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समाजवादी पार्टी की स्थापना को आज लगभग {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1992}} वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1992}} वर्षो में मुलायम सिंह यादव व समाजवादी पार्टी दोनों ने तमाम उतार-चढाव देखे है। तमाम लोग समाजवादी पार्टी से अलग हुये और तमाम जुड़े भी, लेकिन जिन डॉ. लोहिया के विचारो को, समाजवादी सोच व संघर्ष की मशाल को मुलायम सिंह यादव ने अपने मजबूत हाथों में पकड़ लिया था, उस पकड़ को मुलायम सिंह यादव ने कभी भी तनिक भी ढीला नहीं किया। अपनी-अपनी राजनीतिक विवशता-महत्वाकांछाओं की पूर्ति ना होते देख कई समाजवादी नेताओ ने समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ा। चन्द वैचारिक नेताओ ने बिना जमीनी हकीकत समझे समाजवादी पार्टी को त्याग करके डॉ. लोहिया के विचारों के प्रचार -प्रसार व अनुपालन के एक बड़े अवसर को त्यागा। मौका पाकर तमाम अवसरवादी, मौका परस्त, शौकिया राजनीति करने वालो ने भी एक काकस बनाकर समाजवादी पार्टी को आघात लगाया। मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी, समाजवादी आन्दोलन को कमज़ोर करने की कुचेष्टा सफल नहीं हो पाई और ऐसे तत्वों को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। [[राम मनोहर लोहिया]] एक महान चिन्तक थे, अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने का संकल्प उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था। डॉ. लोहिया के देहावसान के बाद डॉ. लोहिया को एक महापुरुष मानने वाले मुलायम सिंह यादव ने आगे बढ़ कर मृत समाजवादी आन्दोलन में आगे बढ़ कर नयी जान फूंक दी। प्रसिद्ध समाजवादी लेखक स्व. लक्ष्मी कान्त वर्मा ने अपनी पुस्तक समाजवादी आन्दोलन- लोहिया के बाद में लिखा है कि दस-बारह वर्ष आशा-निराशा भरे अनुभवों से गुजरने के बाद जब मुलायम सिंह ने 1992 में डॉ. लोहिया का नाम लेकर और उनके समस्त रचनात्मक कार्यक्रमों को स्वीकार करते हुये समाजवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया तो वह ना तो गाँधी थे और ना ही लोहिया थे। वह मात्र अपने [[युग]] के एक जागरूक व्यक्ति के रूप में पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे।<ref name="प्रवक्ता डॉट कॉम">{{cite web |url=http://www.pravakta.com/dr-lohiys-ke-vichaar-aur-dharti-putra-mulayam-sinh-yadav |title=डॉ लोहिया के विचारों और समाजवाद की अलख जगाये धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव |accessmonthday=4 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रवक्ता डॉट कॉम |language=हिंदी}}</ref>
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समाजवादी पार्टी की स्थापना को आज लगभग {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1992}} वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन {{#expr:{{CURRENTYEAR}}-1992}} वर्षो में मुलायम सिंह यादव व समाजवादी पार्टी दोनों ने तमाम उतार-चढाव देखे है। तमाम लोग समाजवादी पार्टी से अलग हुये और तमाम जुड़े भी, लेकिन जिन डॉ. लोहिया के विचारो को, समाजवादी सोच व संघर्ष की मशाल को मुलायम सिंह यादव ने अपने मजबूत हाथों में पकड़ लिया था, उस पकड़ को मुलायम सिंह यादव ने कभी भी तनिक भी ढीला नहीं किया। अपनी-अपनी राजनीतिक विवशता-महत्वाकांछाओं की पूर्ति ना होते देख कई समाजवादी नेताओ ने समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ा। चन्द वैचारिक नेताओ ने बिना जमीनी हकीकत समझे समाजवादी पार्टी को त्याग करके डॉ. लोहिया के विचारों के प्रचार -प्रसार व अनुपालन के एक बड़े अवसर को त्यागा। मौका पाकर तमाम अवसरवादी, मौका परस्त, शौकिया राजनीति करने वालो ने भी एक काकस बनाकर समाजवादी पार्टी को आघात लगाया। मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी, समाजवादी आन्दोलन को कमज़ोर करने की कुचेष्टा सफल नहीं हो पाई और ऐसे तत्वों को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। [[राम मनोहर लोहिया]] एक महान चिन्तक थे, अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का संकल्प उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था। डॉ. लोहिया के देहावसान के बाद डॉ. लोहिया को एक महापुरुष मानने वाले मुलायम सिंह यादव ने आगे बढ़ कर मृत समाजवादी आन्दोलन में आगे बढ़ कर नयी जान फूंक दी। प्रसिद्ध समाजवादी लेखक स्व. लक्ष्मी कान्त वर्मा ने अपनी पुस्तक समाजवादी आन्दोलन- लोहिया के बाद में लिखा है कि दस-बारह वर्ष आशा-निराशा भरे अनुभवों से गुजरने के बाद जब मुलायम सिंह ने 1992 में डॉ. लोहिया का नाम लेकर और उनके समस्त रचनात्मक कार्यक्रमों को स्वीकार करते हुये समाजवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया तो वह ना तो गाँधी थे और ना ही लोहिया थे। वह मात्र अपने [[युग]] के एक जागरूक व्यक्ति के रूप में पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे।<ref name="प्रवक्ता डॉट कॉम">{{cite web |url=http://www.pravakta.com/dr-lohiys-ke-vichaar-aur-dharti-putra-mulayam-sinh-yadav |title=डॉ लोहिया के विचारों और समाजवाद की अलख जगाये धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव |accessmonthday=4 दिसम्बर |accessyear=2012 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=प्रवक्ता डॉट कॉम |language=हिंदी}}</ref>
  
 
==चुनाव में प्रदर्शन==
 
==चुनाव में प्रदर्शन==

11:34, 14 मई 2013 का अवतरण

समाजवादी पार्टी चुनाव चिह्न 'साइकिल'

समाजवादी पार्टी (अंग्रेज़ी:Samajwadi Party, संक्षेप में 'सपा') भारत का एक राजनीतिक दल है। इस दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव हैं। समाजवादी पार्टी मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में सक्रिय है।

इतिहास

12 अक्टूबर,1967 में डॉ. राम मनोहर लोहिया के देहावसान के बाद 1967 से लेकर 1992 तक समाजवादी आन्दोलन-संगठन का विघटन अफसोसजनक व दुर्भाग्य पूर्ण रहा। 4-5 अक्टूबर,1992 को बेगम हज़रत महल पार्क लखनऊ में जब मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी के स्थापना सम्मेलन में देश भर के तपे-तपाये समाजवादियो के बीच संकल्प लिया कि अब मैं डॉ लोहिया द्वारा निर्धारित सिद्धांतों के आधार पर समाजवादी पार्टी का पुनर्गठन करूँगा, तब से लेकर आज तक धरतीपुत्र की उपाधि से नवाजे गये मुलायम सिंह यादव ने तमाम राजनीतिक दुश्वारिया झेली हैं। डॉ लोहिया के कार्यक्रमों अन्याय के विरुद्ध सिविल नाफ़रमानी, सत्याग्रह, मारेंगे नहीं पर मानेगे नहीं, अहिंसा, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग आदि मुद्दों को कर्म के क्षेत्र में व्यापक जनाधार करके स्थापित करने वाले सिर्फ मुलायम सिंह यादव ही हैं।[1]

स्थापना

समाजवादी पार्टी की स्थापना 4 अक्टूबर, 1992 को हुई थी। समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व रक्षा मंत्री रह चुके है।

डॉ. लोहिया का योगदान

समाजवादी पार्टी की स्थापना को आज लगभग 32 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इन 32 वर्षो में मुलायम सिंह यादव व समाजवादी पार्टी दोनों ने तमाम उतार-चढाव देखे है। तमाम लोग समाजवादी पार्टी से अलग हुये और तमाम जुड़े भी, लेकिन जिन डॉ. लोहिया के विचारो को, समाजवादी सोच व संघर्ष की मशाल को मुलायम सिंह यादव ने अपने मजबूत हाथों में पकड़ लिया था, उस पकड़ को मुलायम सिंह यादव ने कभी भी तनिक भी ढीला नहीं किया। अपनी-अपनी राजनीतिक विवशता-महत्वाकांछाओं की पूर्ति ना होते देख कई समाजवादी नेताओ ने समाजवादी पार्टी और मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ा। चन्द वैचारिक नेताओ ने बिना जमीनी हकीकत समझे समाजवादी पार्टी को त्याग करके डॉ. लोहिया के विचारों के प्रचार -प्रसार व अनुपालन के एक बड़े अवसर को त्यागा। मौका पाकर तमाम अवसरवादी, मौका परस्त, शौकिया राजनीति करने वालो ने भी एक काकस बनाकर समाजवादी पार्टी को आघात लगाया। मुलायम सिंह यादव और समाजवादी पार्टी, समाजवादी आन्दोलन को कमज़ोर करने की कुचेष्टा सफल नहीं हो पाई और ऐसे तत्वों को समाजवादी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। राम मनोहर लोहिया एक महान चिन्तक थे, अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने का संकल्प उनके लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण था। डॉ. लोहिया के देहावसान के बाद डॉ. लोहिया को एक महापुरुष मानने वाले मुलायम सिंह यादव ने आगे बढ़ कर मृत समाजवादी आन्दोलन में आगे बढ़ कर नयी जान फूंक दी। प्रसिद्ध समाजवादी लेखक स्व. लक्ष्मी कान्त वर्मा ने अपनी पुस्तक समाजवादी आन्दोलन- लोहिया के बाद में लिखा है कि दस-बारह वर्ष आशा-निराशा भरे अनुभवों से गुजरने के बाद जब मुलायम सिंह ने 1992 में डॉ. लोहिया का नाम लेकर और उनके समस्त रचनात्मक कार्यक्रमों को स्वीकार करते हुये समाजवादी आन्दोलन को आगे बढ़ाने का बीड़ा उठाया तो वह ना तो गाँधी थे और ना ही लोहिया थे। वह मात्र अपने युग के एक जागरूक व्यक्ति के रूप में पहचान बनाने की कोशिश कर रहे थे।[1]

चुनाव में प्रदर्शन

समाजवादी पार्टी ने लोकसभा और देश के अन्य राज्यों के विधानसभा चुनाव लड़े हैं हालांकि इसकी सफलता मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश में ही है। 2003 में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को 7 सीटें प्राप्त हुई। यह राज्य में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी थी। 15वीं लोकसभा में, इसके 22 सदस्य है, यह लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी है। 2005 में कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बंगारप्पा ने समाजवादी पार्टी में शामिल होने के लिए भाजपा से इस्तीफा दे दिया था। वह सफलतापूर्वक समाजवादी के टिकट पर अपने लोकसभा सीट शिमोगा से विजयी हुए। 2007 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में सपा को केवल 96 सीटें मिली, जबकि 2002 में 146 सीटें जीती थीं। नतीजतन, मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव अपने प्रतिद्वंद्वी मायावती, बसपा (जो 207 सीटों के बहुमत जीता) नेता, मुख्यमंत्री के रूप में में शपथ ग्रहण के साथ ही इस्तीफा देना पडा। वर्ष 2012 में 224 सीटें मिली। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मुलायम सिंह यादव के पुत्र अखिलेश यादव विधान मंडल दल के नेता चुने गये तथा उन्होंने 15 मार्च 2012 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।

पार्टी के प्रमुख सदस्य

  • मुलायम सिंह यादव- पार्टी संस्थापक, लोकसभा सांसद, पूर्व रक्षा मंत्री और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री
  • अखिलेश यादव- उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री
  • धर्मेंद्र यादव- लोकसभा सांसद
  • आज़म खान- सात बार बिधायक, पूर्व लोकसभा सांसद, सचिव, वरिष्ठ मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
  • राम गोपाल यादव- सचिव, नेता राज्यसभा
  • शिवपाल सिंह यादव- वरिष्ठ सदस्य, लोक निर्माण विभाग मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार
  • हाज़ी उमर सिद्दिक़ी- प्रदेश सचिव समाजवादी पार्टी अल्पसंख्यक सभा उत्तर प्रदेश


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 डॉ लोहिया के विचारों और समाजवाद की अलख जगाये धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव (हिंदी) प्रवक्ता डॉट कॉम। अभिगमन तिथि: 4 दिसम्बर, 2012।

बाहरी कड़ियाँ

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