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'''सुनील मित्तल''' ([[अंग्रेजी]]: Sunil Mittal; जन्म: [[23 अक्तूबर]], [[1957]], लुधिआना) एक भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन हैं। उनका नाम दुनिया के गिने-चुने टेलीकॉम उद्यमियों में शुमार किया जाता है। सुनील की कंपनी भारती एयरटेल दुनिया  के सबसे बड़े टेलीफोन कंपनियों में से एक है, जिसका व्यापर लगभग 19 देशों में फैला है। एयरटेल जीएसएम मोबाइल सेवा के साथ -साथ इंटरनेट ब्रॉडबैंड  सेवाएं भी प्रदान करती है और करीब 20 करोड़ ग्राहक उसकी सेवाएं लेते हैं। सुनील ने ये सफलता अपनी कड़ी मेहनत, सच्ची लगन और दूरदृष्टि की बदौलत हासिल किया है।
 
'''सुनील मित्तल''' ([[अंग्रेजी]]: Sunil Mittal; जन्म: [[23 अक्तूबर]], [[1957]], लुधिआना) एक भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन हैं। उनका नाम दुनिया के गिने-चुने टेलीकॉम उद्यमियों में शुमार किया जाता है। सुनील की कंपनी भारती एयरटेल दुनिया  के सबसे बड़े टेलीफोन कंपनियों में से एक है, जिसका व्यापर लगभग 19 देशों में फैला है। एयरटेल जीएसएम मोबाइल सेवा के साथ -साथ इंटरनेट ब्रॉडबैंड  सेवाएं भी प्रदान करती है और करीब 20 करोड़ ग्राहक उसकी सेवाएं लेते हैं। सुनील ने ये सफलता अपनी कड़ी मेहनत, सच्ची लगन और दूरदृष्टि की बदौलत हासिल किया है।
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==कॅरियर==
 
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सुनील ने महज 18 साल की उम्र में अपना कारोबार शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर एक छोटा-सा साइकिल व्यवसाय मात्र 20 हजार रुपए से शुरू किया और सबसे पहले ब्रजमोहन मुंजाल की हीरो साइकिल कंपनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने शुरू किए। इसके बाद उनको ये लगा की ये व्यवसाय ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता और अपने भाईयों के साथ मिलकर ‘भारती ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी” की स्थापना की। उन्होंने अपने साइकिल और दूसरे धंधों को बेच दिया और मुंबई चले गए। वर्ष [[1981]] में उन्होंने पंजाब के निर्यातकों से ‘इम्पोर्ट लाइसेंस” खरीदा और फिर जापान से आयातित पोर्टेबल जेनरेटरों के बिक्री का कार्य करने लगे। इस व्यवसाय से उन्हें वस्तुओं के मार्केटिंग और सेल्स का बहुत अनुभव मिला। धीरे-धीरे यह व्यवसाय भी जम गया और सब कुछ ठीक-ठाक चलने लगा परन्तु सरकार के एक नीति परिवर्तन ने उनके इस व्यापार को रातों-रात ठप्प कर दिया। यह लाइसेंस-राज का दौर था और सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी, क्योंकि दो भारतीय कंपनियों को देश में ही जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था।
 
सुनील ने महज 18 साल की उम्र में अपना कारोबार शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर एक छोटा-सा साइकिल व्यवसाय मात्र 20 हजार रुपए से शुरू किया और सबसे पहले ब्रजमोहन मुंजाल की हीरो साइकिल कंपनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने शुरू किए। इसके बाद उनको ये लगा की ये व्यवसाय ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता और अपने भाईयों के साथ मिलकर ‘भारती ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी” की स्थापना की। उन्होंने अपने साइकिल और दूसरे धंधों को बेच दिया और मुंबई चले गए। वर्ष [[1981]] में उन्होंने पंजाब के निर्यातकों से ‘इम्पोर्ट लाइसेंस” खरीदा और फिर जापान से आयातित पोर्टेबल जेनरेटरों के बिक्री का कार्य करने लगे। इस व्यवसाय से उन्हें वस्तुओं के मार्केटिंग और सेल्स का बहुत अनुभव मिला। धीरे-धीरे यह व्यवसाय भी जम गया और सब कुछ ठीक-ठाक चलने लगा परन्तु सरकार के एक नीति परिवर्तन ने उनके इस व्यापार को रातों-रात ठप्प कर दिया। यह लाइसेंस-राज का दौर था और सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी, क्योंकि दो भारतीय कंपनियों को देश में ही जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था।
 
इस घटना से सुनील ने यह सबक लिया कि आगे जब भी इस तरह का अवसर आएगा, वो उसे लपकने के लिए तैयार रहेंगे और वर्ष [[1992]] में ये मौका आया जब सरकार पहली बार मोबाइल फोन सेवा के लिए लाइसेंस बांट रही थी। सुनील ने उस अवसर को लपक लिया और उसके आगे सब इतिहास है।
 
 
[[1992]] से पहले सुनील ने वर्ष [[1986]] में भारती टेलीकॉम लिमिटेड (बी टी एल) की स्थापना की थी और जर्मनी की AG सीमेंस कंपनी के साथ पुश बटन फ़ोन के निर्माण के लिए करार किया था। धीरे-धीरे उन्होंने अपने कारोबार का विस्तार किया और [[1990]] के दशक तक, सुनील की कंपनी फैक्स मशीन, ताररहित फोन और अन्य दूरसंचार उपकरण बना रही थी।
 
 
वर्ष [[1992]] में भारत सरकार ने पहली बार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए लाइसेंस देना शुरू किया; सुनील मित्तल ने फ्रेंच दूरसंचार समूह विवेंडी के सहयोग से दिल्ली क्षेत्र के साथ-साथ कुछ अन्य क्षेत्रों का भी सेलुलर लाइसेंस प्राप्त किया। [[1995]] में सुनील मित्तल ने सेल्युलर सेवाओं की पेशकश के लिए भारती सेल्युलर लिमिटेड (बीसीएल) की स्थापना की और एयरटेल ब्रांड के तहत कार्य शुरू किया। जल्द ही, एयरटेल 2 लाख मोबाइल ग्राहकों का आंकड़ा पार करने वाली पहली दूरसंचार कंपनी बन गई। इसके बाद भारती सेल्यूलर लिमिटेड ने “इंडियावन” नाम से भारत की पहली निजी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय लंबी दूरी/STD/ISD टेलीफोन सेवा प्रारम्भ की।
 
 
वर्ष [[2008]]-[[2009]] में भारती टेलीकॉम ने दक्षिणी अफ्रीका स्थित एक टेलीकॉम समूह “MTN” के अधिग्रहण की कोशिश की पर कई दौर के बातचीत के बावजूद दोनों कंपनियों के मध्य कोई समझौता नहीं हो सका। कुछ सूत्रों का ऐसा मानना है की दक्षिणी अफ़्रीकी सरकार शायद यह नहीं चाहती थी इसी वजह से ये समझौता नहीं हो पाया।
 
[[जून]] [[2010]] में, मित्तल के नेतृत्व में भारती टेलीकॉम ने दक्षिण अफ्रीकी टेलीकॉम कंपनी “जैन टेलीकॉम ” का अधिग्रहण किया। एक अभी तक का किसी भी भारतीय दूरसंचार कंपनी द्वारा सबसे बड़ा कभी अधिग्रहण था।
 
वर्ष [[2012]] में भारती ने अमेरिकी कंपनी वॉल-मार्ट के साथ भारत भर में खुदरा स्टोर खोलने का करार किया पर यह ज्यादा लम्बा नहीं चल सका और [[अक्टूबर]] [[2013]] में यह डील समाप्त हो गयी।
 
भारती ने वर्ष [[2014]] में “लूप मोबाइल” को भी लगभग 700 करोड़ में खरीदने की घोषणा की पर बाद में सौदा रद्द कर दिया। [[मई]] [[2015]] में भारती रिटेल श्रंखला ‘ईज़ीडे’ और फ्यूचर बाजार के ‘बिग बाजार’ के विलय की घोषणा हुई।
 
 
 
==पुरस्कार और सम्मान==
 
==पुरस्कार और सम्मान==
 
*2007: भारत सरकार ने [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया
 
*2007: भारत सरकार ने [[पद्म भूषण]] से सम्मानित किया
 
*एनडीटीवी बिजनेस लीडर पुरस्कार के तहत उन्हें “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया लीडर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
*एनडीटीवी बिजनेस लीडर पुरस्कार के तहत उन्हें “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया लीडर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
 
*उन्हें जीएसएमए अध्यक्ष के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
 
*उन्हें जीएसएमए अध्यक्ष के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
*[[2006]] में फॉर्च्यून पत्रिका ने “एशिया बिजनेसमैन ऑफ़ द ईयर” से सम्मानित किया
 
*वॉयस एवं डाटा ने [[2006]] में “टेलीकॉम मैन ऑफ़ द ईयर” चुना
 
*फ्रॉस्ट और सुलिवन एशिया प्रशांत आईसीटी पुरस्कार, [[2006]], में ‘सीईओ ऑफ़ द ईयर”।
 
*टेलीकॉम एशिया पुरस्कार, [[2005]], में सर्वश्रेष्ठ एशियाई टेलीकॉम सीईओ।
 
*भारत संस्थागत निवेशक, [[2005]], में “सर्वश्रेष्ठ सीईओ”।
 
*इकनोमिक टाइम्स, [[2005]] के “बिज़नेस लीडर ऑफ़ द ईयर”
 
*एशियाई पुरस्कार, [[2010]] में “फिलैंथ्रॉपिस्ट ऑफ़ द ईयर”।
 
  
 
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सुनील मित्तल विषय सूची


सुनील मित्तल
सुनील मित्तल
पूरा नाम सुनील भारती मित्तल
जन्म 23 अक्तूबर, 1957
जन्म भूमि लुधिआना, पंजाब
अभिभावक सतपाल मित्तल
पति/पत्नी नयना मित्तल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र उद्योगपति
पुरस्कार-उपाधि पद्म भूषण
प्रसिद्धि टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी 1992 से पहले सुनील ने वर्ष 1986 में भारती टेलीकॉम लिमिटेड (बी टी एल) की स्थापना की थी और जर्मनी की AG सीमेंस कंपनी के साथ पुश बटन फ़ोन के निर्माण के लिए करार किया था।
अद्यतन‎

सुनील मित्तल (अंग्रेजी: Sunil Mittal; जन्म: 23 अक्तूबर, 1957, लुधिआना) एक भारतीय उद्योगपति, समाज सेवी और भारत के सबसे बड़े टेलीकॉम कंपनी एयरटेल के चेयरमैन हैं। उनका नाम दुनिया के गिने-चुने टेलीकॉम उद्यमियों में शुमार किया जाता है। सुनील की कंपनी भारती एयरटेल दुनिया के सबसे बड़े टेलीफोन कंपनियों में से एक है, जिसका व्यापर लगभग 19 देशों में फैला है। एयरटेल जीएसएम मोबाइल सेवा के साथ -साथ इंटरनेट ब्रॉडबैंड सेवाएं भी प्रदान करती है और करीब 20 करोड़ ग्राहक उसकी सेवाएं लेते हैं। सुनील ने ये सफलता अपनी कड़ी मेहनत, सच्ची लगन और दूरदृष्टि की बदौलत हासिल किया है।

जीवन परिचय

सुनील का जन्म पंजाब के लुधिआना जिले में 1957 को हुआ था। उनके पिता सतपाल मित्तल एक राजनेता थे और दो बार लोक सभा से और एक बार राज्य सभा से सांसद रह चुके थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मसूरी के विनबर्ग एलन स्कूल और बाद में ग्वालियर के सिंधिया स्कूल से हुई। वर्ष 1976 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। सुनील कहते हैं की बचपन में उन्हें पढाई-लिखे से कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी और वो अपना खुद का व्यवसाय स्थापित करना चाहते थे।

कॅरियर

सुनील ने महज 18 साल की उम्र में अपना कारोबार शुरू कर दिया था। उन्होंने अपने दोस्तों के साथ मिल कर एक छोटा-सा साइकिल व्यवसाय मात्र 20 हजार रुपए से शुरू किया और सबसे पहले ब्रजमोहन मुंजाल की हीरो साइकिल कंपनी के लिए साइकिल के पार्ट्स बनाने शुरू किए। इसके बाद उनको ये लगा की ये व्यवसाय ज्यादा बड़ा नहीं हो सकता और अपने भाईयों के साथ मिलकर ‘भारती ओवरसीज ट्रेडिंग कंपनी” की स्थापना की। उन्होंने अपने साइकिल और दूसरे धंधों को बेच दिया और मुंबई चले गए। वर्ष 1981 में उन्होंने पंजाब के निर्यातकों से ‘इम्पोर्ट लाइसेंस” खरीदा और फिर जापान से आयातित पोर्टेबल जेनरेटरों के बिक्री का कार्य करने लगे। इस व्यवसाय से उन्हें वस्तुओं के मार्केटिंग और सेल्स का बहुत अनुभव मिला। धीरे-धीरे यह व्यवसाय भी जम गया और सब कुछ ठीक-ठाक चलने लगा परन्तु सरकार के एक नीति परिवर्तन ने उनके इस व्यापार को रातों-रात ठप्प कर दिया। यह लाइसेंस-राज का दौर था और सरकार ने जेनरेटर के आयात पर रोक लगा दी, क्योंकि दो भारतीय कंपनियों को देश में ही जेनरेटर बनाने का लाइसेंस दे दिया गया था।

पुरस्कार और सम्मान

  • 2007: भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया
  • एनडीटीवी बिजनेस लीडर पुरस्कार के तहत उन्हें “ट्रांसफॉर्मिंग इंडिया लीडर” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
  • उन्हें जीएसएमए अध्यक्ष के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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