"श्रेयांसनाथ" के अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
(''''श्रेयांसनाथ''' जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर थे...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
*[[जैन]] मतानुसार इनके कुल गणधरों की संख्या 76 थी, जिनमें कच्छप स्वामी इनके प्रथम गणधर थे।
 
*[[जैन]] मतानुसार इनके कुल गणधरों की संख्या 76 थी, जिनमें कच्छप स्वामी इनके प्रथम गणधर थे।
 
*फाल्गुन कृष्ण पक्ष की [[त्रयोदशी]] को भगवान श्रेयांसनाथ ने सिंहपुरी में दीक्षा ग्रहण की थी।  
 
*फाल्गुन कृष्ण पक्ष की [[त्रयोदशी]] को भगवान श्रेयांसनाथ ने सिंहपुरी में दीक्षा ग्रहण की थी।  
*दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् इन्होनें जब दो महीने तक कठोर तप किया, तब सिंहपुरी में ही 'तंदूक' वृक्ष के नीचे इन्हें 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई।
+
*दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् इन्होनें जब दो महीने तक कठोर तप किया, तब सिंहपुरी में ही 'तंदूक' वृक्ष के नीचे इन्हें '[[कैवल्य ज्ञान]]' की प्राप्ति हुई।
 
*[[श्रावण माह|श्रावण]] कृष्ण पक्ष की [[तृतीया]] को श्रेयांसनाथ ने [[सम्मेद शिखर]] पर [[निर्वाण]] को प्राप्त किया.<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Shreyansnath|title=श्री श्रेयांसनाथ जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
 
*[[श्रावण माह|श्रावण]] कृष्ण पक्ष की [[तृतीया]] को श्रेयांसनाथ ने [[सम्मेद शिखर]] पर [[निर्वाण]] को प्राप्त किया.<ref>{{cite web |url=http://dharm.raftaar.in/Religion/Jainism/Tirthankar/Shreyansnath|title=श्री श्रेयांसनाथ जी|accessmonthday=27 फ़रवरी|accessyear=2012|last= |first= |authorlink= |format= |publisher= |language=[[हिन्दी]]}}</ref>
  
पंक्ति 15: पंक्ति 15:
 
[[Category:जैन तीर्थंकर]]
 
[[Category:जैन तीर्थंकर]]
 
[[Category:जैन धर्म]]
 
[[Category:जैन धर्म]]
[[Category:जैन धर्म कोश]]
+
[[Category:जैन धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 
__NOTOC__
 
__NOTOC__

13:42, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

श्रेयांसनाथ जैन धर्म के ग्यारहवें तीर्थंकर थे। श्रेयांसनाथ जी का जन्म सिंहपुरी में इक्ष्वाकु वंश के राजा विष्णुराज की पत्नी विष्णु देवी के गर्भ से फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया को श्रवण नक्षत्र में हुआ था। इनके शरीर का वर्ण सुवर्ण जबकि चिह्न गेंडा था।

  • श्रेयांसनाथ के यक्ष का नाम कुमार और यक्षिणी का नाम महाकाली था।
  • जैन मतानुसार इनके कुल गणधरों की संख्या 76 थी, जिनमें कच्छप स्वामी इनके प्रथम गणधर थे।
  • फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान श्रेयांसनाथ ने सिंहपुरी में दीक्षा ग्रहण की थी।
  • दीक्षा प्राप्ति के पश्चात् इन्होनें जब दो महीने तक कठोर तप किया, तब सिंहपुरी में ही 'तंदूक' वृक्ष के नीचे इन्हें 'कैवल्य ज्ञान' की प्राप्ति हुई।
  • श्रावण कृष्ण पक्ष की तृतीया को श्रेयांसनाथ ने सम्मेद शिखर पर निर्वाण को प्राप्त किया.[1]


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. श्री श्रेयांसनाथ जी (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 27 फ़रवरी, 2012।

संबंधित लेख