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'''दामोदर घाटी परियोजना''' [[भारत]] की एक प्रमुख [[नदी घाटी परियोजना]] है। [[7 जुलाई]], [[1948]] को स्वतंत्र [[भारत]] की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में 'दामोदर नदी घाटी' का विकास करने के लिए एक क़ानून अस्तित्व में आया। यह परियोजना [[भारत]] की अधिकतर परियोजनाओं की तरह [[अमेरिका]] की ‘टेनेसी घाटी परियोजना' पर आधारित हैं, जो की जल-राशि का अधिकतम प्रयोग करने के लिये बनाई गयी है। इसका नियंत्रण डी. वी. सी.<ref>Damodar Valley Corporation</ref> करती है।
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'''दामोदर घाटी परियोजना''' [[भारत]] की एक प्रमुख [[नदी घाटी परियोजना]] है। [[7 जुलाई]], [[1948]] को स्वतंत्र [[भारत]] की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में 'दामोदर नदी घाटी' परियोजना अस्तित्व में आई। यह परियोजना [[भारत]] की अधिकतर परियोजनाओं की तरह [[अमेरिका]] की ‘टेनेसी घाटी परियोजना' पर आधारित हैं, जो की जल-राशि का अधिकतम प्रयोग करने के लिये बनाई गयी है। इसका नियंत्रण डी. वी. सी.<ref>Damodar Valley Corporation</ref> करती है।
  
 
*[[दामोदर नदी]] [[छोटा नागपुर]] की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और [[बराकर नदी|बराकर]] प्रमुख हैं। ये नदियां [[गिरीडीह ज़िला|गिरीडीह]], [[हज़ारीबाग़|हज़ारीबाग़]] और [[बोकारो ज़िला|बोकारो ज़िले]] से होकर बहती है।
 
*[[दामोदर नदी]] [[छोटा नागपुर]] की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और [[बराकर नदी|बराकर]] प्रमुख हैं। ये नदियां [[गिरीडीह ज़िला|गिरीडीह]], [[हज़ारीबाग़|हज़ारीबाग़]] और [[बोकारो ज़िला|बोकारो ज़िले]] से होकर बहती है।

06:34, 14 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

दामोदर घाटी परियोजना भारत की एक प्रमुख नदी घाटी परियोजना है। 7 जुलाई, 1948 को स्वतंत्र भारत की पहली बहुउद्देशीय परियोजना के रूप में 'दामोदर नदी घाटी' परियोजना अस्तित्व में आई। यह परियोजना भारत की अधिकतर परियोजनाओं की तरह अमेरिका की ‘टेनेसी घाटी परियोजना' पर आधारित हैं, जो की जल-राशि का अधिकतम प्रयोग करने के लिये बनाई गयी है। इसका नियंत्रण डी. वी. सी.[1] करती है।

  • दामोदर नदी छोटा नागपुर की पहाड़ियों से निकलती है। इसकी सहायक नदियों में कोनार, बोकारो और बराकर प्रमुख हैं। ये नदियां गिरीडीह, हज़ारीबाग़ और बोकारो ज़िले से होकर बहती है।
  • इस परियोजना का उद्देश्य दामोदर नदी पर बाढ़ का नियंत्रण, सिंचाई, विद्युत-उत्पादन, पारेषण व वितरण, पर्यावरण संरक्षण तथा वनीकरण, दामोदर घाटी के निवासियों का सामाजिक आर्थिक कल्याण एवं औद्योगिक और घरेलू उपयोग हेतु जलापूर्ति सुनिश्चित करना है।
  • दामोदर घाटी परियोजना भारत की ऐसी पहली परियोजना है, जहाँ कोयला, जल और गैस तीनो स्रोतों से विद्युत उत्पन्न की जाती है। यहीं मैथन में सर्वप्रथम भूमिगत विद्युत गृह बनाया गया है।[2]
  • इस महत्त्वपूर्ण परियोजना के अंतर्गत 8 बाँध और एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है। यह क्रमशः बराकार नदी पर मैथन बाँध, बालपहाड़ी पर तेलैया बाँध, दामोदर नदी पर पंचेत हिल, मैथन, ऐयर बर्मो बाँध, बोकारो नदी पर बोकारो बाँध, कोनार नदी पर कोनार बाँध तथा दुर्गापुर के निकट एक बड़ा बैराज़ बनाया गया है।

तापीय विद्युत गृह

  1. बोकारो थर्मल पावर स्टेशन-A, झारखण्ड - 1200 मेगावाट
  2. बोकारो थर्मल पावर स्टेशन-B, झारखण्ड - 630 मेगावाट
  3. चंद्रपुरा थर्मल पावर, झारखण्ड - 890 मेगावाट
  4. दुर्गापुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 350 मेगावाट
  5. दुर्गापुर स्टील थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 1000 मेगावाट
  6. मेज़िया थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 2340मेगावाट
  7. कोडरमा थर्मल पावर, झारखण्ड - 500+500 मेगावाट
  8. रघुनाथपुर थर्मल पावर, पश्चिम बंगाल - 1200 मेगावाट

जल विद्युत गृह

  1. तेलैया बाँध, झारखण्ड - 4 मेगावाट
  2. मैथन बाँध, झारखण्ड - 63.2 मेगावाट
  3. पंचेत बाँध, झारखण्ड - 80 मेगावाट


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. Damodar Valley Corporation
  2. भारत में बहुउद्देशीय परियोजनाएँ (हिन्दी) वाइवेस पेनोरमा। अभिगमन तिथि: 14 नवम्बर, 2014।

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