त्रिभुवन नारायण सिंह

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त्रिभुवन नारायण सिंह (अंग्रेज़ी: Tribhuvan Narain Singh, जन्म- 8 अगस्त, 1904, वाराणसी; मृत्यु- 3 अगस्त, 1982) भारतीय राजनेता और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। टी.एन. सिंह पहले से केंद्रीय मंत्री थे, लेकिन उत्तर प्रदेश में सियासत की ऐसी बिसात बिछी कि बिना चुनाव जीते ही टी.एन. सिंह को मुख्‍यमंत्री की कुर्सी मिल गई। वे राजनीति में आने से पहले स्वतंत्रता संग्राम में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते रहे थे। आजादी के बाद देश में जब राजनीति की नींव रखी जा रही थी, तब टी.एन. सिंह एक कुशल राजनेता के रूप में उभर रहे थे। उनका राजनीतिक जीवन काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। उन्होंने पहले केंद्रीय मंत्री, फिर मुख्‍यमंत्री और अंत में राज्यपाल तक का सफर तय किया।

संक्षिप्त परिचय

  • त्रिभुवन नारायण सिंह का जन्म 8 अगस्त सन 1904 को उत्तर प्रदेश की धार्मिक नगरी वाराणसी में हुआ था।
  • उन्होंने शास्त्री काशी विद्यापीठ से अपनी शिक्षा पूर्ण की थी। बाद में एक सफल शिक्षक के रूप में अपना योगदान दिया।
  • राजनीति, पत्रकारिता, शिक्षा और समाज सेवा उनके मुख्य कार्य क्षेत्र रहे।

राजनीति क्षेत्र

  1. त्रिभुवन नारायण सिंह सामान्य निर्वाचन के पहले वर्ष 1950 से 1952 तक (प्रोविजनल) संसद के सदस्य रहे।
  2. वर्ष 1952 और 1957 में वे लोक सभा सदस्य रहे।
  3. 8 जनवरी, 1965 से 2 अप्रैल, 1970 तथा 3 अप्रैल, 1970 से 2 अप्रैल, 1976 तक राज्य सभा सदस्य रहे।
  4. वर्ष 1957-1958 में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष रहे।
  5. वर्ष 1964-1967 तक केंद्रीय उद्योग और पूर्ति तथा लौह और इस्पात मंत्री रहे।
  6. 18 अक्टूबर, 1970 से 3 मार्च, 1971 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।
  7. वर्ष 1977-1980 तक पश्चिम बंगाल के राज्यपाल रहे।
  8. त्रिभुवन नारायण सिंह एक जाने माने पत्रकार भी थे। 'इण्डियन डेली टेलीग्राफ', 'हिन्दुस्तान टाइम्स' और 'नेशनल हेराल्ड' जैसे प्रतिष्ठित समाचार पत्रों को अपना योगदान दिया।
  9. स्वतन्त्रता संग्राम की लड़ाई में भी कई बार बंदी रहे।
  10. वर्ष 1930-1931, 1932 एवं 1942 में जेल भी गये।

मृत्यु

3 अगस्त, 1982 को त्रिभुवन नारायण सिंह का निधन वाराणसी में हुआ।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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