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*[[भारत]] के काफ़ी बड़े क्षेत्रफल पर उसने अपनी विजय पताकाएँ फहराई थीं। | *[[भारत]] के काफ़ी बड़े क्षेत्रफल पर उसने अपनी विजय पताकाएँ फहराई थीं। | ||
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11:03, 3 मार्च 2013 के समय का अवतरण
तोरमाण हूणों का एक प्रसिद्ध नेता था, जिसने 500 ई. के लगभग मालवा पर अधिकार किया था। मिहिरकुल तोरमाण का ही पुत्र था, जिसने हूण साम्राज्य का विस्तार अफ़ग़ानिस्तान तक किया।
- तोरमाण ने कई विजय अभियान किये थे, एक बड़े विस्तृत भू-भाग पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था।
- अपनी विजयों के बाद उसने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी।
- भारत के काफ़ी बड़े क्षेत्रफल पर उसने अपनी विजय पताकाएँ फहराई थीं।
- उसका प्रभुत्व सम्भवत: मध्य प्रदेश, नमक की पहाड़ियों तथा मध्य भारत तक व्याप्त था।
- बहुत बड़ी संख्या में तोरमाण के चाँदी के सिक्के बरामद हुए हैं।
- तोरमाण का सुप्रसिद्ध पुत्र मिहिरकुल अथवा 'मिहिरगुल' लगभग 502 ई. में उसका उत्तराधिकारी बना था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
भारतीय इतिहास कोश |लेखक: सच्चिदानन्द भट्टाचार्य |प्रकाशक: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान |पृष्ठ संख्या: 192 |