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||[[चित्र:Koh-i-noor-diamond.jpg|thumb|150px|[[कोहिनूर हीरा]]]]'कोहिनूर हीरा' दुनिया के सभी हीरों का राजा है, जिसे [[गोलकुंडा]] ([[भारत]]) की एक खान से निकाला गया था। कोहिनूर को [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में "कूह-ए-नूर" कहा जाता है, जिसका अर्थ है- "कुदरत की विशाल आभा या रोशनी का पर्वत"। यह [[हीरा]] 105 कैरेट (लगभग 21.600 ग्राम) का है। यह अभी तक विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात ऐतिहासिक हीरा रह चुका है। कई [[मुग़ल]] बादशाहों और फ़ारसी शासकों से होता हुआ, यह हीरा अनतत: ब्रिटिश शासन के अधिकार में चला गया और अब उनके ख़ज़ाने में शामिल है। भारत में अंग्रेज़ शासन के दौरान इसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बेंजामिन डिजराएली ने [[महारानी विक्टोरिया]] को तब भेंट किया, जब सन [[1877]] में उन्हें भारत की भी सम्राज्ञी घोषित किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[कोहिनूर हीरा]]
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||[[चित्र:Koh-i-noor-diamond.jpg|thumb|100px|[[कोहिनूर हीरा]]]]'कोहिनूर हीरा' दुनिया के सभी हीरों का राजा है, जिसे [[गोलकुंडा]] ([[भारत]]) की एक खान से निकाला गया था। कोहिनूर को [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] में "कूह-ए-नूर" कहा जाता है, जिसका अर्थ है- "कुदरत की विशाल आभा या रोशनी का पर्वत"। यह [[हीरा]] 105 कैरेट (लगभग 21.600 ग्राम) का है। यह अभी तक विश्व का सबसे बड़ा ज्ञात ऐतिहासिक हीरा रह चुका है। कई [[मुग़ल]] बादशाहों और फ़ारसी शासकों से होता हुआ, यह हीरा अनतत: ब्रिटिश शासन के अधिकार में चला गया और अब उनके ख़ज़ाने में शामिल है। भारत में अंग्रेज़ शासन के दौरान इसे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बेंजामिन डिजराएली ने [[महारानी विक्टोरिया]] को तब भेंट किया, जब सन [[1877]] में उन्हें भारत की भी सम्राज्ञी घोषित किया गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[कोहिनूर हीरा]]
  
 
{[[राजस्थान]] में प्रसिद्ध '[[चाँद बावड़ी]]' कहाँ अवस्थित है?
 
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-[[कुम्भलगढ़]]
 
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-[[तिमनगढ़ क़िला|तिमनगढ़]]
 
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||[[चित्र:Abhaneri-Step-Well-2.jpg|thumb|150px|[[चाँद बावड़ी]], [[आभानेरी]]]]'चाँद बावड़ी' एक सीढ़ीदार विशाल कुआँ है, जो [[राजस्थान]] में [[जयपुर]] के निकट [[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] के '[[आभानेरी]]' नामक [[ग्राम]] में स्थित है। यह सीढ़ीदार कुआँ '[[हर्षत माता मंदिर]]' के सामने स्थित है और [[भारत]] ही नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े सीढ़ीदार और गहरे कुओं में से एक है। इस बावड़ी का निर्माण 9वीं [[शताब्दी]] में किया गया था। इसमें 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं और ये 13 तल ऊँचा और 100 फुट या 30 मीटर गहरा है। ये अविश्वसनीय कुआँ उस समय [[जल]] की कमी से जूझ रहे इस क्षेत्र की जल समस्या का एक व्यावहारिक समाधान था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[चाँद बावड़ी]]
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||[[चित्र:Abhaneri-Step-Well-2.jpg|thumb|100px|[[चाँद बावड़ी]], [[आभानेरी]]]]'चाँद बावड़ी' एक सीढ़ीदार विशाल कुआँ है, जो [[राजस्थान]] में [[जयपुर]] के निकट [[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] के '[[आभानेरी]]' नामक [[ग्राम]] में स्थित है। यह सीढ़ीदार कुआँ '[[हर्षत माता मंदिर]]' के सामने स्थित है और [[भारत]] ही नहीं, अपितु विश्व के सबसे बड़े सीढ़ीदार और गहरे कुओं में से एक है। इस बावड़ी का निर्माण 9वीं [[शताब्दी]] में किया गया था। इसमें 3,500 संकरी सीढ़ियाँ हैं और ये 13 तल ऊँचा और 100 फुट या 30 मीटर गहरा है। ये अविश्वसनीय कुआँ उस समय [[जल]] की कमी से जूझ रहे इस क्षेत्र की जल समस्या का एक व्यावहारिक समाधान था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[चाँद बावड़ी]]
  
 
{1303 ई. में [[चित्तौड़]] पर किसने आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप [[रानी पद्मिनी]] ने 'जौहर' कर लिया?
 
{1303 ई. में [[चित्तौड़]] पर किसने आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप [[रानी पद्मिनी]] ने 'जौहर' कर लिया?
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-[[स्वामी हरिदास]]
 
-[[स्वामी हरिदास]]
 
-[[कृष्णदास कविराज]]
 
-[[कृष्णदास कविराज]]
||[[चित्र:Bhaktivedanta-Swami-Prabhupada.jpg|130px|right|भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]'स्वामी प्रभुपाद' प्रसिद्ध [[गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय|गौड़ीय वैष्णव]] गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। [[वेदान्त]], [[कृष्ण]] की भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर आपने विचार रखे और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत में पहुँचाने का कार्य किया। वे भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे। सन [[1965]] में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने आप अमेरिका को निकले। जब वे मालवाहक जलयान द्वारा पहली बार न्यूयॉर्क नगर में आए तो उनके पास एक पैसा भी नहीं था। अत्यंत कठिनाई भरे करीब एक वर्ष के बाद [[जुलाई]], [[1966]] में उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ' ('इस्कॉन' ISKCON) की स्थापना की। [[1968]] में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]
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||[[चित्र:Bhaktivedanta-Swami-Prabhupada.jpg|130px|right|भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]'स्वामी प्रभुपाद' प्रसिद्ध [[गौड़ीय वैष्णव सम्प्रदाय|गौड़ीय वैष्णव]] गुरु तथा धर्मप्रचारक थे। [[वेदान्त]], [[कृष्ण]] की भक्ति और इससे संबंधित क्षेत्रों पर आपने विचार रखे और कृष्णभावना को पश्चिमी जगत् में पहुँचाने का कार्य किया। वे भक्तिसिद्धांत ठाकुर सरस्वती के शिष्य थे। सन [[1965]] में अपने गुरुदेव के अनुष्ठान को संपन्न करने आप अमेरिका को निकले। जब वे मालवाहक जलयान द्वारा पहली बार न्यूयॉर्क नगर में आए तो उनके पास एक पैसा भी नहीं था। अत्यंत कठिनाई भरे करीब एक वर्ष के बाद [[जुलाई]], [[1966]] में उन्होंने 'अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ' ('इस्कॉन' ISKCON) की स्थापना की। [[1968]] में प्रयोग के तौर पर वर्जीनिया की पहाड़ियों में नव-वृन्दावन की स्थापना की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[भक्तिवेदान्त स्वामी प्रभुपाद]]
  
 
{'''तूतीनामा''' कृति किसके द्वारा प्रणीत मानी जाती है?
 
{'''तूतीनामा''' कृति किसके द्वारा प्रणीत मानी जाती है?
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-शंक्वाकार और बेलनाकार पत्थरों के  रूप में [[शिवलिंग]] की पूजा
 
-शंक्वाकार और बेलनाकार पत्थरों के  रूप में [[शिवलिंग]] की पूजा
 
+[[देवता]] विशेष के लिए देवालयों का निर्माण
 
+[[देवता]] विशेष के लिए देवालयों का निर्माण
||[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|right|150px|मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा के अवशेष]][[हड़प्पा सभ्यता]] के धार्मिक जीवन के बारे में अधिकांश जानकारी पुरातात्विक स्रोतों- जैसे मूर्तियों, मुहरें, मृद्भांण्ड, पत्थर तथा अन्य पदार्थो से निर्मित लिंग तथा चक्र की आकृति, ताम्र फलक, क़ब्रिस्तान आदि से मिलती है। हड़प्पा संस्कृति में कही से किसी भी मंदिर के [[अवशेष]] नहीं मिले है। [[मोहनजोदाड़ो]] एवं [[हड़प्पा]] से भारी मात्रा में मिली [[मिट्टी]] की मृण्मूर्तियों में से एक स्त्री मृण्मूर्ति के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है, इससे यह मालूम होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मान कर इसकी [[पूजा]] किया करते थे।
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||[[चित्र:Mohenjodaro-Sindh.jpg|right|100px|मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा के अवशेष]][[हड़प्पा सभ्यता]] के धार्मिक जीवन के बारे में अधिकांश जानकारी पुरातात्विक स्रोतों- जैसे मूर्तियों, मुहरें, मृद्भांण्ड, पत्थर तथा अन्य पदार्थो से निर्मित लिंग तथा चक्र की आकृति, ताम्र फलक, क़ब्रिस्तान आदि से मिलती है। हड़प्पा संस्कृति में कही से किसी भी मंदिर के [[अवशेष]] नहीं मिले है। [[मोहनजोदाड़ो]] एवं [[हड़प्पा]] से भारी मात्रा में मिली [[मिट्टी]] की मृण्मूर्तियों में से एक स्त्री मृण्मूर्ति के गर्भ से एक पौधा निकलता हुआ दिखाया गया है, इससे यह मालूम होता है कि हड़प्पा सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मान कर इसकी [[पूजा]] किया करते थे।
 
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[हड़प्पा समाज और संस्कृति]]
 
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[हड़प्पा समाज और संस्कृति]]
  
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-[[नीलकंठ]]
 
-[[नीलकंठ]]
 
-[[गौरैया]]
 
-[[गौरैया]]
||[[चित्र:Sonchiriya.jpg|right|120px|गोडावण]]'गोडावण' (वैज्ञानिक नाम- Ardeotis nigriceps) आकार में काफ़ी बड़ा तथा वजन में भारी एक पक्षी है। यह [[राजस्थान]] का राज्य पक्षी है। [[गोडावण]] राजस्थान तथा सीमावर्ती [[पाकिस्तान]] के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक दुर्लभतम पक्षी है। राजस्थान सरकार के वन विभाग ने गोडावण की रक्षार्थ 'गोडावण संरक्षण प्रोजेक्ट' की शुरूआत भी की है, जिससे इस पक्षी को लुप्त होने से बचाया जा सके और इसकी संख्या भी बढ़ सके। गोडावण भारी होने के कारण उड़ नहीं सकता, लेकिन लंबी और मजबूत टांगों के सहारे बहुत तेजी से दौड़ सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गोडावण]]
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||[[चित्र:Sonchiriya.jpg|right|120px|गोडावण]]'गोडावण' (वैज्ञानिक नाम- Ardeotis nigriceps) आकार में काफ़ी बड़ा तथा वजन में भारी एक पक्षी है। यह [[राजस्थान]] का राज्य पक्षी है। [[गोडावण]] राजस्थान तथा सीमावर्ती [[पाकिस्तान]] के क्षेत्रों में पाया जाता है। यह एक दुर्लभतम पक्षी है। राजस्थान सरकार के वन विभाग ने गोडावण की रक्षार्थ 'गोडावण संरक्षण प्रोजेक्ट' की शुरूआत भी की है, जिससे इस पक्षी को लुप्त होने से बचाया जा सके और इसकी संख्या भी बढ़ सके। गोडावण भारी होने के कारण उड़ नहीं सकता, लेकिन लंबी और मजबूत टांगों के सहारे बहुत तेज़ीसे दौड़ सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[गोडावण]]
  
 
{'पथेर दावी' नामक प्रसिद्ध [[उपन्यास]] के रचनाकार कौन थे?
 
{'पथेर दावी' नामक प्रसिद्ध [[उपन्यास]] के रचनाकार कौन थे?
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-[[उत्तर प्रदेश]]
 
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+[[राजस्थान]]
 
+[[राजस्थान]]
||[[चित्र:Abhaneri-2.jpg|right|150px|चाँद बावड़ी, आभानेरी]]'आभानेरी' [[राजस्थान]] के [[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] में स्थित एक ऐतिहासिक [[ग्राम]] है। यह [[जयपुर]] से 95 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह [[इतिहास]] की आभा से अभीभूत कर देने वाला स्थान है। यह छोटा-सा ग्राम किसी समय [[राजा भोज]] की राजधानी रहा था। [[आभानेरी]] से प्राप्त [[पुरातत्त्व]] [[अवशेष|अवशेषों]] को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह स्थान लगभग तीन हज़ार वर्ष तक पुराना हो सकता है। यहाँ से प्राप्त कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पुरावशेष 'अल्बर्ट हॉल म्यूजियम', जयपुर की शोभा बढ़ा रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[आभानेरी]], [[राजस्थान]]
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||[[चित्र:Abhaneri-2.jpg|right|100px|चाँद बावड़ी, आभानेरी]]'आभानेरी' [[राजस्थान]] के [[दौसा ज़िला|दौसा ज़िले]] में स्थित एक ऐतिहासिक [[ग्राम]] है। यह [[जयपुर]] से 95 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यह [[इतिहास]] की आभा से अभीभूत कर देने वाला स्थान है। यह छोटा-सा ग्राम किसी समय [[राजा भोज]] की राजधानी रहा था। [[आभानेरी]] से प्राप्त [[पुरातत्त्व]] [[अवशेष|अवशेषों]] को देखकर यह कहा जा सकता है कि यह स्थान लगभग तीन हज़ार वर्ष तक पुराना हो सकता है। यहाँ से प्राप्त कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण पुरावशेष 'अल्बर्ट हॉल म्यूजियम', जयपुर की शोभा बढ़ा रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[आभानेरी]], [[राजस्थान]]
  
 
{[[भारत]] में '[[अभियंता दिवस]]' प्रतिवर्ष किस [[तिथि]] को मनाया जाता है?
 
{[[भारत]] में '[[अभियंता दिवस]]' प्रतिवर्ष किस [[तिथि]] को मनाया जाता है?
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-[[20 नवम्बर]]
 
-[[20 नवम्बर]]
 
-[[21 दिसम्बर]]
 
-[[21 दिसम्बर]]
||[[चित्र:Mokshagundam-Visvesvarayya.jpg|right|120px|मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]'अभियंता दिवस' [[भारत]] में प्रत्येक [[वर्ष]] '[[15 सितम्बर]]' को मनाया जाता है। इसी दिन भारत के महान अभियंता और '[[भारतरत्न]]' प्राप्त [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]] का जन्म दिवस होता है। आज भी मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को "आधुनिक भारत के विश्वकर्मा" के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। अपने समय के बहुत बड़े इंजीनियर, वैज्ञानिक और निर्माता के रूप में देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को भारत ही नहीं, वरन विश्व की महान प्रतिभाओं में गिना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[अभियंता दिवस]], [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]
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||[[चित्र:Mokshagundam-Visvesvarayya.jpg|right|120px|मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]'अभियंता दिवस' [[भारत]] में प्रत्येक [[वर्ष]] '[[15 सितम्बर]]' को मनाया जाता है। इसी दिन भारत के महान् अभियंता और '[[भारतरत्न]]' प्राप्त [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]] का जन्म दिवस होता है। आज भी मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को "आधुनिक भारत के विश्वकर्मा" के रूप में बड़े सम्मान के साथ स्मरण किया जाता है। अपने समय के बहुत बड़े इंजीनियर, वैज्ञानिक और निर्माता के रूप में देश की सेवा में अपना जीवन समर्पित करने वाले डॉ. मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया को भारत ही नहीं, वरन् विश्व की महान् प्रतिभाओं में गिना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें-[[अभियंता दिवस]], [[मोक्षगुंडम विश्वेश्वरैया]]
  
 
{[[मध्य प्रदेश]] स्थित प्रसिद्ध '[[धुआँधार प्रपात|धुआँधार जलप्रपात]]' किस नदी द्वारा निर्मित है?
 
{[[मध्य प्रदेश]] स्थित प्रसिद्ध '[[धुआँधार प्रपात|धुआँधार जलप्रपात]]' किस नदी द्वारा निर्मित है?
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-[[पश्चिम बंगाल]]
 
-[[पश्चिम बंगाल]]
 
-[[मध्य प्रदेश]]
 
-[[मध्य प्रदेश]]
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{'भ्रातृक बहुपति विवाह' किस जनजाति में पाया जाता है?
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+[[खासी जाति|खासी]]
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-[[नायर]]
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-[[गोंड जनजाति|गोंड]]
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-[[संथाल]]
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||{{seealso|भारत की जन जातियाँ}}
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{[[धर्म]] में 'पवित्र' तथा 'अपवित्र' की अवधारणा किसने दी?
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-[[मैक्समूलर]]
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-फ़्रेजर
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+दुर्खीम
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-मैकाइवर एवं पेज
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{[[भारत]] में खोजा गया सबसे पुराना शहर कौन-सा था?
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+[[हड़प्पा]]
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-[[पंजाब]]
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-[[मोहनजोदड़ो]]
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-[[सिंध]]
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||[[चित्र:Harappa-seals.jpg|हड़प्पा मुहर, हड़प्पा|100px|right]][[पाकिस्तान]] के [[पंजाब]] प्रान्त में स्थित 'माण्टगोमरी ज़िले' में [[रावी नदी]] के बायें तट पर यह पुरास्थल है। [[हड़प्पा]] में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 ई. में 'चार्ल्स मैन्सर्न' ने दी। 1856 ई. में 'ब्रण्टन बन्धुओं' ने हड़प्पा के पुरातात्विक महत्त्व को स्पष्ट किया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[हड़प्पा]]
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{कौन-सी [[बौद्ध]] रचना [[गीता]] के समान पवित्र मानी जाती है?
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-[[जातक कथा|जातक]]
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+[[धम्मपद]]
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-[[पिटक]]
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-[[बुद्धचरित]]
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{[[कालिदास]] द्वारा रचित '[[मालविकाग्निमित्र]]' नाटक का नायक कौन था?
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-[[पुष्यमित्र शुंग]]
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-[[गौतमीपुत्र सातकर्णि]]
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+[[अग्निमित्र]]
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-[[चन्द्रगुप्त द्वितीय]]
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||अग्निमित्र (149 - 141 ई. पू.) [[पुष्यमित्र शुंग]] का बेटा और [[शुंग वंश]] का द्वितीय राजा था। [[कालिदास]] के प्रसिद्ध नाटक '[[मालविकाग्निमित्र]]' में इसी अग्निमित्र की प्रेम कथा का वर्णन है। इसके नाम के अनेक सिक्के भी मिले हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अग्निमित्र]]
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{[[शिवाजी]] के राजनीतिक गुरु एवं संरक्षक कौन थे?
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|type="()"}
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-[[गुरु रामदास]]
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-[[शाहजी भोंसले]]
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+[[दादाजी कोंडदेव]]
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-उपर्युक्त में से कोई नहीं
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|| दादाजी कोंडदेव अथवा 'खोंडदेव' मराठा ब्राह्मण और प्रसिद्ध महान् मराठा नेता [[शिवाजी|छत्रपति शिवाजी]] (1627-1680 ई.) के गुरु और अभिभावक थे। प्रारम्भ से ही वीर शिवाजी पर इनका गहरा प्रभाव था। दादाजी कोंडदेव ने अपने शिष्य शिवाजी के मन में बचपन से ही साहस और पराक्रम के उदात्त भाव के साथ-साथ [[प्राचीन भारत]] के महान् हिन्दू वीरों के प्रति श्रद्धा की भावना भरी थी।{{point}} अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[दादाजी कोंडदेव]]
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{[[टीपू सुल्तान]] ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर [[श्रीरंगपट्टनम]] में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?
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-लॉयन्स क्लब
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+जैकोबिन क्लब
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-फ़्रीडम फ़ाइटर्स क्लब
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-ईस्ट इण्डिया क्लब
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{पैंसिल बनाने में किस वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है?
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|type="()"}
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-टीक
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-[[देवदार]]
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+सिडार
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-आबनूस
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{[[भारत]] में [[सोयाबीन]] का अग्रणी उत्पादक राज्य कौन-सा है?
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|type="()"}
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-[[केरल]]
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-[[महाराष्ट्र]]
 +
+[[मध्य प्रदेश]]
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-[[पंजाब]]
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{उच्च [[दाब]] क्षेत्र से [[भूमध्य सागर]] की ओर चलने वाली [[पवन]] कौन-सी होती हैं?
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|type="()"}
 +
-[[पछुआ पवन]]
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+[[व्यापारिक पवन]]
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-[[मानसून|मानसून पवन]]
 +
-समुद्री पवन
 
</quiz>
 
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फ़ेसबुक पर चर्चित पहेलियाँ

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1 लाला हरदयाल और बाबा सोहन सिंह भकना निम्न में से किस आन्दोलन से जुड़े थे?

इण्डिया इण्डिपेन्डेंस लीग
नव जवान भारत सभा
अकाली आन्दोलन
ग़दर आन्दोलन

2 विश्व प्रसिद्ध 'कोहिनूर हीरा' भारत में कहाँ की एक खान से निकाला गया था?

गोलकुंडा
मालवा
झरिया
इनमें से कोई नहीं

4 1303 ई. में चित्तौड़ पर किसने आक्रमण किया, जिसके परिणामस्वरूप रानी पद्मिनी ने 'जौहर' कर लिया?

इब्राहीम लोदी
जलालुद्दीन ख़िलजी
अलाउद्दीन ख़िलजी
मुहम्मद तुग़लक़

5 निम्न में से किस नगर को 'टाटा नगर' के नाम से भी जाना जाता है?

जमशेदपुर
धनबाद
हज़ारीबाग़
राँची

6 ‘अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन’ की स्थापना किसने की थी?

मृदुला साराभाई
एन. एम. जोशी
वी. वी. गिरि
मोहनलाल करमचंद गाँधी

7 गामा पहलवान को 'विश्व हॅवीवेट चैम्पियनशिप' (दक्षिण एशिया) में कब विजेता घोषित किया गया?

15 सितम्बर, 1910
15 अक्टूबर, 1910
15 नवम्बर, 1910
15 दिसम्बर, 1910

9 'अंतर्राष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ' (इस्कॉन) की स्थापना किसने की थी?

श्रील प्रभुपाद
कृपालु महाराज
स्वामी हरिदास
कृष्णदास कविराज

10 तूतीनामा कृति किसके द्वारा प्रणीत मानी जाती है?

अबुल फ़ज़ल
फ़ैज़ी
फ़िरदौसी
दसवंत

11 आधुनिक हिन्दू धर्म की किन विशेषताओं को हड़प्पाकालीन धर्म से अंगीकार नहीं किया गया?

शक्ति-पूजा
पशुपति के रूप में शिव की पूजा
शंक्वाकार और बेलनाकार पत्थरों के रूप में शिवलिंग की पूजा
देवता विशेष के लिए देवालयों का निर्माण

13 राजस्थान का राज्य पक्षी कौन-सा है?

गोडावण
पहाड़ी मैना
नीलकंठ
गौरैया

15 भारतीय राजनीति का ग्रैंड ओल्डमैन किसे कहा जाता है?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन
सर सैयद अहमद ख़ाँ
दादा भाई नौरोजी
फिरोज़शाह मेहता

16 प्रसिद्ध पर्यटन स्थल आभानेरी किस भारतीय राज्य में स्थित है?

मध्य प्रदेश
कर्नाटक
उत्तर प्रदेश
राजस्थान

17 भारत में 'अभियंता दिवस' प्रतिवर्ष किस तिथि को मनाया जाता है?

15 सितम्बर
14 अक्टूबर
20 नवम्बर
21 दिसम्बर

18 मध्य प्रदेश स्थित प्रसिद्ध 'धुआँधार जलप्रपात' किस नदी द्वारा निर्मित है?

गंगा
ब्रह्मपुत्र नदी
नर्मदा
महानदी

20 'घाना पक्षी विहार' किस राज्य में स्थित है?

केरल
राजस्थान
पश्चिम बंगाल
मध्य प्रदेश

21 'भ्रातृक बहुपति विवाह' किस जनजाति में पाया जाता है?

खासी
नायर
गोंड
संथाल

22 धर्म में 'पवित्र' तथा 'अपवित्र' की अवधारणा किसने दी?

मैक्समूलर
फ़्रेजर
दुर्खीम
मैकाइवर एवं पेज

23 भारत में खोजा गया सबसे पुराना शहर कौन-सा था?

हड़प्पा
पंजाब
मोहनजोदड़ो
सिंध

24 कौन-सी बौद्ध रचना गीता के समान पवित्र मानी जाती है?

जातक
धम्मपद
पिटक
बुद्धचरित

26 शिवाजी के राजनीतिक गुरु एवं संरक्षक कौन थे?

गुरु रामदास
शाहजी भोंसले
दादाजी कोंडदेव
उपर्युक्त में से कोई नहीं

27 टीपू सुल्तान ने किस क्लब की सदस्यता प्राप्त कर श्रीरंगपट्टनम में स्वतंत्रता का वृक्ष रोपा था?

लॉयन्स क्लब
जैकोबिन क्लब
फ़्रीडम फ़ाइटर्स क्लब
ईस्ट इण्डिया क्लब

28 पैंसिल बनाने में किस वृक्ष की लकड़ी का प्रयोग किया जाता है?

टीक
देवदार
सिडार
आबनूस

29 भारत में सोयाबीन का अग्रणी उत्पादक राज्य कौन-सा है?

केरल
महाराष्ट्र
मध्य प्रदेश
पंजाब

30 उच्च दाब क्षेत्र से भूमध्य सागर की ओर चलने वाली पवन कौन-सी होती हैं?

पछुआ पवन
व्यापारिक पवन
मानसून पवन
समुद्री पवन



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