डर का सामना -स्वामी विवेकानंद

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Dr, ashok shukla (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 08:22, 12 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{सूचना बक्सा संक्षिप्त परिचय |चित्र=Swami Vivekananda.gif| |चित्र ...' के साथ नया पन्ना बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें
डर का सामना -स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानन्द
विवरण स्वामी विवेकानन्द
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

एक बार बनारस में स्वामी जी दुर्गा जी के मंदिर से निकल रहे थे कि तभी वहां मौजूद बहुत सारे बंदरों ने उन्हें घेर लिया । वे उनके नज़दीक आने लगे और डराने लगे । स्वामी जी भयभीत हो गए और खुद को बचाने के लिए दौड़ कर भागने लगे, पर बन्दर तो मानो पीछे ही पड़ गए और वे उन्हें दौडाने लगे । पास खड़े एक वृद्ध सन्यासी ये सब देख रहे थे । उन्होंने स्वामी जी को रोका और बोले ,
” रुको ! उनका सामना करो !”
     
स्वामी जी तुरन्त पलटे और बंदरों के तरफ बढ़ने लगे । ऐसा करते ही सभी बन्दर भाग गए । इस घटना से स्वामी जी को एक गंभीर सीख मिली और कई सालों बाद उन्होंने एक संबोधन में कहा भी –
” यदि तुम कभी किसी चीज से भयभीत हो तो उससे भागो मत, पलटो और सामना करो ।”


स्वामी विवेकानन्द से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए स्वामी विवेकानन्द के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ
पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख