"खटमल-मच्छर-युद्ध -काका हाथरसी" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) ('{| style="background:transparent; float:right" |- | {{सूचना बक्सा कविता |चित्र=Kaka-Hathrasi.jpg ...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
कात्या सिंह (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | 'काका' वेटिंग रूम में फँसे | + | 'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून। |
− | नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें | + | नींद न आई रात भर, मच्छर चूसें खून॥ |
− | मच्छर चूसें खून, देह घायल कर | + | मच्छर चूसें खून, देह घायल कर डाली। |
− | हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना | + | हमें उड़ा ले ज़ाने की योजना बना ली॥ |
− | किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ | + | किंतु बच गए कैसे, यह बतलाएँ तुमको। |
− | नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था | + | नीचे खटमल जी ने पकड़ रखा था हमको॥ |
− | हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं | + | हुई विकट रस्साकशी, थके नहीं रणधीर। |
− | ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल | + | ऊपर मच्छर खींचते नीचे खटमल वीर॥ |
− | नीचे खटमल वीर, जान संकट में | + | नीचे खटमल वीर, जान संकट में आई। |
− | घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान | + | घिघियाए हम- "जै जै जै हनुमान गुसाईं॥ |
पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - । | पंजाबी सरदार एक बोला चिल्लाके - । | ||
त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥ | त्व्हाणूँ पजन करना होवे तो करो बाहर जाके ॥ |
08:07, 24 दिसम्बर 2011 का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
'काका' वेटिंग रूम में फँसे देहरादून। |
टीका टिप्पणी और संदर्भसंबंधित लेख |