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*अन्त में एक नयी प्याऊ (पौसरा बनवाना) बनवानी होती है।  
 
*अन्त में एक नयी प्याऊ (पौसरा बनवाना) बनवानी होती है।  
*इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण)</ref>
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*इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण</ref>
 
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12:51, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • चैत्र से यह व्रत आरम्भ होता है।
  • मुख में जलधारा डाल-डालकर पीना होता है।
  • यह व्रत एक वर्ष तक किया जाता है।
  • अन्त में एक नयी प्याऊ (पौसरा बनवाना) बनवानी होती है।
  • इस व्रत से चिन्ता दूर होती है, सौन्दर्य एवं कल्याण की प्राप्ति होती है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 853, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण

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