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*[[द्वादशी]] को जल देवता [[वरुण]] की पूजा की पूजा की जाती है।
 
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*पुण्डरीक यज्ञ की फल प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1204)।</ref>  
 
*पुण्डरीक यज्ञ की फल प्राप्ति होती है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1204)।</ref>  
*[[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>वनपर्व (30|117)</ref> के मत से यह [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] एवं [[राजसूय यज्ञ|राजसूय]] के समान एक महान यज्ञ है।
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*[[वन पर्व महाभारत|वनपर्व]]<ref>वनपर्व (30|117</ref> के मत से यह [[अश्वमेध यज्ञ|अश्वमेध]] एवं [[राजसूय यज्ञ|राजसूय]] के समान एक महान यज्ञ है।
*[[आश्वलायन श्रौतसूत्र]]<ref>आश्वलायन श्रौतसूत्र, (उत्तरषट्क 4|4)</ref> जहाँ पुण्डरीकयाग का उल्लेख है।
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*[[आश्वलायन श्रौतसूत्र]]<ref>आश्वलायन श्रौतसूत्र, (उत्तरषट्क 4|4</ref> जहाँ पुण्डरीकयाग का उल्लेख है।
  
 
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12:52, 27 जुलाई 2011 का अवतरण


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 1204)।
  2. वनपर्व (30|117
  3. आश्वलायन श्रौतसूत्र, (उत्तरषट्क 4|4

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