अरामाइक लिपि
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- बाइबिल और असीरी कीलाक्षर लेखों में 'आरम' शब्द मिलता है, इसलिए इस परवर्ती सेमेटिक संस्कृति - इसकी भाषा और लिपि - को हम 'आरमी' या 'आरमेई' (आरमाइक) नाम दे सकते हैं। आरमेई लोगों के मूल निवास के बारे में कोई ठोस जानकारी नहीं मिलती, किंतु विद्वानों का मत है कि 'सेमेटिक जाति' की 'तीसरी लहर' के ये लोग भी दक्षिण-पश्चिमी अरब से आए थे।
- इनकी एक शाखा 'शाम' यानी सीरिया पहुंची थी और दूसरी मेसोपोटामिया।
- ई.पू. 13वीं शताब्दी में पश्चिमी एशिया में जब हित्ती और मितानी आर्य शासकों की शक्ति क्षीण हो गई, तो मेसोपोटामिया के उत्तर-पश्चिम-दक्षिण में आरमेई राज्यों का उदय हुआ। इन छोटे-छोटे राज्यों में दमिश्क का राज्य सबसे महत्त्वपूर्ण था। इन राज्यों में आपस में हमेशा युद्ध होते रहते थे। अंत में ई.पू. 8वीं शताब्दी में ये सब आरमेई राज्य शाक्तिशाली असीरी राज्य में विलीन हो गए।
- आरमेई लोगों का शासन तो समाप्त हुआ, किंतु उनकी संस्कृति - विशेषत:उनकी भाषा और लिपि- बाद में शताब्दियों तक जीवित रही। इतना ही नहीं, ई.पू. सातवीं शताब्दी के अंत से आरमेई भाषा और लिपि पश्चिमी एशिया की अंतर्राष्ट्रीय भाषा और लिपि बन गई।
- ईरान के हख़ामनी शासन के समय यह राज-काज की प्रमुख भाषा बन गई। यही नहीं, पश्चिमोत्तर भारत से लेकर लघु-एशिया तथा मिस्त्र यह व्यापारियों की यही प्रमुख भाषा थी।
- इस्लाम के उदय तक सारे पश्चिमी एशिया में आरमेई भाषा का साम्राज्य रहा।
- आरमेई लिपि का विकास उत्तरी सेमेटिक लिपि से हुआ।
- उत्तरी सेमेटिक लिपि के दो वर्ग हैं-
- कनानी
- आरमेई लिपि।
- प्रो. आल्ब्राइट के अनुसार, आरमेई भाषा के लिए उत्तरी सेमेटिक लिपि का प्रयोग ई.पू. दसवीं शताब्दी के बाद से आरंभ हुआ।
- आरमेई भाषा और लिपि का संपूर्ण पश्चिमी एशिया में प्रचार था। हख़ामनी शासकों की अपनी भाषा ईरानी आर्यभाषा थी, किंतु उन्होंने अपने विस्तृत साम्राज्य के राज-काज के लिए उस समय की अधिक प्रचलित आरमेई भाषा और लिपि को अपना लिया था।
- दारयवुश के हख़ामनी साम्राज्य के 24 प्रातों में गंधार देश भी था।
- खरोष्ठी लिपि आरमेई लिपि से ही बनी है।
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