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अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
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अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
जब छवि देखी पीहू की तो अपनी भूल गई।
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जब छबि देखी पी की तो अपनी भूल गई।
 
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के
 
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के
 
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
 
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंग रिजना
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बलि बलि जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा,
अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
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अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
प्रेम वटी का मदवा पिलाय के मतवारी कर दीन्हीं रे
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प्रेम भटी का मदवा पिलाय के,
मोसे नैंना मिलाई के।
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मतवारी कर दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
गोरी गोरी बईयाँ हरी हरी चूरियाँ
+
गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चूरियाँ
 
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
 
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
खुसरो निजाम के बल-बल जइए
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खुसरो निजाम के बलि-बलि जाइए
 
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
 
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
 
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....।  
 
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....।  

14:56, 4 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

छाप तिलक सब छीन्हीं रे -अमीर ख़ुसरो
अमीर ख़ुसरो
कवि अमीर ख़ुसरो
जन्म 1253 ई.
जन्म स्थान एटा, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1325 ई.
मुख्य रचनाएँ मसनवी किरानुससादैन, मल्लोल अनवर, शिरीन ख़ुसरो, मजनू लैला, आईने-ए-सिकन्दरी, हश्त विहिश
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अमीर ख़ुसरो की रचनाएँ

अपनी छबि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
जब छबि देखी पी की तो अपनी भूल गई।
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
बलि बलि जाऊँ मैं तोरे रंग रजवा,
अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
प्रेम भटी का मदवा पिलाय के,
मतवारी कर दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चूरियाँ
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
खुसरो निजाम के बलि-बलि जाइए
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....।










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