"लठ्ठा का मेला" के अवतरणों में अंतर

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'''लठ्ठा का मेला''' [[उत्तर भारत]] के विशाल [[ब्रज]] मंडल के [[रंग नाथ जी मन्दिर वृन्दावन|रंग नाथ जी मन्दिर]] में आयोजन होने वाला सुप्रसिद्ध मेला है।
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==मेले का आयोजन==
 
==मेले का आयोजन==
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==श्रद्धालुओं की भीड़==
 
==श्रद्धालुओं की भीड़==
मंदिर परिसर में कोतुहल से भरपूर इस मेले को देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमता है। इस कोतुहल से भरे मटकी पाने के प्रयास को देखने के लिये हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। भक्त नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की के जयघोष करते है। इससे पूर्व गोदारंगमन्नार मंदिर के आचार्यों ने दक्षिण शैली में वेदमंत्रोच्चारों के साथ माखन से भरी मटकी को स्तंभ के ऊपर स्थापित किया जाता है। यहां पर अन्य मंदिरों से अलग पांचरात्र शास्त्र विधि से भगवान गोदारंगमन्नार की पूजा की जाती है। यहां [[नक्षत्र|नक्षत्रों]] की चाल के आधार पर आचार्य गणना करके तिथियों के आधार पर तीज त्यौहार मनाए जाते हैं।  
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07:03, 23 जुलाई 2016 का अवतरण

लठ्ठा का मेला
रंगनाथ जी मन्दिर, वृन्दावन
विवरण 'लट्ठा का मेला' ब्रज क्षेत्र में मनाया जाने वाला प्रमुख उत्सव है। 'वैष्णव संप्रदाय' के प्रसिद्ध रंगनाथ जी मन्दिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है।
राज्य उत्तर प्रदेश
ज़िला मथुरा
मेला स्थल रंगनाथ जी मन्दिर
संबंधित लेख ब्रज, मथुरा, वृन्दावन, कृष्ण, रंगनाथ जी मन्दिर
अन्य जानकारी इस मेले में माखन की मटकी 30 फुट ऊँचे खम्भे पर बाँधी जाती है, जिसे पाने के पहलवानों की टोलियाँ प्रयासरत रहती हैं। खम्भे पर चढ़ते समय पहलवानों पर तेल तथा जल की बौछार की जाती है।
अद्यतन‎ 12:33 23 जुलाई, 2016 (IST)

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लठ्ठा का मेला उत्तर भारत के ब्रजमंडल में रंगनाथ जी मन्दिर में आयोजित होता है। यह सुप्रसिद्ध मेला ब्रज क्षेत्र की प्राचीन संस्कृति का प्रतीक है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

मेले का आयोजन

वैष्णव संप्रदाय के प्रसिद्ध रंग मंदिर में वेद मंत्रों के साथ लठ्ठा मेले का आयोजन किया जाता है। पुराने विशाल चार खंभों के ऊपर आचार्यों के पास रखी माखन की मटकी को लेने के लिये 30 फुट ऊंचे खंभे पर चढ़कर वृन्दावन और आसपास के गांव के दर्जनों पहलवान कई घंटे तक भरसक प्रयास करते हैं। आचार्य पहलवानों के ऊपर कई टीन सरसों का तेल और पानी की बौछारें भी करते हैं। इससे खंभे पर चढ़ने का प्रयास कर रहे पहलवान फिसलकर नीचे आ जाते है। दुसायत, जैंत, छटीकरा, राल गांव के ठाकुरों की पालों के पहलवानों में मटकी को पाने की होड़ मची रहती है।

श्रद्धालुओं की भीड़

मंदिर परिसर में कोतुहल से भरपूर इस मेले को देखने के लिए भक्तों का सैलाब उमड़ता है। इस कोतुहल से भरे मटकी पाने के प्रयास को देखने के लिये हज़ारों की संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रहती है। भक्त "नंद के आनंद भये जय कन्हैया लाल की" के जयघोष करते हैं। इससे पूर्व गोदारंगमन्नार मंदिर के आचार्यों द्वारा दक्षिण शैली में वेद-मंत्रोच्चारों के साथ माखन से भरी मटकी को स्तंभ के ऊपर स्थापित किया जाता है। यहां पर अन्य मंदिरों से अलग पांचरात्र शास्त्र विधि से भगवान गोदारंगमन्नार की पूजा की जाती है। यहां नक्षत्रों की चाल के आधार पर आचार्य द्वारा गणना करके तिथियों के आधार पर तीज-त्यौहार मनाए जाते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख