सुभाष चंद्र बोस के अनमोल वचन

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:51, 17 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('<div style="float:right; width:98%; border:thin solid #aaaaaa; margin:10px"> {| width="98%" class="bharattable-purple" style="float:ri...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
सुभाष चंद्र बोस के अनमोल वचन
  • मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती है तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
  • भक्ति और प्रेम से मनुष्य नि:स्वार्थी बन सकता है। मनुष्य के मन में जब किसी व्यक्ति के प्रति श्रद्धा बढ़ती है तब उसी अनुपात में स्वार्थपरता घट जाती है।
  • शिक्षित व्यक्ति यदि चरित्रहीन हो, तब क्या उसे विद्वान कहेंगे? कभी नहीं।
  • जिसके पास भगवद्-भक्ति, भगवद्-प्रेम है- वही इस संसार में धनी है। ऐसे व्यक्ति के समक्ष महाराजाधिराज भी दीन भिक्षुक के समान है।
  • जो मनुष्य दूसरों के व्यवहार से ऊबकर क्षण प्रतिक्षण अपने मन बदलते रहते हैं, वे दुर्बल हैं। उनमें आत्मबल नहीं है।

इन्हें भी देखें: अनमोल वचन, कहावत लोकोक्ति मुहावरे एवं सूक्ति और कहावत


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख