महामाया प्रसाद सिन्हा
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महामाया प्रसाद सिन्हा
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पूरा नाम | महामाया प्रसाद सिन्हा |
जन्म | 1 मई, 1909 |
मृत्यु | 1987 |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | जन क्रांति दल |
पद | मुख्यमंत्री, बिहार- 5 मार्च 1967 से 28 जनवरी 1968 तक |
संबंधित लेख | मुख्यमंत्री, बिहार के मुख्यमंत्री |
अन्य जानकारी | महामाया प्रसाद सिन्हा ने 5 मार्च, 1967 को पदभार संभाला। इनके गुट के कुल 24 विधायक थे, जबकि एसएसपी के विधायकों की संख्या 68 थी। |
महामाया प्रसाद सिन्हा (अंग्रेज़ी: Mahamaya Prasad Sinha, जन्म- 1 मई, 1909; मृत्यु- 1987) भारतीय राजनीतिज्ञ और जल क्रांति दल के राजनेता थे। वह 5 मार्च 1967 से 28 जनवरी 1968 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे।
- आजादी के बाद 1967 में लोकसभा और विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जबदरस्त चुनौती मिली थी। केंद्र में कांग्रेस की सरकार जरूर बन गयी थी, लेकिन कई राज्यों की सरकार उसके हाथ निकल चुकी थी। उसी में एक था बिहार।
- बिहार में पहली बार गैरकांग्रेसी सरकार 'जन क्रांति दल' (जेकेडी) के नेतृत्व में बनी और इसके नेता थे महामाया प्रसाद सिन्हा। इसे संविद सरकार यानी संयुक्त विधायक दल की सरकार कहा गया।
- महामाया प्रसाद सिन्हा ने पटना पश्चिम विधान सभा क्षेत्र से के. बी. सहाय को पराजित किया था।
- महामाया प्रसाद सिन्हा ने 5 मार्च, 1967 को पदभार संभाला। इनके गुट के कुल 24 विधायक थे, जबकि एसएसपी के विधायकों की संख्या 68 थी।
- कांग्रेस के कमजोर पड़ने के बाद पिछड़ावाद काफी मुखर होने लगा था। इसका असर संविद सरकार पर भी पड़ा। महामाया प्रसाद सिन्हा की सरकार में एसएसपी के तीन लोग ऐसे मंत्री बन गये थे, जिन्हें पार्टी संविधान के अनुसार मंत्री नहीं होना था। इसमें एक थे बी. पी. मंडल, जो लोकसभा के सदस्य रहते हुए राज्य सरकार में मंत्री थे। दूसरे थे रामानंद तिवारी, जो एसएसपी के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए मंत्री थे और तीसरे थे भोला सिंह, जो एमएलसी होने के बावजूद मंत्री थे।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ बी.पी. मंडल के सीएम बनने की कहानी, बिहार के पहले ओबीसी मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह की जुबानी (हिंदी) forwardpress.in। अभिगमन तिथि: 22 सितंबर, 2020।
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क्रमांक | राज्य | मुख्यमंत्री | तस्वीर | पार्टी | पदभार ग्रहण |