अवेस्ता भाषा

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अवेस्ता भाषा अशुद्ध रूप में ज़ेंद भाषा भी कहलाती है। यह पारसियों की पवित्र पुस्तक 'अवेस्ता' की पूर्वी ईरानी भाषा है।

  • अवेस्ता के दो स्तर हैं, पुरानी, गाथाओं की भाषा, जो भारत में वैदिक संस्कृति (600 ई. पू.) से निकटता प्रदर्शित करती है।
  • इस भाषा के अधिकांश भाग को भाषा के मौजूदा रूप में लिखा गया है और यह क्रमवार सरलता और व्याकरणीय संशोधन का स्वरूप प्रदर्शित करता है।
  • अवेस्ता के धर्मसूत्र निश्चित किए जाते समय (चौथी से छठी) अवेस्ता मृत भाषा बन चुकी थी, जो केवल पुरोहितों को ज्ञात थी।
  • 400 ई. पू. में यह प्रतिदिन बोली जाने वाली भाषा शायद नहीं रह थीं, परंतु धार्मिक प्रवचन मौखिक परंपरा में दिए जाते थे।
  • वह लिपि, जिसमें अवेस्ता को लिखा गया, अर्मेनियाई से निकले परवर्ती 'पहलवी' लेखन से विकसित हुई थी।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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