अपनी छवि बनाई के जो मैं पी के पास गई,
जब छवि देखी पी की तो अपनी भूल गई।
छाप तिलक सब छीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के
बात अघम कह दीन्हीं रे मोसे नैंना मिला के।
बल बल जाऊँ मैं तोरे रंगरजवा,
अपनी सी रंग दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
प्रेम वटी का मदवा पिलाय के,
मतवारी कर दीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
गोरी गोरी बहियाँ हरी हरी चूरियाँ
बइयाँ पकर हर लीन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
खुसरो निजाम के बल-बल जाइए
मोहे सुहागन किन्हीं रे मोसे नैंना मिलाई के।
ऐ री सखी मैं तोसे कहूँ, मैं तोसे कहूँ, छाप तिलक....।