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*सूर्य देवता के लिए किया जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।</ref>
 
*सूर्य देवता के लिए किया जाता है।<ref>कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।</ref>
 
   
 
   
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10:34, 21 मार्च 2011 के समय का अवतरण

  • भारत में धार्मिक व्रतों का सर्वव्यापी प्रचार रहा है। यह हिन्दू धर्म ग्रंथों में उल्लिखित हिन्दू धर्म का एक व्रत संस्कार है।
  • रविवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र हो तो सूर्य की प्रतिमा पूजन करना चाहिए।
  • इसके करने से कर्ता रोगमुक्त होता है और सूर्यलोक को प्राप्त करता है। रात्रि में अर्क के पुष्पों से सूर्य की पूजा करनी चाहिए।
  • अर्क के पुष्पों एवं पायस को खाना, रात्रि में पृथ्वी पर सोना चाहिए।
  • इसके करने से सभी पापों से मुक्ति एवं सूर्य लोक की प्राप्ति होती है।
  • यह वारव्रत है।
  • सूर्य देवता के लिए किया जाता है।[1]


टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. कृत्यकल्पतरु (व्रतखण्ड 21-21); हेमाद्रि (व्रतखण्ड 2, 525-527, भविष्योत्तरपुराण से उद्धरण); कृत्यरत्नाकर (600-601)।

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