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*इस प्रसिद्ध कृति में [[जालौर]] पर [[ख़िलजी वंश]] के सुल्तान [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के आक्रमण व जालौर राजा कान्हड़दे की वीरता का वर्णन है।
*राजकुमार 'वीरभदे' व सुल्तान ख़िलजी की पुत्री 'फिरोजा' के प्रेम के वर्णन के साथ-साथ तात्कालिक सामाजिक व सांस्कृतिक चित्रण भी इस कृति में प्रस्तुत हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=उपकार राजस्थान वार्षिकी 2010|लेखक=|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उपकार प्रकाशन, आगरा|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=73|url=}}
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*राजकुमार 'वीरभदे' व सुल्तान ख़िलजी की पुत्री 'फिरोजा' के प्रेम के वर्णन के साथ-साथ तात्कालिक सामाजिक व सांस्कृतिक चित्रण भी इस कृति में प्रस्तुत हुआ है।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=उपकार राजस्थान वार्षिकी 2010|लेखक=|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=उपकार प्रकाशन, आगरा|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=72|url=}}
 
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11:57, 30 जून 2014 के समय का अवतरण

कान्हड़दे प्रबन्ध राजस्थान के इतिहास पर प्रकाश डालने वाली ऐतिहासिक कृति है। इस कृति के रचयिता कवि पद्मनाभ थे।

  • इस प्रसिद्ध कृति में जालौर पर ख़िलजी वंश के सुल्तान अलाउद्दीन ख़िलजी के आक्रमण व जालौर राजा कान्हड़दे की वीरता का वर्णन है।
  • राजकुमार 'वीरभदे' व सुल्तान ख़िलजी की पुत्री 'फिरोजा' के प्रेम के वर्णन के साथ-साथ तात्कालिक सामाजिक व सांस्कृतिक चित्रण भी इस कृति में प्रस्तुत हुआ है।[1]


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. उपकार राजस्थान वार्षिकी 2010 |प्रकाशक: उपकार प्रकाशन, आगरा |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 72 |

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