"कलचुरी वंश" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 5: पंक्ति 5:
 
#[[कर्णदेव]]
 
#[[कर्णदेव]]
  
{{संदर्भ ग्रंथ}}
+
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
पंक्ति 11: पंक्ति 11:
 
{{कलचुरी वंश}}
 
{{कलचुरी वंश}}
 
{{भारत के राजवंश}}
 
{{भारत के राजवंश}}
[[Category:भारत के राजवंश]]         
+
[[Category:कलचुरि वंश]][[Category:भारत के राजवंश]]         
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
[[Category:इतिहास कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

13:22, 9 मार्च 2013 का अवतरण

कोकल्ल प्रथम ने लगभग 845 ई. में कलचुरी वंश की स्थापना की थी। उसने त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया था। सम्भवतः ये चन्द्रवंशी क्षत्रिय थे। कोकल्ल प्रतिहार शासक भोज एवं उसके सामन्तों को युद्ध में हराया । उसने तुरुष्क, वंग एवं कोंकण पर भी अधिकार कर लिया। विलहारी लेख में कोकल्ल के विषय में कहा गया है कि 'समस्त पृथ्वी को विजित कर उसने दक्षिण में कृष्णराज एवं उत्तर में भोज को अपने दो कीर्तिस्तम्भ के रूप में स्थापित किया। कोकल्ल के 18 पुत्रों में से उसका बड़ा पुत्र शंकरगण अगला कलचुरी शासक बना।

  1. शंकरगण
  2. लक्ष्मणराज
  3. गांगेयदेव विक्रमादित्य
  4. कर्णदेव


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख