आंध्र प्रदेश पर्यटन
आंध्र प्रदेश भारत के समृद्धशाली राज्यों में से एक है, जो दक्षिण-पूर्वी तट पर स्थित है। यह क्षेत्रफल के अनुसार भारत का चौथा सबसे बड़ा और जनसंख्या की दृष्टि से पाँचवा सबसे बड़ा राज्य है। इसकी राजधानी और सबसे बड़ा शहर हैदराबाद है। भारत के सभी राज्यों में सबसे लंबा समुद्र तट गुजरात का है, जिसकी लम्बाई 1600 किलोमीटर है, जबकि आंध्र प्रदेश का समुद्र तट दूसरे स्थान पर है, जिसकी लम्बाई 972 किलोमीटर है।
पर्यटन स्थल
पर्यटन की दृष्टि से आंध्र प्रदेश में कई स्थान और इमारतें आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ के प्रमुख पर्यटन स्थल निम्नलिखित हैं-
- हैदराबाद में चारमीनार, सालारजंग संग्रहालय और गोलकुंडा क़िला
- वारंगल में सहस्त्र स्तंभ मंदिर और क़िला
- यादागिरिगुट्टा में श्रीलक्ष्मी नरसिंह स्वामी मंदिर
- नागार्जुनकोंडा और नागार्जुन सागर में बौद्ध स्तूप
- तिरूपति में तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर
- श्रीसेलमक का श्रीमल्लिकार्जुनस्वामी मंदिर
- विजयवाड़ा का कनक दुर्गा मंदिर
- पानीगिरि, जहाँ प्राचीन सातवाहन कालीन बौद्ध उपनिवेश के भग्नावेशेष हैं।
- अन्नावरम में श्री सत्यनारायण स्वामी मंदिर
- सिम्हाचलम में श्री वराह नरसिंह स्वामी मंदिर
- भद्राचलम में श्री सीताराम मंदिर, अरकुघाटी, होर्सले पहाडियाँ, शेषचलम पहाड़ियाँ, एरामला पर्वतमाला, नल्लामलाई पर्वत और नेलापटटू आदि आंध्र प्रदेश के महत्त्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं।
- हैदराबाद की 'हुसैन सागर झील' में टैंकबंद में प्रमुख तेलुगु महापुरुषों की 33 आदमक़द मूर्तियाँ लगाई गई हैं और झील के बीच में जिब्राल्टर चट्टान पर 60 फुट की विशालकाय बुद्ध प्रतिमा लगाई गई है। यह झील हैदराबाद और सिकंदराबाद शहरों को अलग करती है।
- केसरपल्ली आन्ध्र प्रदेश के कृष्णा ज़िलांतर्गत एक ऐतिहासिक स्थान है।
नगुला पहाड़
नगुला पहाड़ आन्ध्र-प्रदेश के नलगोंडा ज़िले में स्थित है। यह स्थान प्राचीन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मन्दिरों में से एक मन्दिर के प्रवेशद्वार पर सुन्दर शिल्पकला प्रदर्शित की गई है।
दावलेश्वरम
दावलेश्वरम नगर पूर्वी गोदावरी ज़िला, पूर्वोत्तर आंध्र प्रदेश राज्य, दक्षिण भारत में स्थित है। गोदावरी नदी के मुहाने पर स्थित दावलेश्वरम में 3.2 किमी लंबा बाँध है।
भद्राचलम
भद्राचलम भगवान श्रीराम से जुड़ा और हिन्दुओं की आस्था का एक प्रमुख धार्मिक स्थल है, जो आन्ध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में स्थित है। इस पुण्य क्षेत्र को "दक्षिण की अयोध्या" भी कहा जाता है। यह स्थान अगणित भक्तों का श्रद्धा केन्द्र है। मान्यता है कि यह वही स्थान है, जहाँ राम ने पर्णकुटी बनाकर वनवास का लंबा समय व्यतीत किया था। भद्राचलम से कुछ ही दूरी पर स्थित 'पर्णशाला' में भगवान श्रीराम अपनी पर्णकुटी बनाकर रहे थे। यहीं पर कुछ ऐसे शिलाखंड भी हैं, जिनके बारे में यह विश्वास किया जाता है कि सीताजी ने वनवास के दौरान यहाँ वस्त्र सुखाए थे। एक विश्वास यह भी किया जाता है कि रावण द्वारा सीताजी का अपहरण भी यहीं से हुआ था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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