अमेज़न नदी विश्व की सबसे विस्तृत नदी है। यह नदी पेरू के एण्डीज पर्वतमाला से निकलती है तथा ब्राजील से होकर गुजरती है। आयतन के हिसाब से अमेज़न नदी विश्व की सबसे बड़ी नदी है, जबकि लम्बाई के हिसाब से यह दूसरी बड़ी नदी है। यह दक्षिण अमेरिका से बहने वाली नदी है। इसे 'आमेजन', 'अमेजॉन' तथा 'आमेजॉन' आदि नामों से भी पुकारा जाता है। अमेज़न नदी ब्राजील, पेरु, बोलविया, कोलोंबिया तथा इक्वेडोर से होकर बहती है। यह पेरु के एण्डीज पर्वतमाला से निकलकर पूर्व की ओर बहती है और अटलांटिक महासागर में मिल जाती है। नदी की प्रवाह-घाटी विश्व में वृहत्तम है तथा इसमें जल की प्रवाह दर इसके बाद की आठ नदियों के योग से भी अधिक है। अमेज़न नदी के घने जंगल पृथ्वी के पर्यावरण संतुलन में बेहद अहम भूमिका निभाते हैं, यही कारण है कि इस नदी को "धरती का फेफड़ा" कहा जाता है।
जल वहन क्षमता
अमेज़न नदी उससे भी अधिक पानी का वहन करती है, जितने पानी का वहन नील, मिसीसिपी तथा यांगसी नदियाँ मिल कर करती हैं। इसका कारण संभवत: यह है कि अमेज़न नदी में 200 से भी अधिक सहायक नदियाँ आकर गिरती हैं। अनेक स्थानों पर तो इस नदी का सामने वाला किनारा तक देखना भी संभव नहीं हो पाता है। इस नदी की अधिकतम चौड़ाई 140 किलोमीटर है। यह नील के बाद सबसे लम्बी झील है। अटलांटिक महासागर में गिरने से पहले अमेज़न और इसकी सहायक नदियाँ पेरू, बोलविया, वेनेजुएला, कोलोंबिया, इक्वेडोर और ब्राजील से गुजरती है। अमेज़न नदी में मछलियों की 3,000 से भी ज़्यादा प्रजातियाँ पायी जाती हैं।
सर्वाधिक लम्बी नदी
अभी तक किताबों में केवल यही लिखा गया था कि विश्व की सबसे लम्बी नदी मिस्र में बहने वाली नील नदी है, किन्तु नवीन शोध कार्यों से यह स्पष्ट हो गया है कि अमेज़न नदी विश्व की सबसे लम्बी नदी है। अभी तक फैलाव में ही अमेज़न प्रथम स्थान में थी, किन्तु अब लम्बाई में भी शिखर पर है। पेरू के दक्षिणी इलाके में किए गए अभियान में अमेज़न की लम्बाई को 6800 कि.मी. आंका गया, जबकि नील की लम्बाई 6695 कि.मी. मानी जाती है। अमेज़न नदी के उद्गम स्थल की तलाश में अनुसंधानकर्ताओं ने भीषण सर्दी और शून्य से भी कम तापमान में दो हफ्ते तक यात्रा करके मिस्मी पर्वत पर 5000 मी. की ऊंचाई पर स्थित अमेज़न नदी के उद्गम स्थान को खोज निकाला। ब्राजील के वैज्ञानिकों के इस दावे से पहले अमेज़न नदी का उद्गम स्थल पेरू से माना जाता था।[1]
ब्रह्मपुत्र नदी से तुलना
सम्पूर्ण विश्व के समुद्रों में जितना मीठा पानी जाता है, उसमें अमेज़न नदी का 20 प्रतिशत योगदान है। वर्षा के दिनों में अमेज़न नदी में जो उफान उठता है, उसकी तुलना भारत की ब्रह्मपुत्र नदी से की जा सकती है। हालांकि ब्रह्मपुत्र नदी का पाट अमेज़न की अपेक्षा छोटा है, किन्तु उसमें उठने वाला उफान देखने पर अमेज़न नदी की ही भांति दिखाई देता है। अमेज़न नदी के किनारों पर नौ देशों में लगभग तीन करोड़ लोग निवास करते हैं। इनमें 2/3 आबादी ब्राजील के निवासियों की है।
वर्षावन
अमेज़न नदी के क्षेत्र में पाये जाने वाले वनों को 'वर्षावन' कहा जाता है। इसके वर्षावन विश्व में सबसे बड़े हैं। इनका कुल क्षेत्रफल सत्तर लाख वर्ग कि.मी. है। अमेज़न के जंगल धरती के पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने में अहम् भूमिका निभाते हैं, इसलिए इसे धरती का फेफड़ा कहा जाता है। अमेज़न को जैव विविधता का केन्द्र कहा जाता है, क्योंकि यहाँ जीव-जन्तुओं और वनस्पतियों की बेशुमार किस्में पाई जाती हैं। कहा जाता है कि अमेज़न नदी के जंगलों की एक हजयाड़ी में जितनी चीटियाँ मिल जाएंगी, उतनी पूरे ब्रिटेन में नहीं मिलेंगी। 17000 किस्मों की चिड़िया और 700 किस्म के साँप और पशु पाए जाते हैं और पेड़ पौधों की 50,000 से भी अधिक किस्में र्पाइं जाती हैं। वैज्ञानिकों के सर्वे में मात्र एक वर्ग हेक्टेयर में 480 से ज़्यादा पेड़-पौधों की किस्में मौजूद हैं।
ब्राजील दक्षिणी अमेरिका का सबसे बड़ा और प्रभावशाली देश है। एक बड़ी आर्थिक शक्ति होने के साथ-साथ दुनिया भर के बड़े लोकतंत्रों में एक ब्राजील की सीमा के अन्तर्गत अमेज़न नदी का 65 प्रतिशत हिस्सा, क्षेत्रफल 4,776,980 वर्ग कि.मी. आता है। ब्राजील की आबादी 19 करोड़ के लगभग है। यहाँ पर 1970 के बाद से सात लाख वर्ग कि.मी. फ़्राँस व बेल्जियम के कुल क्षेत्रफल से भी अधिक के जंगल साफ कर दिए गए हैं। इसके बावजूद अमेज़न के जंगल विश्व के सबसे बड़े जंगल हैं। जंगलों के साफ किए गए हिस्सें में 70 प्रतिशत हिस्सा पशुपालन के लिए प्रयोग किया जाता है। बाकी मैदानों का उपयोग सोयाबीन की खेती आदि के लिए किया जाता है। नये बांधों और सड़कों के बन जाने से अमेज़न नदी के जंगलों के विनाश का खतरा अधिक गया है, क्योंकि अब जंगलों तक पहुँचना आसान हो गया है। ब्राजील इस समय गोमांस का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। ब्राजील का मनाउस शहर शुरूआत में जंगलों के बीच बसा एक छोटा-सा गाँव था, लेकिन कुछ ही वर्षों में ये 20 लाख लोगों की आबादी वाला शहर बन गया, जहाँ आधुनिक सुख-सुविधाओं के सारे साधनों के साथ-साथ अमेज़न के वनों का दोहन करने वाले औजार मौजूद हैं। अमेज़न नदी के जंगलों के विनाश से बलिया, बहराइच या बांसवाड़ा के निवासी उतने ही प्रभावित होंगें, जितने इंडोनेशिया, जापान, चिली और पेरू के निवासी।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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