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10:18, 21 मार्च 2011 का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • श्रावण के सभी मंगलवारों पर यह व्रत किया जाता है।
  • विवाहित नारियों के द्वारा विवाह के उपरान्त पाँच वर्षों तक किया जाता है।
  • महाराष्ट्र में प्रचलित है।
  • पूजा करने वाली नारियाँ मध्याह्न में मूक होकर भोजन करती हैं।
  • 16 प्रकार के पुष्प; 16 सुवासिनियों की आवश्यकता; 16 दीपों के साथ देवी का नीराजन किया जाता है।
  • देवता, गौरी; विधवात्व से छुटकारा पाने के लिए यह व्रत किया जाता है।
  • पुत्र प्राप्ति एवं सभी कामनाओं की पूर्ति के लिए मंगला से प्रार्थना की जाती है।
  • दूसरे दिन प्रातः गौरी विसर्जन किया जाता है।[1]

 



टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. व्रतराज (787-795, भविष्य पुराण से उद्धरण)

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