"नंजनगुड मंदिर मैसूर" के अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
फ़ौज़िया ख़ान (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | [[चित्र:Nanjangud-Temple- | + | [[चित्र:Nanjangud-Temple-1.jpg|thumb|250px|नंजनगुड मंदिर, [[नंजनगुड]]]] |
− | *[[ | + | '''नंजनगुड मंदिर''' को नंजुंदेश्वर या श्रीकांतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर नंजुडा को समर्पित है। |
− | + | *नंजनगुड मंदिर [[कर्नाटक]] राज्य में [[मैसूर]] शहर के [[नंजनगुड]] में स्थित है। यह मैसूर से 22 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है। | |
− | *यह नगर | + | *यह नगर कबीनी नदी के किनारे मैसूर के दक्षिण में राज्य राजमार्ग 17 पर है। |
− | |||
*दक्षिण [[काशी]] कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना [[गौतम]] ऋषि ने की थी। | *दक्षिण [[काशी]] कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना [[गौतम]] ऋषि ने की थी। | ||
*कहा जाता है कि हकीम नंजुडा ने [[हैदर अली]] के पसंदीदा [[हाथी]] को ठीक किया था। इससे खुश होकर हैदर अली ने उन्हें बेशकीमती हार पहनाया था। आज भी विशेष अवसर पर यह हार उन्हें पहनाया जाता है। | *कहा जाता है कि हकीम नंजुडा ने [[हैदर अली]] के पसंदीदा [[हाथी]] को ठीक किया था। इससे खुश होकर हैदर अली ने उन्हें बेशकीमती हार पहनाया था। आज भी विशेष अवसर पर यह हार उन्हें पहनाया जाता है। | ||
− | + | ||
− | |||
{{लेख प्रगति | {{लेख प्रगति | ||
|आधार= | |आधार= | ||
पंक्ति 15: | पंक्ति 13: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
− | + | ==वीथिका== | |
+ | <gallery> | ||
+ | चित्र:Nanjangud-Temple-2.jpg|नंजनगुड मंदिर, [[नंजनगुड]] | ||
+ | चित्र:Nanjangud-Temple-Mysore.jpg|नंजनगुड मंदिर, [[नंजनगुड]] | ||
+ | </gallery> | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
10:33, 7 जुलाई 2012 का अवतरण
नंजनगुड मंदिर को नंजुंदेश्वर या श्रीकांतेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर नंजुडा को समर्पित है।
- नंजनगुड मंदिर कर्नाटक राज्य में मैसूर शहर के नंजनगुड में स्थित है। यह मैसूर से 22 किलोमिटर की दूरी पर स्थित है।
- यह नगर कबीनी नदी के किनारे मैसूर के दक्षिण में राज्य राजमार्ग 17 पर है।
- दक्षिण काशी कही जाने वाली इस जगह पर स्थापित लिंग के बार में माना जाता है कि इसकी स्थापना गौतम ऋषि ने की थी।
- कहा जाता है कि हकीम नंजुडा ने हैदर अली के पसंदीदा हाथी को ठीक किया था। इससे खुश होकर हैदर अली ने उन्हें बेशकीमती हार पहनाया था। आज भी विशेष अवसर पर यह हार उन्हें पहनाया जाता है।
|
|
|
|
|