"काहे को ब्याहे बिदेस -अमीर ख़ुसरो" के अवतरणों में अंतर
प्रीति चौधरी (चर्चा | योगदान) |
|||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
{{Poemopen}} | {{Poemopen}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | भैया को दियो बाबुल महले दो-महले | + | भैया को दियो बाबुल महले दो-महले, |
− | हमको दियो | + | हमको दियो परदेस। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ | + | हम तो बाबुल तोरे खूँटे की गैयाँ, |
− | जित हाँके हँक | + | जित हाँके हँक जैहें। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ | + | हम तो बाबुल तोरे बेले की कलियाँ, |
− | घर-घर माँगे हैं | + | घर-घर माँगे हैं जैहें। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | कोठे तले से पलकिया जो निकली | + | कोठे तले से पलकिया जो निकली, |
− | बीरन में छाए | + | बीरन में छाए पछाड़। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ | + | हम तो हैं बाबुल तोरे पिंजरे की चिड़ियाँ, |
− | भोर भये उड़ | + | भोर भये उड़ जैहें। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़ | + | तारों भरी मैनें गुड़िया जो छोडी़, |
− | छूटा सहेली का | + | छूटा सहेली का साथ। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | डोली का पर्दा उठा के जो देखा | + | डोली का पर्दा उठा के जो देखा, |
− | आया पिया का | + | आया पिया का देस। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
− | काहे को ब्याहे | + | काहे को ब्याहे बिदेस। |
− | अरे, लखिय बाबुल मोरे | + | अरे, लखिय बाबुल मोरे...... |
</poem> | </poem> | ||
{{Poemclose}} | {{Poemclose}} |
14:08, 4 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
| ||||||||||||||||||
|
काहे को ब्याहे बिदेस, अरे, लखिय बाबुल मोरे, |
संबंधित लेख