जयंत

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रिया (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:02, 15 नवम्बर 2010 का अवतरण ('*चित्रकूट पर्वत के वनों में विचरण करते हुए राम और [[स...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
  • चित्रकूट पर्वत के वनों में विचरण करते हुए राम और सीता थककर विश्राम कर रहे थे। सीता और राम दोनों ही सौ रहे थे।
  • मांस-भक्षण की इच्छा से एक कौए ने जाकर सीता के स्तन पर प्रहार किया। सीता के स्तन से रक्त गिरने लगा।
  • खून के स्पर्श से राम की नींद खुली तो उसने संपूर्ण घटना को जाना तथा क्रुद्ध होकर राम ने ब्रह्मास्त्र के मंत्र से आमंत्रित करके एक कुशा को धनुष से छोड़ा।
  • वह कौए के वेश में इंद्र का पुत्र जयंत था।
  • कौआ विविध लोकों में रक्षा की कामना से गया, किंतु कुशा ने उसका पीछा नहीं छोड़ा।
  • अंत में वह पुन: राम की शरण में पहुँचा और राम ने उसे क्षमा कर दिया किंतु ब्रह्मास्त्र के मंत्रों से पूत कुशा व्यर्थ नहीं जा सकती थी अत: उसने कौए की दाहिनी आँख फोड़ दी किंतु उसके प्राण बच गए।

बा0 रा0, युद्ध कांड, सर्ग 38 श्लोक 12-38 सुंदर कड, सर्ग 67, श्लोक 1-18

  • मेघनाथ और इंद्र के युद्ध में भयंकर माया का विस्तार हुआ।
  • मेघनाथ ने सब ओर अंधकार का प्रसार कर दिया। हाथ को हाथ नहीं सूझता था। तभी शची का पिता पुलोमा जयंत को उठाकर समुद्र में ले गया।
  • राक्षस और देवसेना जयंत को न देखकर भागा हुआ या मरा हुआ मानते रहे।
  • युद्ध-समाप्ति के उपरांत ब्रह्मा ने इंद्र को बतलाया कि जयंत जीवित है और उसका नाना पुलोमा उसे लेकर 'महासमुद्र' में चला गया है।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध