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}}'''नेफियू रियो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Neiphiu Rio'', जन्म- [[11 नवंबर]], [[1950]]) [[भारत के राजनीतिक दल]] 'नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी' (एनडीपीपी) के अध्यक्ष और [[नागालैंड के मुख्यमंत्री|नागालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री]] हैं। मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के पहले ही नेफियू रियो को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था, क्योंकि [[3 जनवरी]], [[2008]] को [[नागालैंड]] में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।
'''नेफियू रियो''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Neiphiu Rio'') नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) के अध्यक्ष और [[नागालैंड के मुख्यमंत्री|नागालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री]] हैं।
 
इससे पहले वे लगातार तीन बार और 11 वर्षों तक (2003–08, 2008–13 एवं 2013–14) राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं।
 
 
==जीवन परिचय==
 
==जीवन परिचय==
 
नेफियू रियो का जन्म [[नागालैंड]] की राजधानी [[कोहिमा]] के तुओफेमा गांव में 11 नवंबर 1950 को हुआ। रियो का परिवार नागालैंड की अंगामी नागा जनजाति से है। शुरुआती शिक्षा नेफियू रियो ने कोहिमा के बापटिस्ट इंगलिश स्कूल और [[पश्चिम बंगाल]] के पूरूलिया में स्थित सैनिक स्कूल से ग्रहण की। इसके बाद दार्जिलिंग के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक किया और अपने राज्य में लौटकर कोहिमा आर्टस कॉलेज में भी उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्कूल कॉलेज के दिनों में ही नेफियू रियो ने छात्र नेता के रूप में पहचान स्थापित कर ली थी। काफी छोटी उम्र में इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में खुद को आजमाना शुरू किया। 1974 में वे कोहिमा डिस्ट्रिक्ट यूनाइटेड  डेमोक्रेटिक फ़्रंट (UDF) की युवा शाखा के अध्यक्ष बने। 1984 में उन्होंने नोर्दन अंगामी एरिया काउंसिल के चेयरमैन का पद भी संभाला। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी नागालैंड ब्रान्च (''Indian Red Cross Society Nagaland branch'') के वे मानद उपाध्यक्ष भी रहे हैं।<ref name="knowlm"/>
 
नेफियू रियो का जन्म [[नागालैंड]] की राजधानी [[कोहिमा]] के तुओफेमा गांव में 11 नवंबर 1950 को हुआ। रियो का परिवार नागालैंड की अंगामी नागा जनजाति से है। शुरुआती शिक्षा नेफियू रियो ने कोहिमा के बापटिस्ट इंगलिश स्कूल और [[पश्चिम बंगाल]] के पूरूलिया में स्थित सैनिक स्कूल से ग्रहण की। इसके बाद दार्जिलिंग के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक किया और अपने राज्य में लौटकर कोहिमा आर्टस कॉलेज में भी उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्कूल कॉलेज के दिनों में ही नेफियू रियो ने छात्र नेता के रूप में पहचान स्थापित कर ली थी। काफी छोटी उम्र में इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में खुद को आजमाना शुरू किया। 1974 में वे कोहिमा डिस्ट्रिक्ट यूनाइटेड  डेमोक्रेटिक फ़्रंट (UDF) की युवा शाखा के अध्यक्ष बने। 1984 में उन्होंने नोर्दन अंगामी एरिया काउंसिल के चेयरमैन का पद भी संभाला। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी नागालैंड ब्रान्च (''Indian Red Cross Society Nagaland branch'') के वे मानद उपाध्यक्ष भी रहे हैं।<ref name="knowlm"/>
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राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश के बाद पहली बार नेफियू रियो ने 1989 में हुए सातवीं लोकसभा के लिए चुनावों में खुद को आजमाया। तब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में नोर्दन अंगामी-II सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। केंद्र सरकार में उन्हें पहले खेल और स्कूली शिक्षा मंत्रालय मिला। कुछ समय बाद उन्हें उच्च व तकनीकी शिक्षा का मंत्री बना दिया गया। नेफियू रियो नागालैंड औद्योगिक विकास निगम, नागालैंड खादी एवं ग्रामीण उद्योग परिषद के अलावा नागालैंड विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी रहे। 1993 के लोकसभा चुनावों में नेफियू रियो दोबारा अपनी सीट से चुने गए। इस बार उन्हें वर्क्स एंड हाउसिंग (Works & Housing) मंत्रालय दिया गया। इसके बाद 1998 में जब राज्य में एस.सी.जामिर के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो नेफियू रियो उसमें गृहमंत्री बने। बाद में नागा मुद्दों पर मुख्यमंत्री एस.सी. जमीर से मतभेदों के चलते उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और नागा प्यूपिल्स फ्रंट (Naga People’s Front) में शामिल हो गए।
 
राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश के बाद पहली बार नेफियू रियो ने 1989 में हुए सातवीं लोकसभा के लिए चुनावों में खुद को आजमाया। तब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में नोर्दन अंगामी-II सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। केंद्र सरकार में उन्हें पहले खेल और स्कूली शिक्षा मंत्रालय मिला। कुछ समय बाद उन्हें उच्च व तकनीकी शिक्षा का मंत्री बना दिया गया। नेफियू रियो नागालैंड औद्योगिक विकास निगम, नागालैंड खादी एवं ग्रामीण उद्योग परिषद के अलावा नागालैंड विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी रहे। 1993 के लोकसभा चुनावों में नेफियू रियो दोबारा अपनी सीट से चुने गए। इस बार उन्हें वर्क्स एंड हाउसिंग (Works & Housing) मंत्रालय दिया गया। इसके बाद 1998 में जब राज्य में एस.सी.जामिर के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो नेफियू रियो उसमें गृहमंत्री बने। बाद में नागा मुद्दों पर मुख्यमंत्री एस.सी. जमीर से मतभेदों के चलते उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और नागा प्यूपिल्स फ्रंट (Naga People’s Front) में शामिल हो गए।
 
नागा प्यूपिल्स फ्रंट कई क्षेत्रीय नागा पार्टियों और भाजपा की राज्य इकाई का संयुक्त मंच था, जिसे डेमोक्रेटिक एलाइंस ऑफ़ नागालैंड (DAN) के गठबंधन के तहत बनाया गया था। 2003 में नेफियू रियो की अगुवाई में इस गठबंधन को राज्य विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कांग्रेस के 10 साल से चले आ रहे शासन का अंत हो गया। 6 मार्च 2003 को रियो ने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।<ref name="knowlm">{{cite web |url=http://www.knowledgeum.com/neiphiu-rio-biography-in-hindi//|title=नेफियू रियो की जीवनी|accessmonthday=11 मार्च|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.Knowledgeum.Com|language=हिंदी }}</ref>
 
नागा प्यूपिल्स फ्रंट कई क्षेत्रीय नागा पार्टियों और भाजपा की राज्य इकाई का संयुक्त मंच था, जिसे डेमोक्रेटिक एलाइंस ऑफ़ नागालैंड (DAN) के गठबंधन के तहत बनाया गया था। 2003 में नेफियू रियो की अगुवाई में इस गठबंधन को राज्य विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कांग्रेस के 10 साल से चले आ रहे शासन का अंत हो गया। 6 मार्च 2003 को रियो ने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।<ref name="knowlm">{{cite web |url=http://www.knowledgeum.com/neiphiu-rio-biography-in-hindi//|title=नेफियू रियो की जीवनी|accessmonthday=11 मार्च|accessyear=2018 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=www.Knowledgeum.Com|language=हिंदी }}</ref>
 
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====चौथी बार बने मुख्यमंत्री====
==चौथी बार बने मुख्यमंत्री==
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मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के पहले ही नेफियू रियो को मुख्यमंत्री पद से हटना पडा क्योंकि 3 जनवरी 2008 को यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन अगले चुनाव में उनकी पार्टी फिर से सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरी और 12 मार्च 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। पांच साल बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में एनपीएफ को भारी बहुमत से जीत मिली और वे तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय विधानसभा में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को 26 सीटें मिली थीं। एनडीपीपी-भाजपा गठजोड़ को 30 सीटें मिली हैं और उनको दो अन्य विधायकों का समर्थन हासिल है। राज्यपाल पीबी आचार्य ने 8 मार्च, 2018 को उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शपथग्रहण समारोह में [[भारतीय जनता पार्टी]] अध्यक्ष [[अमित शाह]], रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सहित [[मणिपुर]], [[अरुणाचल प्रदेश]], [[असम]] और [[मेघालय]] के मुख्यमंत्री समारोह में मौजूद रहे।
मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के पहले ही नेफियू रियो को मुख्यमंत्री पद से हटना पडा क्योंकि 3 जनवरी 2008 को यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन अगले चुनाव में उनकी पार्टी फिर से सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरी और 12 मार्च 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। पांच साल बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में एनपीएफ को भारी बहुमत से जीत मिली और वे तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय विधानसभा में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को 26 सीटें मिली थीं। एनडीपीपी-भाजपा गठजोड़ को 30 सीटें मिली हैं और उनको दो अन्य विधायकों का समर्थन हासिल है। राज्यपाल पीबी आचार्य ने 8 मार्च, 2018 को उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शपथग्रहण समारोह में [[भारतीय जनता पार्टी]] अध्यक्ष [[अमित शाह]], रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सहित [[मणिपुर]], [[अरुणाचल प्रदेश]], [[असम]] और [[मेघालय]] के मुख्यमंत्री समारोह में मौजूद रहे।  
 
 
 
 
 
 
 
 
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नेफियू रियो
नेफियू रियो
पूरा नाम नेफियू रियो
जन्म 11 नवंबर, 1950
जन्म भूमि कोहिमा, असम (अब नागालैंड)
पति/पत्नी कैसा रियो
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि राजनीतिज्ञ
पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी)
पद मुख्यमंत्री, नागालैंड
कार्य काल प्रथम-6 मार्च, 2003 - 3 जनवरी, 2008 तक

द्वितीय-12 मार्च, 2008 - 24 मई, 2013 तक
तृतीय-8 मार्च, 2018 से अब तक

निवास दीमापुर
अद्यतन‎

नेफियू रियो (अंग्रेज़ी: Neiphiu Rio, जन्म- 11 नवंबर, 1950) भारत के राजनीतिक दल 'नेशनल डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी' (एनडीपीपी) के अध्यक्ष और नागालैंड के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं। मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के पहले ही नेफियू रियो को मुख्यमंत्री पद से हटना पड़ा था, क्योंकि 3 जनवरी, 2008 को नागालैंड में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था।

जीवन परिचय

नेफियू रियो का जन्म नागालैंड की राजधानी कोहिमा के तुओफेमा गांव में 11 नवंबर 1950 को हुआ। रियो का परिवार नागालैंड की अंगामी नागा जनजाति से है। शुरुआती शिक्षा नेफियू रियो ने कोहिमा के बापटिस्ट इंगलिश स्कूल और पश्चिम बंगाल के पूरूलिया में स्थित सैनिक स्कूल से ग्रहण की। इसके बाद दार्जिलिंग के सेंट जोसेफ कॉलेज से स्नातक किया और अपने राज्य में लौटकर कोहिमा आर्टस कॉलेज में भी उच्च शिक्षा ग्रहण की। स्कूल कॉलेज के दिनों में ही नेफियू रियो ने छात्र नेता के रूप में पहचान स्थापित कर ली थी। काफी छोटी उम्र में इन्होंने राजनीति के क्षेत्र में खुद को आजमाना शुरू किया। 1974 में वे कोहिमा डिस्ट्रिक्ट यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ़्रंट (UDF) की युवा शाखा के अध्यक्ष बने। 1984 में उन्होंने नोर्दन अंगामी एरिया काउंसिल के चेयरमैन का पद भी संभाला। इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी नागालैंड ब्रान्च (Indian Red Cross Society Nagaland branch) के वे मानद उपाध्यक्ष भी रहे हैं।[1]

राजनीतिक परिचय

राजनीति की मुख्य धारा में प्रवेश के बाद पहली बार नेफियू रियो ने 1989 में हुए सातवीं लोकसभा के लिए चुनावों में खुद को आजमाया। तब उन्होंने कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में नोर्दन अंगामी-II सीट से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। केंद्र सरकार में उन्हें पहले खेल और स्कूली शिक्षा मंत्रालय मिला। कुछ समय बाद उन्हें उच्च व तकनीकी शिक्षा का मंत्री बना दिया गया। नेफियू रियो नागालैंड औद्योगिक विकास निगम, नागालैंड खादी एवं ग्रामीण उद्योग परिषद के अलावा नागालैंड विकास प्राधिकरण के चेयरमैन भी रहे। 1993 के लोकसभा चुनावों में नेफियू रियो दोबारा अपनी सीट से चुने गए। इस बार उन्हें वर्क्स एंड हाउसिंग (Works & Housing) मंत्रालय दिया गया। इसके बाद 1998 में जब राज्य में एस.सी.जामिर के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार बनी तो नेफियू रियो उसमें गृहमंत्री बने। बाद में नागा मुद्दों पर मुख्यमंत्री एस.सी. जमीर से मतभेदों के चलते उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया और नागा प्यूपिल्स फ्रंट (Naga People’s Front) में शामिल हो गए। नागा प्यूपिल्स फ्रंट कई क्षेत्रीय नागा पार्टियों और भाजपा की राज्य इकाई का संयुक्त मंच था, जिसे डेमोक्रेटिक एलाइंस ऑफ़ नागालैंड (DAN) के गठबंधन के तहत बनाया गया था। 2003 में नेफियू रियो की अगुवाई में इस गठबंधन को राज्य विधानसभा चुनावों में जीत मिली और कांग्रेस के 10 साल से चले आ रहे शासन का अंत हो गया। 6 मार्च 2003 को रियो ने पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।[1]

चौथी बार बने मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री के रूप में अपना पहला कार्यकाल पूरा करने के पहले ही नेफियू रियो को मुख्यमंत्री पद से हटना पडा क्योंकि 3 जनवरी 2008 को यहां राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। लेकिन अगले चुनाव में उनकी पार्टी फिर से सबसे बडी पार्टी के रूप में उभरी और 12 मार्च 2008 को दूसरी बार मुख्यमंत्री बने। पांच साल बाद 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में एनपीएफ को भारी बहुमत से जीत मिली और वे तीसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में 60 सदस्यीय विधानसभा में नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) को 26 सीटें मिली थीं। एनडीपीपी-भाजपा गठजोड़ को 30 सीटें मिली हैं और उनको दो अन्य विधायकों का समर्थन हासिल है। राज्यपाल पीबी आचार्य ने 8 मार्च, 2018 को उन्हें चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। शपथग्रहण समारोह में भारतीय जनता पार्टी अध्यक्ष अमित शाह, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण सहित मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय के मुख्यमंत्री समारोह में मौजूद रहे।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 1.0 1.1 नेफियू रियो की जीवनी (हिंदी) www.Knowledgeum.Com। अभिगमन तिथि: 11 मार्च, 2018।

बाहरी कड़ियाँ

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