हैहय वंश

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हैहय वंश ऐतिहासिक संदर्भों से नवीं शताब्दी में और पौराणिक संदर्भों से रामायण और महाभारत काल।

त्रिपुरी के कलचुरी वंश को हैहय वंश भी कहा जाता है। गुजरात के सोलंकी वंश से इसका संघर्ष चलता था। महापद्म द्वारा उन्मूलित प्रमुख राजवंशों में 'हैहय', जिसकी राजधानी महिष्मती (माहिष्मति) थी, का भी नाम है। पौराणिक कथाओं में माहिष्मती को हैहयवंशीय कार्तवीर्य अर्जुन अथवा सहस्त्रबाहु की राजधानी बताया गया है।[1]

कलचुरी वंश

कोकल्ल प्रथम ने लगभग 845 ई. में कलचुरी वंश की स्थापना की थी। उसने त्रिपुरी को अपनी राजधानी बनाया था।

  1. शंकरगण
  2. लक्ष्मणराज
  3. गांगेयदेव विक्रमादित्य
  4. कर्णदेव


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. ऐतिहासिक स्थानावली
  2. पार्जीटर-डाइनेस्टीज़ ऑफ़ कलिएज, पृष्ठ. 23-4।
  3. महाभारत, शान्तिपर्व, अध्याय 57.
  4. महाभारत, सभापर्व, अध्याय 38, द्रोणपर्व, अध्याय 70 आश्वमेधिकपर्व, अध्याय 29
  5. ऐतिहासिक स्थानावली

बाहरी कड़ियाँ

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