"मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो" के अवतरणों में अंतर

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अरे अल्लाह तू है हर, मेरे महबूब के घर रंग है री।
 
अरे अल्लाह तू है हर, मेरे महबूब के घर रंग है री।
  
मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया, निजामुद्दीन औलिया-अलाउद्दीन औलिया।
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मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया,  
अलाउद्दीन औलिया, फरीदुद्दीन औलिया, फरीदुद्दीन औलिया, कुताबुद्दीन औलिया।
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निजामुद्दीन औलिया-अलाउद्दीन औलिया।
कुताबुद्दीन औलिया मोइनुद्दीन औलिया, मुइनुद्दीन औलिया मुहैय्योद्दीन औलिया।
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अलाउद्दीन औलिया, फरीदुद्दीन औलिया,  
आ मुहैय्योदीन औलिया, मुहैय्योदीन औलिया। वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।
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फरीदुद्दीन औलिया, कुताबुद्दीन औलिया।
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कुताबुद्दीन औलिया मोइनुद्दीन औलिया,  
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मुइनुद्दीन औलिया मुहैय्योद्दीन औलिया।
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आ मुहैय्योदीन औलिया, मुहैय्योदीन औलिया।  
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वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।
  
 
अरे ऐ री सखी री, वो तो जहाँ देखो मोरो (बर) संग है री।
 
अरे ऐ री सखी री, वो तो जहाँ देखो मोरो (बर) संग है री।
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मुँह माँगे बर संग है री, वो तो मुँह माँगे बर संग है री।
 
मुँह माँगे बर संग है री, वो तो मुँह माँगे बर संग है री।
  
निजामुद्दीन औलिया जग उजियारो, जग उजियारो जगत उजियारो।
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निजामुद्दीन औलिया जग उजियारो,  
वो तो मुँह माँगे बर संग है री। मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया।
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जग उजियारो जगत् उजियारो।
गंज शकर मोरे संग है री। मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखयो सखी री।
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वो तो मुँह माँगे बर संग है री।  
मैं तो ऐसी रंग। देस-बदेस में ढूढ़ फिरी हूँ, देस-बदेस में।
+
मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया।
आहे, आहे आहे वा, ऐ गोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
+
रंग सकल मोरे संग है री।  
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मैं तो ऐसो रंग और नहीं देख्यो सखी री।
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मैं तो ऐसी रंग।  
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देस-बिदेस में ढूँढ़ फिरी हूँ, देस-बिदेस में।
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आहे, आहे आहे वा,  
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ऐ गोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
 
मुँह माँगे बर संग है री।
 
मुँह माँगे बर संग है री।
  
 
सजन मिलावरा इस आँगन मा।
 
सजन मिलावरा इस आँगन मा।
सजन, सजन तन सजन मिलावरा। इस आँगन में उस आँगन में।
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सजन, सजन तन सजन मिलावरा।  
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इस आँगन में उस आँगन में।
 
अरे इस आँगन में वो तो, उस आँगन में।
 
अरे इस आँगन में वो तो, उस आँगन में।
अरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री। आज रंग है ए माँ रंग है री।
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अरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।  
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आज रंग है ए माँ रंग है री।
  
ऐ तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन। मैं तो तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
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ऐ तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।  
मुँह माँगे बर संग है री। मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री।
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मैं तो तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
ऐ महबूबे इलाही मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी। देस विदेश में ढूँढ़ फिरी हूँ।
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मुँह माँगे बर संग है री।  
आज रंग है ऐ माँ रंग है ही। मेरे महबूब के घर रंग है री।  
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मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री।
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ऐ महबूबे इलाही मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी।  
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देस विदेश में ढूँढ़ फिरी हूँ।
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आज रंग है ऐ माँ रंग है ही।  
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मेरे महबूब के घर रंग है री।  
 
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13:46, 30 जून 2017 के समय का अवतरण

मेरे महबूब के घर रंग है री -अमीर ख़ुसरो
अमीर ख़ुसरो
कवि अमीर ख़ुसरो
जन्म 1253 ई.
जन्म स्थान एटा, उत्तर प्रदेश
मृत्यु 1325 ई.
मुख्य रचनाएँ मसनवी किरानुससादैन, मल्लोल अनवर, शिरीन ख़ुसरो, मजनू लैला, आईने-ए-सिकन्दरी, हश्त विहिश
इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची
अमीर ख़ुसरो की रचनाएँ

आज रंग है ऐ माँ रंग है री, मेरे महबूब के घर रंग है री।
अरे अल्लाह तू है हर, मेरे महबूब के घर रंग है री।

मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया,
निजामुद्दीन औलिया-अलाउद्दीन औलिया।
अलाउद्दीन औलिया, फरीदुद्दीन औलिया,
फरीदुद्दीन औलिया, कुताबुद्दीन औलिया।
कुताबुद्दीन औलिया मोइनुद्दीन औलिया,
मुइनुद्दीन औलिया मुहैय्योद्दीन औलिया।
आ मुहैय्योदीन औलिया, मुहैय्योदीन औलिया।
वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।

अरे ऐ री सखी री, वो तो जहाँ देखो मोरो (बर) संग है री।
मोहे पीर पायो निजामुद्दीन औलिया, आहे, आहे आहे वा।
मुँह माँगे बर संग है री, वो तो मुँह माँगे बर संग है री।

निजामुद्दीन औलिया जग उजियारो,
जग उजियारो जगत् उजियारो।
वो तो मुँह माँगे बर संग है री।
मैं पीर पायो निजामुद्दीन औलिया।
रंग सकल मोरे संग है री।
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देख्यो सखी री।
मैं तो ऐसी रंग।
देस-बिदेस में ढूँढ़ फिरी हूँ, देस-बिदेस में।
आहे, आहे आहे वा,
ऐ गोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मुँह माँगे बर संग है री।

सजन मिलावरा इस आँगन मा।
सजन, सजन तन सजन मिलावरा।
इस आँगन में उस आँगन में।
अरे इस आँगन में वो तो, उस आँगन में।
अरे वो तो जहाँ देखो मोरे संग है री।
आज रंग है ए माँ रंग है री।

ऐ तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मैं तो तोरा रंग मन भायो निजामुद्दीन।
मुँह माँगे बर संग है री।
मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी सखी री।
ऐ महबूबे इलाही मैं तो ऐसो रंग और नहीं देखी।
देस विदेश में ढूँढ़ फिरी हूँ।
आज रंग है ऐ माँ रंग है ही।
मेरे महबूब के घर रंग है री।

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