार महन्त असम राज्य के मुख्यमंत्री बने थे।

  • यह असम का प्रमुख क्षेत्रीय दल है, जिसका उदय 'असम आंदोलन' के फलस्वरूप हुआ था।
  • असमिया मूल के लोगों में यह आशंका घर कर चुकी थी कि वे अल्पसंख्यक बन जायेंगे, क्योंकि भारत की सीमा पार से लाखों बंग्लादेशी वहाँ आकर बसते जा रहे थे। इसके विरुद्ध 1978 ई. में वहाँ पर एक व्यापक आंदोलन की शुरुआत हुई।
  • आठ वर्षों के पश्चात् 1985 में वहाँ चुनाव हुए, जिसमें भाग लेने के लिए आंदोलनकारियों ने ‘असम गण परिषद’ नाम के एक क्षेत्रीय दल का गठन किया, जिसने विधान सभा में पूर्ण बहुमत प्राप्त किया और प्रफुल्ल कुमार महन्त वहाँ के मुख्यमंत्री बने।
  • वर्ष 1991 में होने वाले विधान सभा चुनावों में सत्ता कांग्रेस के हाथ में आ गई। बाद में 1996 में सत्ता पुन: ‘असम गण परिषद’ के पास रही।
  • 2001 के विधान सभा चुनावों में ‘असम गण परिषद’ की सीटों में कमी आयी और वह मात्र 20 सीटों तक ही सीमित रह गई।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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