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'''अर्थ'''- भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरूद्ध हो जाना।
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'''अर्थ'''- भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरुद्ध हो जाना।
  
 
'''प्रयोग'''- नवल बाबू के सामने तो उनकी घिग्घी बँध जाती है।(सुरेश सिनहा)
 
'''प्रयोग'''- नवल बाबू के सामने तो उनकी घिग्घी बँध जाती है।(सुरेश सिनहा)

07:53, 3 जनवरी 2016 का अवतरण

घिग्घी बँधना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है।

अर्थ- भय से आतंकित हो जाने के कारण कंठ का अवरुद्ध हो जाना।

प्रयोग- नवल बाबू के सामने तो उनकी घिग्घी बँध जाती है।(सुरेश सिनहा)

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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