अमित शाह
अमित शाह
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पूरा नाम | अमिताभ अनिलचन्द्र शाह |
जन्म | 22 अक्तूबर, 1964[1] |
जन्म भूमि | मुम्बई, महाराष्ट्र |
अभिभावक | पिता- अनिलचंद्र शाह, माता- कुसुम बेन[2] |
पति/पत्नी | सोनल शाह |
संतान | पुत्र- जय शाह |
नागरिकता | भारतीय |
प्रसिद्धि | राजनीतिज्ञ |
पार्टी | भारतीय जनता पार्टी |
पद | गृहमंत्री, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष (भारतीय जनता पार्टी), अध्यक्ष- गुजरात क्रिकेट एसोशिएशन |
कार्य काल | गृह मंत्री, भारत सरकार- 30 मई, 2019 से सहकारिता मंत्री, भारत सरकार- 7 जुलाई, 2021 से |
शिक्षा | विज्ञान स्तानक (बीएससी- बायोकेमिस्ट्री) |
विद्यालय | सी.यू शाह साइंस कॉलेज, अहमदाबाद |
भाषा | हिंदी |
पुरस्कार-उपाधि | याहू के पर्सनाल्टी ऑफ़ दी ईयर (2017) |
रुचि | पढ़ना, क्रिकेट देखना, सामाजिक सेवा |
अन्य जानकारी | अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। |
अद्यतन | 20:23, 10 जुलाई 2014 (IST)
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अमिताभ अनिलचन्द्र शाह (अंग्रेज़ी: Amitabh Anilchandra Shah, जन्म: 22 अक्तूबर, 1964[1]) भारतीय जनता पार्टी के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ हैं। वे 17वीं लोकसभा में गृहमंत्री हैं। 7 जुलाई, 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मंत्रिमण्डल में विस्तार व फेरबदल के बाद अमित शाह को 'सहकारिता मंत्रालय' भी सौंपा गया है। अमित शाह राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं। गाँधी नगर से वे लोक सभा के सांसद हैं। वे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में गृहमंत्री के पद पर रहते हुए शाह ने जम्मू-कश्मीर से 'धारा 370' हटाने का बड़ा फैसला लिया, जो इनके अडिग और निर्भीक चरित्र को दर्शाता है। लोकसभा चुनाव 2014 में पार्टी को उत्तर प्रदेश में मिली भारी सफलता का श्रेय अमित शाह को ही दिया जाता है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा की विजय का श्रेय इन्हें दिया जाता है। वास्तव में पिछले 10 सालों में ना केवल केंद्र की राजनीति में भाजपा का सकारात्मक प्रभाव दिखा है बल्कि क्षेत्रीय राजनीति में भी अमित शाह की कूटनीति से भाजपा मजबूत हुई है।
जीवन परिचय
अमित शाह का जन्म मुम्बई में एक बड़े व्यवसायी अनिलचंद्र शाह के घर 22 अक्तूबर, 1964 को हुआ। उन्होंने बायोकेमेस्ट्री में बी.एससी. तक शिक्षा प्राप्त की। साथ ही पिता के व्यवसाय से जुड़ गए। उन्होंने 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' के जरिए भाजपा में प्रवेश किया। मार्च में उन्हें भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाया गया। वे 'गुजरात स्टेट चेस एसोसिएशन' के अध्यक्ष रहे तथा 'गुजरात राज्य क्रिकेट एसासिएशन' के उपाध्यक्ष भी रहे। अमित शाह गुजरात के पूर्व गृहमंत्री तथा लालकृष्ण आडवाणी के सबसे क़रीबी माने जाते थे। दरअसल, कुछ समय तक उन्होंने स्टॉक ब्रोकर का कार्य करने के बाद वे आरएसएस से जुड़ गए और उसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय सदस्य भी बन गए। इसी दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। इस वक्त अमित शाह उनके क़रीब आए और गांधीनगर क्षेत्र में चुनाव के दौरान उनके साथ प्रचार-प्रसार किया। अमित शाह सबसे कम्र उम्र के 'गुजरात स्टेट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड' के अध्यक्ष बने। इसके बाद वे 'अहमदाबाद ज़िला कॉर्पोरेटिभ बैंक' के चेयरमैन रहे।
विधायक एवं मंत्री पद
वर्ष 2003 में जब गुजरात में दोबारा नरेन्द्र मोदी की सरकार बनी, तब नरेन्द्र मोदी ने उन्हें राज्य मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया और उन्हें गृह मंत्रालय सहित कई तरह की जिम्मेदारियां सौंपीं। अमित शाह बहुत ही जल्द नरेन्द्र मोदी के सबसे क़रीबी बन गए। अमित शाह अहमदाबाद के सरखेज विधानसभा क्षेत्र से लगातार 4 बार से विधायक हैं। 2002 में जब भाजपा ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में राज्य की 182 में से 126 सीटें जीतीं तो अमित शाह ने सबसे अधिक (1.58 लाख) वोटों से जीतने का रिकॉर्ड बनाया। अगले चुनाव में उनकी जीत का अंतर बढ़कर 2.35 लाख वोट हो गया। 2004 में केंद्र सरकार द्वारा आतंकवाद की रोकथाम के लिए बनाए गए आतंकवाद निरोधक अधिनियम के बाद अमित शाह ने राज्य विधानसभा में गुजरात कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज क्राइम (संशोधित) बिल पेश किया। हालांकि राज्य विपक्ष ने इस बिल का बहिष्कार किया था।
लोक सभा चुनाव 2019 में भूमिका
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दांये हाथ कहे जाने वाले अमित शाह ने 2019 के लोक सभा चुनाव में गुजरात के गांधीनगर से चुनाव लड़ा, जिसमें उन्होंने कांग्रेस के डॉ. सी. जे. चावड़ा को पीछे छोड़ते हुए 5 लाख से भी अधिक वोट्स के अंतर से जीत हासिल की, जिसके चलते उन्होंने लालकृष्ण आडवाणी के 4.83 लाख वोट्स का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया। इस चुनाव में मुख्य रूप से मुकाबला पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एवं कांग्रेस के डॉ. सी. जे. चावड़ा के बीच था, जिसमें अमित शाह ने जीत हासिल की। चुनाव आयोग की वेबसाइट के मुताबिक़ अमित शाह ने 69.7 % वोट्स प्राप्त किये थे यानि इसमें अमित शाह को लगभग 8,80,000 वोट्स हासिल हुए थे।
वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव की तरह ही, 2019 के लोक सभा चुनाव में भी शाह ने बीजेपी के लिए चुनावी रणनीति तैयार की थी। "बीजेपी का चाणक्य" कहे जाने वाले अमित शाह की मेहनत के चलते ही नरेन्द्र मोदी को 303 सीट के साथ पूरे देश से पूर्ण बहुमत मिला। मोदी और अमित शाह की जोड़ी एक बार फिर हिट रही और भारत में मोदी लहर की क्रांति आ गई। अमित शाह ने चुनाव प्रचार हेतु कई रैलियां की थीं, जिसमें उन्होंने जनता को यह विश्वास दिलाया था कि मोदी जी एवं उनकी सरकार ही देश के विकास को आगे बढ़ा सकती है और इस विश्वास के चलते ही चुनाव में भाजपा ने पूर्ण बहुमत के साथ सफलता हासिल की। इसके साथ ही अमित शाह ने गृह राज्यमंत्री का पद हासिल किया।[3]
यूपी के चुनावों में योगदान
वर्ष 2010 में कुछ विवादों के कारण अमित शाह का राजनीतिक कॅरियर धीमा पड चूका था। शाह को 12 जून 2013 को यूपी केम्पेन का अध्यक्ष चुना गया। शाह ने यूपी में वहां की सीटों और चुनावी गणित को समझने के लिए बहुत समय ग्राउंड पर व्यतीत किया। फ़रवरी 2012 से ही शाह ने समाजवादी पार्टी के जीत का कारण समझना शुरू कर दिया था।
शाह ने ये बात समझी कि वहां के वोटर समाजवादी पार्टी से खफा हैं, क्योंकि पार्टी अपने वादे को पूरा करने में सक्षम नहीं रही। उस समय यूपी सरकार ने सरकारी नौकरी और शिक्षा में ओबीसी के 27% कोटे में ही 5% आरक्षण अल्पसंख्यकों को देने का फैसला किया था, जिसका फायदा भी शाह ने चुनावों में उठाया। आखिर में यूपी में चुनावों के समय उम्मीदवारों के चयन पर शाह ने विशेष ध्यान दिया और लोकल स्तर पर प्रसिद्ध और जीतने की क्षमता वाले उम्मीदवार को ही टिकट दिया, जबकि इससे पहले जातिगत और पार्टी के प्रति निष्ठा रखने वाले को ही टिकट दिया जाता था।
उनकी टीम ने ये अनुमान भी लगाया कि बीजेपी के पारम्परिक सपोर्टर में केवल 35% वोटर ने ही इलेक्शन में वोट दिया था। इस कारण शाह ने बूथ के स्तर पर केप्म्पेनिंग की। उन्होंने 1,40,000 वोटर्स पर 7 से 10 सदस्यों की मेनेजमेंट कमिटी बनाई। हर बूथ के लिए उनकी टीम ने वोटर्स की लिस्ट बनाई और उनसे जाकर सम्पर्क किया। शाह की टीम दूरस्थ इलाकों तक पहुंचने के लिए 450 जीपीएस युक्त मोबाईल वैन का भी उपयोग करती थी, जहाँ तक मीडिया की भी पहुंच नहीं थी। शाह ने 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से 76 क्षेत्रों को कवर किया और उन्होंने ही मोदी से वाराणसी से बीजेपी के पक्ष में उतरने का कहा।
राजनीतिक सफर
- अमित शाह 1982 में पहली बार नरेंद्र मोदी से मिले थे, उस समय नरेंद्र मोदी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रचारक थे और बीजेपी की युवा गतिविधियों को सम्भाल रहे थे।
- 1982 में ही अमित शाह 'अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद' के सेक्रेटरी बन गए। 1987 तक अमित शाह बीजेपी के यूथ विंग 'भारतीय युवा मोर्चा' से जुड़ गए। इसके बाद वे पार्टी में कई पद जैसे- राज्य सेक्रेटरी, वाइस प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी सम्भालते रहे।
- अमित शाह ने 1991 में राम जन्मभूमि आन्दोलन में गुजरात में एक बड़ा जनाधार तैयार किया और बीजेपी के सीनियर लीडर लालकृष्ण आडवाणी, जिन्होंने गुजरात के गांधी नगर के सामान्य चुनावों में चुनाव लड़ा था, उनके लिए केम्पेन भी किया। तब से उन्हें बीजेपी के चुनावों को सम्भालने की जिम्मेदारी मिल गयी और उन्होंने एल.के. आडवानी के साथ मिलकर यह काम 2009 तक किया।
- जब प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी ने गांधी नगर से चुनाव लड़ा, तब भी अमित शाह इलेक्शन इंचार्ज थे, इस तरह उन्होंने इलेक्शन मेनेजर बनने की भूमिका बखूबी निभाई।
- 1990 में भारत में बड़े राजनीतिक बदलाव की हवा चली, इसी दौरान अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने राज्य में बीजेपी के सदस्यों को बढ़ाने का अभियान चलाया।
- 1990 में मोदी राज्य में बीजेपी के अध्यक्ष बन चुके थे, वह शाह को बड़ी जिम्मेदारी दिलाना चाहते थे। उन्होंने पटेल को मनाया कि वह गुजरात स्टेट फाईनेंशियल कारपोरेशन का चेयरमेन शाह को बना दें। गुजरात में जब मोदी के विरोधी बढ़ गए और उन्हें राज्य से बाहर दिल्ली भेज दिया गया, तब शाह मोदी के लिए एक इन्फॉर्मर के जैसे काम करते रहे।
- साल 1997 में मोदी ने शाह को बीजेपी से टिकट दिलाने के लिए खूब प्रयास किये और वे सफल भी रहे। अमित शाह फ़रवरी 1997 में एमएलए बन गए और 1998 के विधान सभा चुनावों में भी उन्होंने अपनी सीट बनाये रखी।
- जब केशुभाई पटेल गुजरात में सीएम के पद पर आए, उस समय गुजरात के ग्रामीण इलाकों में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का बहुत प्रभाव था। अमित शाह और नरेंद्र मोदी ने तब बड़े पैमाने पर अभियान चलाकर बीजेपी के पक्ष में स्थिति बनाई, लेकिन उस दौरान हुए गाँवों में गाँव-प्रधान का इलेक्शन हार गए और इन हारे हुए 8000 प्रधानों से ही ग्रामीण नेतृत्व के साथ जनाधार मजबूत किया। अगले दो सालों में नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने सभी विरोधियों को एक तरफ कर दिया।
विशेषताएँ
- अमित शाह एक कूटनीतिज्ञ होने के साथ ही कुशल प्रबंधक भी हैं। वह अपनी विचारधारा को सर्वोपरी मानते हैं, साथ ही कार्यकर्ताओं का सम्मान और कार्यालय का रख-रखाव बहुत महत्वपूर्ण मानते हैं।[2]
- शाह ने संगठन का कौशल कुशुभाई ठाकरे से सीखा था, जिनके साथ उन्होंने कई सालों तक काम भी किया था।
- जब नरेन्द्र मोदी गुजरात के आर्गेनाईजेशन सेक्रेटरी थे, तब उन्होंने अपना राजनैतिक कॅरियर एक आम बूथ वर्कर के जैसे ही शुरू किया था। ये वह समय था, जब उन्होंने बीजेपी के भविष्य के लिए एक मजबूत जनाधार तैयार किया था और इसी दौरान उन्हें पार्टी की मूलभूत आवश्यकता कर्मठ कार्यकर्ताओं के महत्व की समझ आई।
- अमित शाह अपने दोस्तों और सलाहकारों के नाम याद रखते हैं। जब भी दिल्ली में होते हैं, तब ज्यादा समय तक हेड क्वार्टर में बिताने की कोशिश करते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ 1.0 1.1 In UP, Shah prepares for Modi ahead of 2014 battle (अंग्रेज़ी) the sunday standard। अभिगमन तिथि: 10 जुलाई, 2014।
- ↑ 2.0 2.1 अमित शाह का जीवन परिचय (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 दिसम्बर, 2019।
- ↑ अमित शाह की जीवनी व उनसे जुड़े विवाद (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 दिसम्बर, 2019।
बाहरी कड़ियाँ
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