उठाना-बैठाना

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
कविता भाटिया (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 07:43, 23 अक्टूबर 2015 का अवतरण (''''उठाना-बैठाना''' एक प्रचलित कहावत लोकोक्ति मुहावरे...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ:भ्रमण, खोजें

उठाना-बैठाना एक प्रचलित लोकोक्ति अथवा हिन्दी मुहावरा है ।

अर्थ - नाच नचाना।

प्रयोग - वह जानती थी कि अम्मा चाहे मुँह से कुछ न कहे किंतु अपनी खतरनाक आँखों से डमरु बजाकर उसे शाखामृगी-सी ही उठा-बैठा सकती थी। शिवानी


टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें

                              अं                                                                                              क्ष    त्र    श्र