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*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[भारत]] में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित [[हिन्दू धर्म]] का एक व्रत संस्कार है।
 
*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] पर यह व्रत किया जाता है।
 
*[[भाद्रपद]] [[शुक्ल पक्ष]] की [[नवमी]] पर यह व्रत किया जाता है।
*सूर्योदय पर तिल, गेहूँ से बने पदार्थों आदि से बिल्व वृक्ष की सात बार पूजा की जाती है।
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*सूर्योदय पर तिल, गेहूँ से बने पदार्थों आदि से [[बिल्व वृक्ष]] की सात बार पूजा की जाती है।
 
*उससे प्रार्थना करना एवं उसे प्रणाम करना।
 
*उससे प्रार्थना करना एवं उसे प्रणाम करना।
 
*उस दिन बिना आग पर पके भोजन (यथा–दही, फल आदि) को भूमि पर रखकर खाना, तेल एवं नमक न खाना।
 
*उस दिन बिना आग पर पके भोजन (यथा–दही, फल आदि) को भूमि पर रखकर खाना, तेल एवं नमक न खाना।
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*लक्ष्मी का निवास बिल्व में होता है।
 
*लक्ष्मी का निवास बिल्व में होता है।
 
*पीड़ा क्लेश से मुक्ति एवं धन की प्राप्ति का लाभ मिलता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-888, भविष्योत्तरपुराण 60|1-10 से उद्धरण)।</ref>
 
*पीड़ा क्लेश से मुक्ति एवं धन की प्राप्ति का लाभ मिलता है।<ref>हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-888, भविष्योत्तरपुराण 60|1-10 से उद्धरण)।</ref>
 
  
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
 
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==

12:28, 2 जून 2013 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • भाद्रपद शुक्ल पक्ष की नवमी पर यह व्रत किया जाता है।
  • सूर्योदय पर तिल, गेहूँ से बने पदार्थों आदि से बिल्व वृक्ष की सात बार पूजा की जाती है।
  • उससे प्रार्थना करना एवं उसे प्रणाम करना।
  • उस दिन बिना आग पर पके भोजन (यथा–दही, फल आदि) को भूमि पर रखकर खाना, तेल एवं नमक न खाना।
  • यह एक तिथिव्रत है।
  • लक्ष्मी का निवास बिल्व में होता है।
  • पीड़ा क्लेश से मुक्ति एवं धन की प्राप्ति का लाभ मिलता है।[1]

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. हेमाद्रि (व्रतखण्ड 1, 887-888, भविष्योत्तरपुराण 60|1-10 से उद्धरण)।

अन्य संबंधित लिंक

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