एक्स्प्रेशन त्रुटि: अनपेक्षित उद्गार चिन्ह "१"।

"कालीबंगा" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
पंक्ति 33: पंक्ति 33:
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>
 +
==सम्बंधित लेख==
 +
{{सिन्धु घाटी की सभ्यता}}
 
[[Category:हड़प्पा_संस्कृति]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:सिन्धु घाटी की सभ्यता]]__INDEX__
 
[[Category:हड़प्पा_संस्कृति]][[Category:इतिहास_कोश]][[Category:सिन्धु घाटी की सभ्यता]]__INDEX__

12:32, 23 सितम्बर 2010 का अवतरण

कालीबंगा (काले रंग की चूड़ियां)

यह स्थल राजस्थान के गंगानगर ज़िले में घग्घर नदी के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में 'बी.बी. लाल' एवं 'बी. के. थापड़' द्वारा करायी गयी। यहां पर प्राक् हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं।

हड़प्पा एवं मोहनजोदाड़ो की भांति यहां पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी रही होगी।

कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं।

अन्य हड़प्पा कालीन नगरों की भांति कालीबंगा दो भागों नगर दुर्ग (या गढ़ी) और नीचे दुर्ग में विभाजित था। नगर दुर्ग समनान्तर चतुर्भुजाकार था। यहां पर भवनों के अवशेष से स्पष्ट होता है कि यहां भवन कच्ची ईटों के बने थे।

कालीबंगा में 'प्राक् सैंधव संस्कृति' की सबसे महत्वपूर्ण उपलब्धि एक जुते हुए खेत का साक्ष्य है जिसके कुंडों के बीच का फासला पूर्व में पश्चिम की ओर 30 से.मी. है और उत्तर से दक्षिण 1.10 मीटर है। कम दूरी के खांचों में चना एवं अधिक दूरी के खाचों में सरसों बोई जाती थी।

यहां पर लघु पाषाण उपकरण, मणिक्य एवं मिट्टी के मनके, शंख, कांच एवं मिट्टी की चूड़ियां, खिलौना गाड़ी के पहिए, सांड की खण्डित मृण्मूर्ति, सिलबट्टे आदि पुरावशेष मिले हैं। यहां से प्राप्त शैलखड़ी की मुहरें (सीलें) और मिट्टी की छोटी मुहरे (सीले) महत्वपूर्ण अभिलिखित वस्तुएं थी। मिट्टी की मुहरों पर सरकण्डे के छाप या निशान से यह लगता है कि इनका प्रयोग पैकिंग के लिए किया जाता रहा होगा।

एक सील पर किसी अराध्य देव की आकृति है। यहां से प्राप्त मुहरें 'मेसोपोटामियाई' मुहरों के समकक्ष थी। कालीबंगा की प्राक्-सैंधव बस्तियों में प्रयुक्त होने वाली कच्ची ईटें 30x20x10 से.मी. आकार की होती थी। यहां से मिले मकानों के अवशेषों से पता चलता है कि सभी मकान कच्ची ईटों से बनाये गये थे, पर नाली और कुओं में पक्की ईटों का प्रयोग किया गया था। यहां पर कुछ ईटें अलंकृत पायी गयी हैं। कालीबंगा का एक फर्श पूरे हड़प्पा का एक मात्र उदाहरण है जहाँ अलंकृत ईटों का प्रयोग किया गया है। इस पर प्रतिच्छेदी वृत का अलंकरण हैं।

कालीबंगा के दक्षिण-पश्चिम में कब्रिस्तान स्थित था। यहां से शव विसर्जन के 37 उदाहरण मिले हैं। यहां अन्त्येष्टि संस्कार की तीन विधियां प्रचलित थी -

  1. पूर्व समाधीकरण,
  2. आंशिक समाधिकरण
  3. दाह संस्कार।

यहां पर बच्चे की खोपड़ी मिले है जिसमें 6 छेद हैं, इसे 'जल कपाली' या 'मस्तिष्क शोध' की बीमारी का पता चलता है। यहां से एक कंकाल मिला है जिसके बाएं घुटने पर किसी धारदार कुल्हाड़ी से काटने का निशान है।

यहां से भूकम्प के प्राचीनतम साक्ष्य के प्रमाण मिलते है। सम्भवतः घग्घर नदी के सूख जाने से कालीबंगा का विनाश हो गया।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

सम्बंधित लेख