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+ | |[[अधोक्षज]] | ||
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+ | |[[विधु (विष्णु)|विधु]] | ||
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+ | |[[नरकान्तक]] | ||
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+ | |[[विश्वरूप (विष्णु)|विश्वरूप]] | ||
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कृष्ण | एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- कृष्ण (बहुविकल्पी) |
अच्युत (कृष्ण)
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अन्य नाम | द्वारिकाधीश, केशव, गोपाल, नंदलाल, बाँके बिहारी, कन्हैया, गिरधारी, मुरारी आदि |
अवतार | सोलह कला युक्त पूर्णावतार (विष्णु) |
वंश-गोत्र | वृष्णि वंश (चंद्रवंश) |
कुल | यदुकुल |
पिता | वसुदेव |
माता | देवकी |
पालक पिता | नंदबाबा |
पालक माता | यशोदा |
जन्म विवरण | भाद्रपद माह में कृष्ण पक्ष की अष्टमी। |
समय-काल | महाभारत काल |
परिजन | रोहिणी (विमाता), बलराम (भाई), सुभद्रा (बहन), गद (भाई) |
गुरु | संदीपन, आंगिरस |
विवाह | रुक्मिणी, सत्यभामा, जांबवती, मित्रविंदा, भद्रा, सत्या, लक्ष्मणा, कालिंदी |
संतान | प्रद्युम्न |
विद्या पारंगत | सोलह कला, चक्र चलाना। |
रचनाएँ | 'गीता' |
शासन-राज्य | द्वारिका |
संदर्भ ग्रंथ | 'महाभारत', 'भागवत', 'छान्दोग्य उपनिषद' |
मृत्यु | पैर में बाण लगने के कारण। |
यशकीर्ति | गोवर्धन पर्वत को कनिष्ठा उँगली पर धारण किया, कंस का वध करके उग्रसेन को मथुरा का राजा बनाया, द्रौपदी के चीरहरण के समय उसकी रक्षा की। |
संबंधित लेख | वसुदेव, देवकी, नंदबाबा, यशोदा, राधा, मीरां उद्धव, सुदामा, अर्जुन, गोपी, रासलीला |
हिन्दू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार अच्युत भगवान श्रीकृष्ण के नामों में से एक है।
- कृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते हैं।
- श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। उनके व्यक्तित्व में भारत को एक प्रतिभा सम्पन्न राजनीतिवेत्ता ही नही, एक महान् कर्मयोगी और दार्शनिक प्राप्त हुआ, जिसका 'गीता' ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है।
- भगवान श्रीकृष्ण की स्तुति लगभग सारे भारत में किसी न किसी रूप में की जाती है।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ अन्य पुस्तकों में 'पुराणपुरुष' से लेकर 'मुदमर्दन' तक श्लोक नहीं है, अतः वहाँ केवल 39 ही नाम गिनाये गए हैं।
महाभारत शब्दकोश |लेखक: एस. पी. परमहंस |प्रकाशक: दिल्ली पुस्तक सदन, दिल्ली |संकलन: भारत डिस्कवरी पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 10 |