"छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो" के अवतरणों में अंतर
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− | अपनी | + | अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई, |
− | जब | + | जब छबि देखी पी की तो अपनी भूल गई। |
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के | छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के | ||
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के। | बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के। | ||
− | + | बलि बलि जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा, | |
− | अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना | + | अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। |
− | प्रेम | + | प्रेम भटी का मदवा पिलाय के, |
− | मोसे नैंना मिलाई के। | + | मतवारी कर दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। |
− | गोरी गोरी | + | गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चूरियाँ |
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। | बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। | ||
− | खुसरो निजाम के | + | खुसरो निजाम के बलि-बलि जाइए |
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। | मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के। | ||
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....। | ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....। |
14:56, 4 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
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अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई, |
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