अटाकामा रेगिस्तान उत्तरी चिली में स्थित एक तटीय रेगिस्तान है। इस रेगिस्तान की औसत तटीय चौड़ाई 160 किमी से कम है तथा इसकी लंबाई लगभग 960 किमी है। अटाकामा रेगिस्तान में लवणीय चट्टानों की अधिकता है। यह एक पठारी क्षेत्र है, जो वर्षा रहित है। यहाँ का अधिकांश इलाका लवणीय द्रोणियों, रेत और लावा प्रवाह से बना है। यह पृथ्वी का सबसे शुष्क क्षेत्र है।
वर्षा की स्थिति
इस रेगिस्तानी क्षेत्र में औसत वर्षा कुल 15 मि.मी. प्रति वर्ष तक ही सीमित है। कुछ भागों में तो वर्षा के होने के कोई मानवीय प्रमाण उपलब्ध ही नहीं हैं। उत्तरी चिली के इस रेगिस्तान में एक क्षेत्र को, जिसे 'कलामा' कहा जाता है, वहाँ 400 वर्षों तक (1570-1971) वर्षा नहीं हुई थी। अटाकामा रेगिस्तान के कुछ भागों में यद्यपि पर्याप्त वर्षा होने के कारण भू-अपरदन के भी निशान दिखाई देते हैं।
फ़सल तथा खनिज
अटाकामा रेगिस्तान में मानव भी निवास करते हैं। सामान्य रूप से इन मानवों के ठिकाने चार विभिन्न 'नखलिस्तान' या 'मरुद्यान' स्थलों, जैसे पेरुवियन सीमा के निकट एरिटा, पामा डेल की पूर्वी पट्टी, तभारुगल व लोआ एवं कोपीपो नदियों की द्रोणियों में स्थित हैं। इस क्षेत्र में मुख्य रूप से मक्का तथा एल्फाल्फा की फ़सल उगायी जाती है। मुख्य खनिजों में नाइट्रेट, ताँबा तथा चाँदी आदि प्रमुख हैं। इस रेगिस्तान में संसार की सबसे बड़ी ताँबे की खान 'चुकीकामता' नामक क्षेत्र में स्थित है।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ संसार के विशाल रेगिस्तान (हिन्दी) (एच.टी.एम.एल.)। । अभिगमन तिथि: 14 जुलाई, 2012।
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